नई दिल्ली:
भारत के पहले अर्जुन पुरस्कार विजेता एथलीटों में से एक गुरबचन सिंह रंधावा 77 साल की उम्र में भी स्कूली स्तर के टैलेंट को तराशने में जुटे हुए हैं. 1962 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने और टोक्यो ओलिंपिक में 110 मीटर हर्डल्स में पांचवें नंबर पर रहने वाले वाले गुरबचन सिंह रंधावा को दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में नियमपूर्वक स्कूली स्तर के होनहार एथलीट मसलन तेजस्विन शंकर (हाई जंप) और बेअंत सिंह (800 मीटर) जैसे एथलीटों को कोचिंग देते देखा जा सकता है.
रंधावा, पूर्व भारतीय फ़ुटबॉल कप्तान बाइचुंग भूटिया और पूर्व भारतीय क्रिकेटर चेतन शर्मा एक मंच पर आकर स्कूली प्रतिभाओं को तलाशने और उन्हें निखारने का बीड़ा उठा रहे हैं. दरअसल स्कूल स्पोर्ट्स प्रोमोशन फाउंडेशन नाम की संस्था को खेल मंत्रालय और नेशनल स्पोर्ट्स प्रोमोशन ऑर्गेनाइज़ेशन ने मान्यता देकर इन दिग्गजों को स्कूल स्तर के
खेल को पटरी पर लाने की ज़िम्मेदारी सौंपी है. स्कूल स्पोर्ट्स प्रोमोशन बोर्ड (SSPF) इस साल 25 राज्यों के क़रीब 300 ज़िलों से 2 लाख बच्चों को मैदान पर लाकर इन दिग्गजों को उनके बीच से टैलेंट चुनने का मौक़ा देगा. ये स्कूली बच्चे जनवरी और अप्रैल के बीच क्रिकेट, फ़ुटबॉल, एथलेटिक्स, वॉलीबॉल और बास्केटबॉल जैसे खेलों में क़रीब 16000 मैचों में हिस्सा लेंगे. SSPF के चेयरमैन ओम पाठक बताते हैं कि स्कूली खेलों से जुड़ी उनकी ये संस्था खेलों से जुड़ी पहली ऐसी आत्मनिर्भर संस्था है जिसे सरकार से मान्यता हासिल हुई है और जिसका कई दिग्गज खिलाड़ी समर्थन कर रहे हैं.
भारत के पूर्व कप्तान भूटिया इस तरह की पहल को लेकर बेहद उत्साहित हैं. उनका मानना है कि इस तरह की कोशिशों से स्कूली बच्चों के माता-पिता भी खेल की अहमियत समझ सकेंगे. भारतीय खेल प्राधिकरण यानी SAI के अधिकारी भी उम्मीद जता रहे हैं कि इससे स्कूली स्तर के खेलों को सही बढ़ावा मिल सकेगा.
पिछले साल इस योजना के तहत देश भर के 20 राज्यों के 2000 से ज़्यादा स्कूलों के 20,000 से ज़्यादा बच्चों ने क्रिकेट और फ़ुटबॉल जैसे खेलों में हिस्सा लिया था. इस बार बेहतर योजना और ज़्यादा खिलाड़ियों से बेहतर टैलेंट मिलने की उम्मीद की जा रही है.
रंधावा, पूर्व भारतीय फ़ुटबॉल कप्तान बाइचुंग भूटिया और पूर्व भारतीय क्रिकेटर चेतन शर्मा एक मंच पर आकर स्कूली प्रतिभाओं को तलाशने और उन्हें निखारने का बीड़ा उठा रहे हैं. दरअसल स्कूल स्पोर्ट्स प्रोमोशन फाउंडेशन नाम की संस्था को खेल मंत्रालय और नेशनल स्पोर्ट्स प्रोमोशन ऑर्गेनाइज़ेशन ने मान्यता देकर इन दिग्गजों को स्कूल स्तर के
खेल को पटरी पर लाने की ज़िम्मेदारी सौंपी है. स्कूल स्पोर्ट्स प्रोमोशन बोर्ड (SSPF) इस साल 25 राज्यों के क़रीब 300 ज़िलों से 2 लाख बच्चों को मैदान पर लाकर इन दिग्गजों को उनके बीच से टैलेंट चुनने का मौक़ा देगा. ये स्कूली बच्चे जनवरी और अप्रैल के बीच क्रिकेट, फ़ुटबॉल, एथलेटिक्स, वॉलीबॉल और बास्केटबॉल जैसे खेलों में क़रीब 16000 मैचों में हिस्सा लेंगे. SSPF के चेयरमैन ओम पाठक बताते हैं कि स्कूली खेलों से जुड़ी उनकी ये संस्था खेलों से जुड़ी पहली ऐसी आत्मनिर्भर संस्था है जिसे सरकार से मान्यता हासिल हुई है और जिसका कई दिग्गज खिलाड़ी समर्थन कर रहे हैं.
भारत के पूर्व कप्तान भूटिया इस तरह की पहल को लेकर बेहद उत्साहित हैं. उनका मानना है कि इस तरह की कोशिशों से स्कूली बच्चों के माता-पिता भी खेल की अहमियत समझ सकेंगे. भारतीय खेल प्राधिकरण यानी SAI के अधिकारी भी उम्मीद जता रहे हैं कि इससे स्कूली स्तर के खेलों को सही बढ़ावा मिल सकेगा.
पिछले साल इस योजना के तहत देश भर के 20 राज्यों के 2000 से ज़्यादा स्कूलों के 20,000 से ज़्यादा बच्चों ने क्रिकेट और फ़ुटबॉल जैसे खेलों में हिस्सा लिया था. इस बार बेहतर योजना और ज़्यादा खिलाड़ियों से बेहतर टैलेंट मिलने की उम्मीद की जा रही है.
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