तस्वीर सौजन्य : PTI
नई दिल्ली:
गुरुवार को 20वें फेडरेशन कप राष्ट्रीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 100 मीटर की फर्राटेदार स्प्रिंटर दूती चंद का दबदबा रहा। उन्होंने 100 मीटर की रेस को 11.33 सेकेंड में पूरी करके 16 साल का पुराना राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ दिया लेकिन इसके बावजूद वह रियो ऑलिंपिक्स के लिए सीट नहीं झटक पाईं। ओडिशा के बेहद गरीब परिवार की दूती चंद का यह प्रदर्शन इसलिए लिहाज से भी खास है क्योंकि 2015 में ही उन्होंने लिंग विवाद (पुरुष हार्मोन की मात्रा ज़्यादा होने) पर अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ के ख़िलाफ़ मुक़दमा जीता था।
महिलाओं के 100 मीटर फायनल की अगुवाई करने वाली चंद ने अपनी रेस 11.33 सेकेंड में पूरी की लेकिन ओलिंपिक्स के लिए क्वॉलिफायिंग स्तर 11.32 सेकेंड्स का है जिससे वह चूक गईं। हालांकि अच्छी बात यह रही कि इस कोशिश में चंद ने 16 साल पुराना राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा जो 11.38 सेकेंड्स के साथ रचिता मिस्त्री के नाम था।
ख़ास रहा दूती का प्रदर्शन
ओड़िशा में एक बुनकर परिवार से ताल्लुक रखने वाली चंद के लिए कल का खेल बहुत अहम था। दिलचस्प यह है कि अगर चंद ऑलिंपिक्स के लिए सीट पा लेंती तो 100 मीटर में क्वॉलिफाई करने वाली भारत की पहली महिला होती। ऐसा इसलिए क्योंकि क्वॉलिफिकेशन स्टैंडर्ड की शुरूआत ही 20 साल पहले हुई है। वैसे याद करें तो 1980 के मॉस्को ऑलिंपिक्स में आखिरी बार भारत की ओर से पीटी उषा और अदीले सुमरीवाला ने हिस्सा लिया था। दूती चंद का यह प्रदर्शन उनके लिए इसलिए भी खास है क्योंकि 2015 में ही ओड़िशा की इस खिलाड़ी ने लिंग विवाद (पुरुष हार्मोन की मात्रा ज़्यादा होने) पर अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ के ख़िलाफ़ मुक़दमा जीता था।
गुरुवार के प्रदर्शन के बाद 20 साल की चंद ने कहा कि 'मैं यहां राष्ट्रीय रिकॉर्ड और ओलिंपिक्स दोनों के लिए आई थी। अफसोस है कि रियो के लिए सीट नहीं हासिल कर पाई लेकिन मैं उसके काफी करीब थी यह सोचकर ही मुझे लग रहा है कि मैं सही दिशा में आगे बढ़ रही हूं।' ऐसा कहा जा रहा था कि 'लिंग मामले' को लेकर IOC और IAAF एक बार फिर नया रुख़ अपनाने वाले हैं लेकिन ऐसी रिपोर्ट निराधार निकलीं।
महिलाओं के 100 मीटर फायनल की अगुवाई करने वाली चंद ने अपनी रेस 11.33 सेकेंड में पूरी की लेकिन ओलिंपिक्स के लिए क्वॉलिफायिंग स्तर 11.32 सेकेंड्स का है जिससे वह चूक गईं। हालांकि अच्छी बात यह रही कि इस कोशिश में चंद ने 16 साल पुराना राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा जो 11.38 सेकेंड्स के साथ रचिता मिस्त्री के नाम था।
ख़ास रहा दूती का प्रदर्शन
ओड़िशा में एक बुनकर परिवार से ताल्लुक रखने वाली चंद के लिए कल का खेल बहुत अहम था। दिलचस्प यह है कि अगर चंद ऑलिंपिक्स के लिए सीट पा लेंती तो 100 मीटर में क्वॉलिफाई करने वाली भारत की पहली महिला होती। ऐसा इसलिए क्योंकि क्वॉलिफिकेशन स्टैंडर्ड की शुरूआत ही 20 साल पहले हुई है। वैसे याद करें तो 1980 के मॉस्को ऑलिंपिक्स में आखिरी बार भारत की ओर से पीटी उषा और अदीले सुमरीवाला ने हिस्सा लिया था। दूती चंद का यह प्रदर्शन उनके लिए इसलिए भी खास है क्योंकि 2015 में ही ओड़िशा की इस खिलाड़ी ने लिंग विवाद (पुरुष हार्मोन की मात्रा ज़्यादा होने) पर अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ के ख़िलाफ़ मुक़दमा जीता था।
गुरुवार के प्रदर्शन के बाद 20 साल की चंद ने कहा कि 'मैं यहां राष्ट्रीय रिकॉर्ड और ओलिंपिक्स दोनों के लिए आई थी। अफसोस है कि रियो के लिए सीट नहीं हासिल कर पाई लेकिन मैं उसके काफी करीब थी यह सोचकर ही मुझे लग रहा है कि मैं सही दिशा में आगे बढ़ रही हूं।' ऐसा कहा जा रहा था कि 'लिंग मामले' को लेकर IOC और IAAF एक बार फिर नया रुख़ अपनाने वाले हैं लेकिन ऐसी रिपोर्ट निराधार निकलीं।
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