फाइल फोटो
नई दिल्ली:
तमाम विवादों के बीच फीफा अध्यक्ष की कुर्सी से सेप ब्लेटर का प्यार इस वक्त विश्व फुटबॉल को दो धड़ों में बांट सकता है। यूरोप के तमाम फुटबॉल खेलने वाले देशों के सूमह UEFA ने ऐलान किया है कि अगर भ्रष्टाचार के मामलों को सही सरीके से नहीं सुलझाया गया तो वे फीफा से अपना नाता तोड़ सकते हैं, यानी फीफा के किसी टूर्नामेंट में यूरोप की टीमें हिस्सा नहीं लेंगी और विश्व फ़ुटबॉल दो गुटों में बंट सकता है, लेकिन सेप ब्लेटर ने साफ कहा है कि वह अपनी कुर्सी नहीं छोडेंगे और संस्था में लोगों को विश्वास दोबारा हासिल करने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगाएंगे। उन्होंने इस बात को भी माना कि कई और बुरी खबरें लोगों के सामने आ सकती हैं, लेकिन ये वक्त आपसी लड़ाई का नहीं है।
ब्लेटर 1998 से फीफा के अध्यक्ष हैं और उनके आलोचकों का मानना है कि उनके कुर्सी पर आते ही भ्रष्टाचार भी अपने चरम पर पहुंच गया। इस बार उनका मुकाबला जॉर्डन के प्रिंस अली से है। अली को UEFA का पूरा समर्थन है, लेकिन अफ़्रीका और द. अमेरिका के वोट अभी भी ब्लेटर की झोली में है और उनकी जीतना तय है। मगर इस पूरे चुनाव पर इटली के पूर्व खिलाड़ी प्लाटिनी का मानना है, चुनाव जो भी जीते, फ़ुटबॉल की हार हो गई है। फीफा पहले ही हार चुका है।
कौन से स्पॉन्सर कर सकते हैं, फीफा से किनारा?
वीजा कंपनी का कहना है कि वह अगर मौजूदा हालात को सुलझाने के लिए जल्द ही ठोस और निर्णायक कदम नहीं उठाए गए तो वो फीफा से नाता तोड़ सकती है। इतना ही नहीं Coca-Cola, Adidas, Nike और McDonalds जैसे बड़े बड़े प्रायोजको ने अपनी फिक्र और नाराज़गी ज़ाहिर की है। अगर ये तमाम कंपनियां फ़ीफ़ा से नाता तोड़ती हैं तो फ़ुटबॉल की सर्वोच्च संस्था की बची-कुची साख भी खाक में मिल जाएगी।
क्या 2018 और 2022 विश्व कप पर पड़ेगा असर?
इस पूरे मामले ने 2018 में रूस में होने वाले और 2022 में कतर में होने विश्व कप पर सवालिया निशान लगा दिया है। लोगों को पहले ही शक था कि जबरदस्त घूस देकर ही इन देशों ने विश्व-कप का आयोजन हासिल किया और मौजूदा विवाद ने मानो इस पूरी बात पर मुहर लगा दी है, लेकिन अभी तक इस मसले को लेकर कोई ठोस जानकारी सामने नहीं आई है और ऐसे में लगता नहीं कि इन दोनों देशों से विश्व-कप की मेज़बानी वापस ली जाएगी।
ब्लेटर 1998 से फीफा के अध्यक्ष हैं और उनके आलोचकों का मानना है कि उनके कुर्सी पर आते ही भ्रष्टाचार भी अपने चरम पर पहुंच गया। इस बार उनका मुकाबला जॉर्डन के प्रिंस अली से है। अली को UEFA का पूरा समर्थन है, लेकिन अफ़्रीका और द. अमेरिका के वोट अभी भी ब्लेटर की झोली में है और उनकी जीतना तय है। मगर इस पूरे चुनाव पर इटली के पूर्व खिलाड़ी प्लाटिनी का मानना है, चुनाव जो भी जीते, फ़ुटबॉल की हार हो गई है। फीफा पहले ही हार चुका है।
कौन से स्पॉन्सर कर सकते हैं, फीफा से किनारा?
वीजा कंपनी का कहना है कि वह अगर मौजूदा हालात को सुलझाने के लिए जल्द ही ठोस और निर्णायक कदम नहीं उठाए गए तो वो फीफा से नाता तोड़ सकती है। इतना ही नहीं Coca-Cola, Adidas, Nike और McDonalds जैसे बड़े बड़े प्रायोजको ने अपनी फिक्र और नाराज़गी ज़ाहिर की है। अगर ये तमाम कंपनियां फ़ीफ़ा से नाता तोड़ती हैं तो फ़ुटबॉल की सर्वोच्च संस्था की बची-कुची साख भी खाक में मिल जाएगी।
क्या 2018 और 2022 विश्व कप पर पड़ेगा असर?
इस पूरे मामले ने 2018 में रूस में होने वाले और 2022 में कतर में होने विश्व कप पर सवालिया निशान लगा दिया है। लोगों को पहले ही शक था कि जबरदस्त घूस देकर ही इन देशों ने विश्व-कप का आयोजन हासिल किया और मौजूदा विवाद ने मानो इस पूरी बात पर मुहर लगा दी है, लेकिन अभी तक इस मसले को लेकर कोई ठोस जानकारी सामने नहीं आई है और ऐसे में लगता नहीं कि इन दोनों देशों से विश्व-कप की मेज़बानी वापस ली जाएगी।
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