कोई बहुत ज़ोरदार फॉलोवर नहीं हूं मैं मोटरस्पोर्ट्स का। मोटरस्पोर्ट्स की दुनिया में क्या चल रहा है, ये नज़र रहती है, रखनी भी पड़ती है…लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं फ़ॉर्मूला वन के एक-एक पल के बारे में पूरी जानकारी रखता हूं, रेसरों की ज़िंदगी और रेसिंग से जुड़े एक-एक पल, उनकी कहानियों और किंवदंतियों के बारे में बहुत डीटेल में जाने का वक़्त नहीं मिल पाता है।
लेकिन ऐसा नहीं कि इस मसरूफ़ियत के बीच मैं वो पल भूल जाऊं कि कैसे मैंने वैलेंटीनो रॉसी से मुलाक़ात की थी और कैसे उनके साथ फ़ोटो खिंचवाया था। कैसे इस इंटरव्यू या मीडिया की भाषा में कहें तो इंटरऐक्शन के बीच जॉन अब्राहम किनारे से हो गए थे।
वो मौक़ा था यामाहा के एक ईवेंट का, जब यामाहा की मोटो जीपी टीम के राइडर, मोटरसाइकिल रेसिंग के सबसे सनसनीख़ेज़ सितारे वैलेंटीनो रॉसी और भारत में यामाहा के ब्रांड एंबैसेडर जॉन अब्राहम एक साथ प्रेस टीम से मिले थे।
रॉसी उससे पहले भी पसंद थे और आज भी पसंद हैं। उनकी सफलता के ऊपर नज़र रहती है और असफलताओं से थोड़ी निराशा भी होती है। एक रेसर, जिसने मोटो जीपी यानि मोटरसाइकिलों की रेसिंग की दुनिया के लिए वो किया, जो शायद हमारे जेनरेशन में माइकल शूमाकर ने फ़ॉर्मूला वन के लिए और सचिन ने क्रिकेट के लिए किया।
रेस सर्किट में रॉसी की दिलेरी आजकल यू-ट्यूब पर आराम से देखी जाती है। आपमें से जो मोटो जीपी रेसिंग की दुनिया से परिचित हैं, उन्हें पता ही होगा कि रॉसी फिर से यामाहा की टीम के लिए रेस करते हैं, इस बीच में वो डुकाटी की टीम से हो आए हैं।
हालांकि रॉसी के इर्द-गिर्द की कहानियों में अब वो चुलबुलापन, सनसनी नहीं, जैसे पहले थी। हाल में वो चार साल बाद पोल पोज़ीशन ले पाए। और फिर भी रेस में और चैंपियनशिप में दूसरे नंबर पर ही रहे।
पहले नंबर पर है, वो शख़्स जिसने मोटरसाइकिल रेसिंग में वो कर दिखाया है कि सब भौंचक्के हैं, रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड बनाता ऐसा नौजवान जिससे भिड़ने के बारे में फ़िलहाल ख़ुद रॉसी भी नहीं सोच सकता है। वो है मार्क मार्केज़। ये स्पेनिश राइडर एक ऐसा अजूबा है कि रिकॉर्ड की किताबें रंग दी गई हैं, रेस के जानकार भौंचक्के हैं और रॉसी जैसा रेसर इसे अपना बैड लक कह रहा है, जो उसे चैंपियनशिप की जीत से इतनी दूर किए हुए है कि रॉसी बेबस दूर खड़ा है।
मार्क मार्केज़...जब से मैंने ये नाम सुना, तब से उनके नाम के साथ लोगों को यही कहते सुना है - आख़िर ये चीज़ क्या है मार्केज़, जिसने 2008 से हिला के रखा हुआ है मोटरसाइकिल रेसिंग की दुनिया को। फ़िलहाल मोटोजीपी लगातार दूसरे साल वर्ल्ड चैंपियन है। जब आप खोजने जाएं, तो पता चलेगा कि ये वो राइडर है, जिसने सबसे कम उम्र में जीतने के सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले हैं। एक से एक नए रिकॉर्ड बना दिए हैं।
1993 में पैदा मार्केज़ ने पहली बार 125 सीसी कैटगरी में क़दम रखा, जब उनकी उम्र पंद्रह साल से थोड़ी ही ऊपर थी। और तब से लेकर अब तक इस रोमांचक दुनिया को और हिलाया हुआ है। 2012 में 125 सीसी वाले कैटगरी में वर्ल्ड चैंपियन बने। 2012 में मोटो 2 का वर्ल्ड चैंपियन, अब 2013 और 2014 का मोटोजीपी वर्ल्ड चैंपियन बने हुए हैं। मोटोजीपी में भी सबसे कम उम्र में जीत हासिल करने वाला राइडर बने वो।
तो ये सब रिकॉर्ड काफ़ी हैं समझाने के लिए कि इनकी काबिलियत क्या है। क्या इनका टैलेंट है और क्या ये आने वाले वक्त में कर सकते हैं। फ़िलहाल मार्केज़ हौंडा रेप्सॉल रेसिंग टीम के राइडर हैं। तो एक वक्त में अपनी तेज़ी और ड्रामा की वजह से जैसे रॉसी नामी थे, वैसे ही मार्केज़ के बारे में भी दुनिया बात कर रही है, लेकिन इनमें तेज़ी ज़्यादा है, ड्रामा कम है। तो आपमें से किसी की भी थोड़ी भी दिलचस्पी है मोटरसाइकिल रेसिंग में तो इस नाम को याद रखिएगा। अगले सीज़न में भी नज़र रहेगी इस नौजवान पर जिसने रफ़्तार पकड़ी हुई है। 93 नंबर की बाइक पर नज़र रखिएगा आप लोग भी।
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