ओलिंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला मुक्केबाज बनी एमसी मैरी कॉम कांस्य से खुश नहीं हैं और उनका मानना है कि यदि सेमीफाइनल मुकाबले के दौरान वह ‘कनफ्यूज’ नहीं हुई होतीं तो पदक का रंग दूसरा होता।
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नई दिल्ली:
ओलिंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला मुक्केबाज बनी एमसी मैरी कॉम कांस्य से खुश नहीं हैं और उनका मानना है कि यदि सेमीफाइनल मुकाबले के दौरान वह ‘कनफ्यूज’ नहीं हुई होतीं तो पदक का रंग दूसरा होता।
लंदन ओलिंपिक खेलों में महिला मुक्केबाजी ने पदार्पण किया और मैरी कॉम अकेली भारतीय चुनौती पेश कर रही थीं।
पांच बार की विश्व चैम्पियन ने 51 किलो फ्लायवेट वर्ग में कांस्य जीता, लेकिन चैम्पियन बनने की आदी मैरी कॉम को कांस्य गंवारा नहीं है।
भारत पहुंचने के बाद उन्होंने कहा, मुझे खुशी है कि कांस्य पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला मुक्केबाज बनी, लेकिन मुझे दुख है कि स्वर्ण नहीं जीत सकी। पता नहीं सेमीफाइनल के दौरान क्या हुआ था। मेरा शरीर साथ नहीं दे रहा था। मैं बहुत कनफ्यूज भी थी। हवाई अड्डे पर सैकड़ों प्रशंसकों ने मैरी कॉम का स्वागत किया। उनके साथ उसके पति ओनलेर कॉम और मां अखाम कॉम भी थीं। मैरी कॉम को सेमीफाइनल में इंग्लैंड की दो बार की विश्व चैम्पियन निकोला एडम्स ने 11-6 से हराया।
उस मुकाबले के बारे में मैरी कॉम ने कहा, मैं कभी भी मुकाबले से पहले नर्वस नहीं होती, पर उस दिन पता नहीं मुझे क्या हो गया था। मैं बता नहीं सकती। मैं आक्रमण नहीं कर पा रही थी। शायद इसकी वजह दर्शक भी थे, जो निकोला का समर्थन कर रहे थे। आमतौर पर दर्शकों के बर्ताव का मुझ पर असर नहीं होता, लेकिन सेमीफाइनल में हुआ।
मैरी कॉम ने कहा, मैंने जो भी सपने देखे थे, पूरे हो गए। मैं ओलिंपिक में स्वर्ण जीतना चाहती थी, लेकिन कांस्य से भी खुश हूं, क्योंकि यह हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला हूं। मैरी कॉम ने हालांकि स्पष्ट किया कि सपने सच होने के मायने यह नहीं है कि वह संन्यास के बारे में सोच रही हैं।
उन्होंने कहा, मैं रियो दि जिनेरियो में होने वाले अगले ओलिंपिक तक खेलना चाहती हूं। पता नहीं शरीर साथ देगा या नहीं, लेकिन अगर खेल सकी तो वहां स्वर्ण जीतने की कोशिश करूंगी। पांच विश्व खिताब की तुलना ओलिंपिक कांस्य से करने के सवाल पर मैरी कॉम ने कहा कि ओलिंपिक में पोडियम पर रहने के रोमांच की कोई तुलना नहीं हो सकती।
उन्होंने कहा, ओलिंपिक पदक मेरे लिए बहुत खास है। विश्व खिताब भी बहुत मायने रखते हैं, लेकिन ओलिंपिक पदक की बात ही कुछ और है। यह सर्वोच्च सम्मान है।
मैरी कॉम ने कहा, मैंने अपने जीवन में जितनी मेहनत की है, यह उसका शानदार फल है। भगवान मुझ पर मेहरबान रहा है। इस जीत के जश्न के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि एक बार सम्मान समारोह और मीडिया से बातचीत का दौर खत्म हो जाए तो वह अपने शहर की चर्च में ईश्वर को धन्यवाद देने के लिए प्रार्थना का आयोजन करेंगी।
उन्होंने कहा, मुझे नहीं पता कि जश्न मनाने का समय कब मिलेगा, क्योंकि बहुत सारी व्यस्तताएं हैं, लेकिन घर लौटने पर क्रिसमस से पहले मैं ईश्वर को धन्यवाद देने के लिए चर्च में प्रार्थना करूंगी।
लंदन ओलिंपिक खेलों में महिला मुक्केबाजी ने पदार्पण किया और मैरी कॉम अकेली भारतीय चुनौती पेश कर रही थीं।
पांच बार की विश्व चैम्पियन ने 51 किलो फ्लायवेट वर्ग में कांस्य जीता, लेकिन चैम्पियन बनने की आदी मैरी कॉम को कांस्य गंवारा नहीं है।
भारत पहुंचने के बाद उन्होंने कहा, मुझे खुशी है कि कांस्य पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला मुक्केबाज बनी, लेकिन मुझे दुख है कि स्वर्ण नहीं जीत सकी। पता नहीं सेमीफाइनल के दौरान क्या हुआ था। मेरा शरीर साथ नहीं दे रहा था। मैं बहुत कनफ्यूज भी थी। हवाई अड्डे पर सैकड़ों प्रशंसकों ने मैरी कॉम का स्वागत किया। उनके साथ उसके पति ओनलेर कॉम और मां अखाम कॉम भी थीं। मैरी कॉम को सेमीफाइनल में इंग्लैंड की दो बार की विश्व चैम्पियन निकोला एडम्स ने 11-6 से हराया।
उस मुकाबले के बारे में मैरी कॉम ने कहा, मैं कभी भी मुकाबले से पहले नर्वस नहीं होती, पर उस दिन पता नहीं मुझे क्या हो गया था। मैं बता नहीं सकती। मैं आक्रमण नहीं कर पा रही थी। शायद इसकी वजह दर्शक भी थे, जो निकोला का समर्थन कर रहे थे। आमतौर पर दर्शकों के बर्ताव का मुझ पर असर नहीं होता, लेकिन सेमीफाइनल में हुआ।
मैरी कॉम ने कहा, मैंने जो भी सपने देखे थे, पूरे हो गए। मैं ओलिंपिक में स्वर्ण जीतना चाहती थी, लेकिन कांस्य से भी खुश हूं, क्योंकि यह हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला हूं। मैरी कॉम ने हालांकि स्पष्ट किया कि सपने सच होने के मायने यह नहीं है कि वह संन्यास के बारे में सोच रही हैं।
उन्होंने कहा, मैं रियो दि जिनेरियो में होने वाले अगले ओलिंपिक तक खेलना चाहती हूं। पता नहीं शरीर साथ देगा या नहीं, लेकिन अगर खेल सकी तो वहां स्वर्ण जीतने की कोशिश करूंगी। पांच विश्व खिताब की तुलना ओलिंपिक कांस्य से करने के सवाल पर मैरी कॉम ने कहा कि ओलिंपिक में पोडियम पर रहने के रोमांच की कोई तुलना नहीं हो सकती।
उन्होंने कहा, ओलिंपिक पदक मेरे लिए बहुत खास है। विश्व खिताब भी बहुत मायने रखते हैं, लेकिन ओलिंपिक पदक की बात ही कुछ और है। यह सर्वोच्च सम्मान है।
मैरी कॉम ने कहा, मैंने अपने जीवन में जितनी मेहनत की है, यह उसका शानदार फल है। भगवान मुझ पर मेहरबान रहा है। इस जीत के जश्न के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि एक बार सम्मान समारोह और मीडिया से बातचीत का दौर खत्म हो जाए तो वह अपने शहर की चर्च में ईश्वर को धन्यवाद देने के लिए प्रार्थना का आयोजन करेंगी।
उन्होंने कहा, मुझे नहीं पता कि जश्न मनाने का समय कब मिलेगा, क्योंकि बहुत सारी व्यस्तताएं हैं, लेकिन घर लौटने पर क्रिसमस से पहले मैं ईश्वर को धन्यवाद देने के लिए चर्च में प्रार्थना करूंगी।
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