क्रिकेट इतिहास में भारत ने वह इतिहास रच दिया, जिसका इंतजार देश को 28 साल से था। फाइनल में भारत ने श्रीलंका को छह विकेट से हरा दिया।
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New Delhi:
क्रिकेट इतिहास में आखिरकार भारत ने वह इतिहास फिर से रच दिया, जिसका इंतजार देश को 28 साल से था। धोनी के धुरंधरों ने मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में श्रीलंका को हराकर आईसीसी विश्व कप, 2011 की ट्रॉफी अपने नाम कर ली। भारतीय टीम को जीत के बाद 32 लाख 50 हजार डॉलर, रनर अप टीम श्रीलंका को 15लाख डॉलर, सेमीफाइनल में हारने वाली न्यूजीलैंड और पाकिस्तान की टीमों को 5लाख डॉलर का इनाम दिया गया है। भारत के जीत के नायक रहे गौतम गंभीर और कप्तान महेंद्र सिंह धोनी, जिन्होंने एक समय गहरे संकट में फंस चुकी टीम को सफलतापूर्वक उबारते हुए भारत की जीत की इबारत लिखी। धोनी (91 ) ने छक्का मारकर भारत को जीत दिलाई। गंभीर हालांकि शतक से सिर्फ 3 रन से चूक गए, लेकिन उनकी धैर्यपूर्ण पारी ने ही भारत को इस मुकाम तक पहुंचाया। दूसरी ओर, धोनी ने सौ फीसदी कप्तानी पारी खेली और करोड़ों देशवासियों का सीना फख्र से चौड़ा कर दिया। खिताब जीतने के बाद भारतीय खिलाड़ियों ने महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर को शानदार तरीके से सम्मानित किया। खिलाड़ियों ने उन्हें अपने कंधे पर उठाकर स्टेडियम का चक्कर लगाया। छह विश्व कप में टीम का हिस्सा बन चुके सचिन के लिए खिताब जीतने का सपना उनके घरेलू मैदान पर पूरा हुआ। युवराज सिंह को पूरे टूर्नामेंट के दौरान बेहतरीन प्रदर्शन के लिए मैन ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब मिला। युवराज सिंह ने पूरे टूर्नामेंट के दौरान कुल 362 रन बनाए और 15 विकेट हासिल किए। इस दौरान उन्हें चार बार मैन आफ द मैच चुना गया। फाइनल मुकाबले में धोनी को दबाव के दौरान शानदार 91 रनों की कप्तानी पारी खेलने के लिए मैन ऑफ द मैच चुना गया। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने खिताब जीतने वाली भारतीय टीम के प्रत्येक खिलाड़ी को एक करोड़ रुपये का पुरस्कार देने की घोषणा की। इसके अलावा बोर्ड ने भारतीय टीम के प्रत्येक सहायक कर्मी को 50 लाख और प्रत्येक चयनकर्ता को 25 लाख रुपये का पुरस्कार देने की घोषणा की है। मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में आईसीसी क्रिकेट विश्वकप 2011 के फाइनल मुकाबले में काफी हद तक भारतीय पारी को संभालने के बाद गौतम गंभीर दुर्भाग्यशाली रहे कि वह 97 रन बनाकर आउट हो गए और अपने शतक से सिर्फ तीन रन से चूक गए। भारत का यह चौथा विकेट 223 रन के कुल योग पर गिरा। गंभीर, धोनी और कोहली की शानदार पारियों की बदौलत भारत ने 275 रनों के लक्ष्य को 48.2 ओवरों में चार विकेट खोकर हासिल कर लिया। गंभीर ने अपनी 122 गेंदों की पारी में नौ चौके लगाए। वह जब आउट हुए थे, तब भारत को जीत के लिए 53 रनों की जरूरत थी। दूसरी ओर, धोनी 91 रन बनाकर विश्व कप में एक बल्लेबाज के तौर पर अपनी अब तक की नाकामी को धो दिया। उनके साथ युवराज सिंह 21 रनों पर नाबाद रहे। इस तरह श्रीलंकाई टीम का 1996 के बाद दूसरी बार विश्व चैंपियन बनने और अपने महानतम गेंदबाज मुथैया मुरलीधन को खिताबी विदाई देने का सपना धरा का धरा रह गया। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 1300 से अधिक विकेट ले चुके मुरलीधरन ने इस मैच के साथ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया है। भारतीय पारी की शुरुआत बेहद खराब रही और 31 रन के कुल योग पर भारत ने दो विकेट गंवा दिया। सचिन तेंदुलकर 18 रन बनाकर मलिंगा का दूसरा शिकार बने। वीरू, सचिन के आउट होने के बाद गौतम ने धैर्यपूर्ण पारी खेलते हुए 56 गेंदों में छह चौकों की मदद से अपना 25वां अर्द्धशतक पूरा किया। गौतम गंभीर का बखूबी साथ निभा रहे विराट कोहली 35 रन बनाकर दिलशान की गेंद पर उनके ही हाथों लपक लिए गए। टीम इंडिया का यह तीसरा विकेट 114 रन के कुल योग पर गिरा। पारी की दूसरी ही गेंद पर वीरेंद्र सहवाग मलिंगा की गेंद पर पगबाधा करार दिए गए। बड़े मैचों के बड़े खिलाड़ी महेला जयवर्द्धने की रणनीति और आक्रामकता से भरी शतकीय पारी और पुछल्ले बल्लेबाजों के धमाल से श्रीलंका ने विश्व कप फाइनल में भारत की शुरुआती कसाव को आखिर में ढीला करके छह विकेट पर 274 रन का अच्छा स्कोर खड़ा किया। जयवर्द्धने ने 17वें ओवर में तब क्रीज पर कदम रखा, जब श्रीलंका का स्कोर दो विकेट पर 60 रन था। उन्होंने 88 गेंद पर नाबाद 103 रन की पारी खेली और इस दौरान कप्तान कुमार संगकारा (48), तिलन समरवीरा (21) और नुवान कुलशेखरा (32) के साथ अर्द्धशतकीय साझेदारियां कीं। इनके अलावा तिलकरत्ने दिलशान ने 33 रन, जबकि तिसारा परेरा ने आखिर में नौ गेंद पर नाबाद 22 रन ठोके। भारतीय गेंदबाज ने शुरू में जितना कसी हुई गेंदबाजी की, स्लॉग ओवरों में वे उतने ही ढीले साबित हुए। जहीर खान ने अपने पहले पांच ओवर में तीन मेडन किए और छह रन देकर एक विकेट लिया, लेकिन अंतिम पांच ओवर में वह 54 रन दे गए। श्रीलंका ने पावरप्ले के आखिरी पांच ओवर में 63 रन बनाए। वानखेड़े स्टेडियम में टॉस को लेकर शुरुआती असमंजस के बाद कुमार संगकारा टॉस के बॉस बने और उन्होंने विश्व कप फाइनल की परंपरा को जारी रखते हुए पहले बल्लेबाजी का ही फैसला किया। यह अलग बात है कि श्रीलंकाई पारी की शुरुआत में उसकी मशहूर सलामी जोड़ी नहीं, बल्कि जहीर का जलवा और भारतीय क्षेत्ररक्षकों की फुर्ती का बेजोड़ नमूना देखने को मिला। अलबत्ता आखिरी 15 ओवरों में गेंदबाज और क्षेत्ररक्षक दोनों फीके पड़ गए थे, जिससे श्रीलंका अच्छा स्कोर खड़ा करने में सफल रहा। भारतीयों का क्षेत्ररक्षण शुरू में देखने लायक था। युवराज सिंह में जोंटी रोड्स की झलक दिखी, तो बाकी भी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते थे। श्रीसंत ने इस टूर्नामेंट का पहला मैच खेला। आशीष नेहरा के चोटिल होने के कारण श्रीसंत की वापसी संभव हो पाई थी। श्रीसंत ने हमेशा की तरह कुछ जानदार गेंद की तो कुछ अवसरों पर उनकी लाइन व लेंग्थ गड़बड़ाती रही। पहले दिलशान ने और फिर संगकारा ने उनको निशाना बनाने की कोशिश की, लेकिन जहीर ने दूसरे छोर से दबाव बनाए रखा। जहीर के हटने से बल्लेबाजों ने दबाव हटाने की कोशिश की और ऐसे में महेंद्र सिंह धोनी ने हरभजन सिंह को गेंद सौंप जिनके लिए मुंबई दूसरा घर जैसा है। हरभजन की लूप लेती गेंद पर दिलशान ने स्वीप करने का प्रयास किया, लेकिन वह पूरी तरह चूककर बोल्ड हो गए। अब श्रीलंका के दो दिग्गज संगकारा और जयवर्द्धने क्रीज पर थे। इन दोनों ने बड़ी कुशलता से स्कोर आगे बढ़ाने की सोची-समझी रणनीति अपनाई। दोनों के बीच जब 11 ओवर में 62 रन की साझेदारी हो गई थी, तब इस टूर्नामेंट में भारत के ट्रंप कार्ड युवराज ने वानखेड़े स्टेडियम में जोश भरा। संगकारा ने उन पर दो रन लिए, चौका जड़ा लेकिन आखिर में कट करने के प्रयास में विकेट के पीछे धोनी को कैच थमा गए। आखिर में 38वें ओवर में धोनी ने फिर से जहीर को गेंद थमा दी, लेकिन वह युवराज थे, जिन्हें इस साझेदारी को तोड़ने का श्रेय मिला। ऑस्ट्रेलियाई अंपायर साइमन टॉफेल ने समरवीरा के खिलाफ पगबाधा की उनकी अपील सिरे से नकार दी। भारत ने रेफरल मांगा, जिससे पता चल गया कि गेंद लाइन में थी और मिडिल स्टंप पर लग रही थी। टॉफेल को अपना फैसला बदलना पड़ा। युवराज ने फिर पांचवें गेंदबाज की भूमिका बखूबी निभाकर 49 रन देकर दो विकेट लिए और टूर्नामेंट में कुल 15 विकेट लेने में सफल रहे। जहीर का अगला ओवर काफी कसा हुआ था, जिसमें उन्होंने अपनी तेजी में बदलाव का अच्छा नमूना पेश करके नए बल्लेबाज चमारा कापुगेदारा को शॉर्ट एक्स्ट्रा कवर पर रैना को कैच देने के लिए मजबूर किया। इस विकेट के साथ ही जहीर ने टूर्नामेंट में सर्वाधिक विकेट लेने में शाहिद आफरीदी की बराबरी की। जयवर्द्धने ने हालांकि कुलशेखरा के साथ आक्रमण की धज्जियां उड़ाते हुए आठ ओवर में 66 रन जोड़ दिए। जहीर ने अंतिम दो ओवर में 35 रन दिए। कापुगेदारा ने 48वें ओवर में उन पर पारी का पहला छक्का जड़ा, जबकि जयवर्द्धने ने लगातार दो चौके जड़कर विश्व कप में तीसरा और वनडे में 14वां शतक पूरा किया।(इनपुट एजेंसियों से भी)
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