'पबजी खेल सकते हैं तो चेस क्यों नहीं?' जल्दी ही खुलेगी नेशनल चेस अकादमी

भारतीय शतरंज संघ के नए अध्यक्ष डॉ संजय कपूर से NDTV संवाददाता विमल मोहन की खास बातचीत

'पबजी खेल सकते हैं तो चेस क्यों नहीं?' जल्दी ही खुलेगी नेशनल चेस अकादमी

प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली:

क्रिकेट की ही तर्ज पर अब भारतीय शतरंज संघ चेस प्रीमियर लीग के आयोजन की बात कर रहा है. भारतीय शतरंज संघ के नए अध्यक्ष डॉ संजय कपूर इस खेल को लेकर भारत में नयी योजनाएं बना रहे हैं. उनका कहना है कि कोरोना के दौर में भारत में चेस बोर्ड की बिक्री पिछले साल 500 गुणा बढ़ गयी. वो भारत के सरकारी स्कूलों में शतरंज को पाठ्यक्रम में शामिल किये जाने के लिए केन्द्रीय शिक्षा मंत्री से बात भी कर रहे हैं. उनका मानना है कि भारत की युवा पीढ़ी ऑनलाइन गेम में दिलचस्पी रखती है तो इस गेम को भी ज़रूर खेलना चाहेगी. भारतीय शतरंज संघ के नये अध्यक्ष डॉ. संजय कपूर ने NDTV संवाददाता विमल मोहन से खास बात में अपनी योजनाओं पर रोशनी डाली. 

सवाल: आपको भारत में शतरंज से अचानक क्यों उम्मीदें बढ़ी हैं?
संजय कपूर : देखिए भारतीय शतरंज में इससे पहले भले ही बड़ा नहीं सोचा गया हो या नहीं हो पाया हो, लेकिन हमें लगता है कि इस खेल को लेकर भारत में बहुत संभावनाएं हैं. कोरोना महामारी के दौरान दूसरे खेलों को भले ही नुकसान हुआ हो, लेकिन चेस बोर्ड की बिक्री क़रीब 500 गुणा बढ़ गई. भारत की युवा पीढ़ी ई-गेम्स खेलती है. इंटरनेट का भरपूर इस्तेमाल करती है. अगर बच्चे 'पबजी' जैसे खेल खेल सकते हैं तो शतरंज क्यों नहीं खेल सकते.

सवाल: चेस को लेकर क्या नई योजनाएं हैं? 
संजय कपूर: हम चाहते हैं कि इस खेल में भारत दुनिया में अव्वल स्थान हासिल करे. इसके लिए हमें सभी स्कूलों के पाठ्यक्रम में इसे शामिल करना होगा. हम शिक्षामंत्री रमेश पोखरियाल निशंक जी से इस बारे में बात भी कर रहे हैं. यही नहीं, नेशनल क्रिकेट अकादमी की तर्ज पर हमने नेशनल चेस अकादमी की भी योजनाएं बनाई हैं. हमने कई राज्यों से इस बारे में बात भी की है.

सवाल: आपको नहीं लगता कि इस खेल की लोकप्रियता एक बड़ी चुनौती है...
संजय कपूर: मेरा मानना है कि मीडिया का इसमें बड़ा रोल है. हम जल्दी ही IPL की तर्ज पर CPL यानी चेस प्रीमियर लीग की बात भी कर रहे हैं. हमारी कुछ स्पांसर्स से बात भी हुई है. जल्दी ही हम इस बारे में आपको विस्तार से बताएंगे. देखिए भारत में इस खेल के 60 से ज़्यादा ग्रैंड मास्टर हैं, क़रीब 125 इंटरनेशनल मास्टर, 20 वूमन ग्रैंडमास्टर, 42 वूमन इंटरनेशनल मास्टर और 33000 से ज़्यादा रेटेड प्लेयर्स हैं. इन सबको इनका श्रेय दिलाना है. इस खेल को बुलंदी पर ले जाना है. ये ग्लैमरस स्पोर्ट नहीं है लेकिन इस खेल की अहमियत कम नहीं है. 

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सवाल: विश्वनाथन आनंद या दूसरे ग्रैंडमास्टर इस बारे में क्या कह रहे हैं..
संजय कपूर: सुपर ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद, ग्रैंडमास्टर कोनेरू हंपी जैसे सभी दिग्गजों को हमसे बहुत उम्मीदें हैं. हमें उम्मीद है कि हम उनकी कसौटियों पर खरा उतरेंगे और इस खेल को जल्दी ही भारत के ज़रिये दुनिया भर में एक अलग मुकाम हासिल होगा.