भारतीय हॉकी टीम के लिए नए कोच की तलाश के बीच पूर्व कप्तान जूड फेलिक्स ने कहा है कि भारतीय टीम के साथ जुड़ने में उनकी दिलचस्पी है।
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नई दिल्ली:
भारतीय हॉकी टीम के लिए नए कोच की तलाश के बीच पूर्व कप्तान जूड फेलिक्स ने कहा है कि भारतीय टीम के साथ जुड़ने में उनकी दिलचस्पी है, बशर्ते एक पेशेवर कोच के रूप में उन्हें कोई पेशकश मिले। फेलिक्स ने कहा, मुझे अभी तक कोई पेशकश नहीं मिली है। मीडिया रिपोर्टों में मैने अपना नाम पढ़ा है। लेकिन यदि कोई पेशकश मिलती है, तो मैं निश्चित तौर पर उस पर गौर करूंगा। सिडनी विश्व कप 1994 में भारत के कप्तान रहे फेलिक्स 1995 में सिंगापुर जा बसे थे। वह सिंगापुर रिक्रिएशन क्लब से बतौर खिलाड़ी कोच जुड़े और जोहोर बाहरू लीग के सूत्रधार बने। बेंगलुरु के इस पूर्व सेंटर हाफ ने कहा कि कोचिंग उनका पेशा है और आजीविका का साधन भी, लिहाजा वह इसे ध्यान में रखकर ही भविष्य के बारे में फैसला लेंगे। उन्होंने कहा, मुझे सिंगापुर में अच्छी तनख्वाह मिल रही है। मैं भारतीय हॉकी के लिए योगदान देना चाहता हूं, लेकिन यह भी ध्यान में रखना होगा कि कोचिंग मेरा पेशा है। भारत आने के लिये मुझे सिंगापुर में नौकरी छोड़नी होगी, लिहाजा मैं प्रस्ताव मिलने पर कई पहलुओं पर गौर करके फैसला लेना चाहूंगा। फेलिक्स ने हालांकि कहा कि जब तक कोई पेशकश नहीं मिलती, इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। ऐसी अटकलें हैं कि मुख्य कोच के रूप में हॉलैंड के रोलैंड ओल्टमैन भारतीय टीम से जुड़ सकते हैं, जबकि फेलिक्स राष्ट्रीय कोच होंगे। इस बारे में पूछने पर नए कोच की तलाश के लिए गठित पांच सदस्यीय समिति के अध्यक्ष परगट सिंह ने कहा कि इस बार विस्तृत कोचिंग स्टाफ की नियुक्ति की जाएगी, जिसमें विदेशी के साथ भारतीय कोच भी होंगे। उन्होंने कोई नाम लेने से इनकार करते हुए कहा, दो-तीन शीर्ष कोचों से बात चल रही है। उनके अलावा एक भारतीय कोच भी साथ हो सकता है। जहां तक जूड की बात है, तो मैंने उसके साथ हॉकी खेली है और उसका अनुभव उपयोगी होगा, लेकिन कोचों की नियुक्ति के बारे में तस्वीर अगले कुछ दिन में ही स्पष्ट हो सकेगी। यह पूछने पर कि क्या भारतीय हॉकी टीम की समस्याओं का हल विदेशी कोच के पास ही है, फेलिक्स ने हां में जवाब दिया। उन्होंने कहा, विदेशी कोच अच्छा विकल्प है, लेकिन देखना यह होगा कि किसकी सेवाएं ली जा रही हैं। ओल्टमैन बड़ा नाम है और अच्छे कोच भी। विदेशी कोच के नाम पर किसी को भी नियुक्त कर देना सही फैसला नहीं होगा। कोच का रसूख भी ध्यान में रखना चाहिए, क्योंकि भारत का पिछला अनुभव अच्छा नहीं रहा है। फेलिक्स ने यह भी कहा कि मौका मिलने पर उन्हें ओल्टमैन के साथ काम करने में कोई ऐतराज नहीं होगा।
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