'मैं धर्मगुरुओं से नहीं डरता' - कुर्बानी पर दिए बयान पर विवाद के बाद इरफान खान का जवाब

'मैं धर्मगुरुओं से नहीं डरता' - कुर्बानी पर दिए बयान पर विवाद के बाद इरफान खान का जवाब

इरफान ख़ान (फाइल फोटो)

खास बातें

  • हम रिवाज़ों का असल मतलब भूल गए हैं : इरफान
  • आतंकवाद की दुकान चलाने वालों के खिलाफ फतवा
  • धर्म गुरुओं ने इरफान के बयान का विरोध किया
जयपुर:

बॉलीवुड अभिनेता इरफान खान ने कुर्बानी से जुड़े अपने बयान पर मिल रही आलोचना का जवाब देते हुए कहा है कि वह धर्मगुरुओं से नहीं डरते क्योंकि वह धार्मिक ठेकेदारों द्वारा चलाए जा रहे देश में नहीं रहते हैं। दरअसल बकरीद पर होने वाली कुर्बानी पर सवाल उठाती हुई अभिनेता इरफान खान की टिप्पणी पर कुछ धर्मगुरुओं ने तीखा जवाब देते हुए उनसे सिर्फ अपने काम पर ध्यान देने को कहा है। लेकिन इरफान ने शनिवार को इसके जवाब में फेसबुक पर लिखी एक पोस्ट में कहा कि वह धर्मगुरुओं द्वारा चलाए जाने वाले देश में नहीं रह रहे हैं।

इरफान ने लिखा ‘कृपया भाइयों, जो भी मेरे बयान से दुखी हैं, या तो आप आत्मविश्लेषण के लिए तैयार नहीं हैं, या फिर आपको निष्कर्ष तक पहुंचने की बहुत जल्दी है। मेरे लिए धर्म व्यक्तिगत आत्मविश्लेषण है, यह करुणा, ज्ञान और संयम का स्रोत है, यह रूढ़ीवादिता और कट्टरता नहीं है। धर्मगुरुओं से मुझे डर नहीं लगता। शुक्र है भगवान का कि मैं धर्म के ठेकेदारों द्वारा चलाए जाने वाले देश में नहीं रहता।’



बता दें कि दो दिन पहले इरफान ने जयपुर में अपनी आगामी फिल्म 'मदारी' के प्रमोशन के दौरान बकरीद पर होने वाली कुर्बानी प्रथा पर अपनी राय रखी थी। इरफान अपनी आने वाली फिल्म 'मदारी' के प्रमोशन के लिए जयपुर पहुंचे हुए थे। पत्रकारों से बातचीत के दौरान इरफान ने कहा 'जितने भी रीति-रिवाज, त्यौहार हैं, हम उनका असल मतलब भूल गए हैं, हमने उनका तमाशा बना दिया है। कुर्बानी एक अहम त्यौहार है। कुर्बानी का मतलब बलिदान करना है। किसी दूसरे की जान कुर्बान करके मैं और आप भला क्या बलिदान कर रहे हैं?'

इरफान ने कहा था कि 'जिस वक्त यह प्रथा चालू हुई होगी, उस वक्त भेड़-बकरे भोजन के मुख्य स्रोत थे। तमाम लोग थे जिन्हें खाने को नहीं मिलता था। उस वक्त भेड़-बकरे की कुर्बानी एक तरह से अपनी कोई अज़ीज़ चीज़ कुर्बान करना और दूसरे लोगों में बांटना था। आज के दौर में बाजार से दो बकरे खरीद कर लाए तो उसमें आपकी कुर्बानी क्या है। हर आदमी दिल से पूछे, किसी और की जान लेने से उसे कैसे सवाब मिल जाएगा, कैसे पुण्य मिलेगा।'

'इस्लाम को बदनाम करने वालों के नाम फतवा'
अपनी बात पूरी करते हुए इरफान ने कहा कि 'जो फतवा देने वाले लोग हैं, उन लोगों को इस्लाम के नाम को बदनाम करने वालों के खिलाफ फतवा देना चाहिए। उनके खिलाफ देना चाहिए जो आतंकवाद की दुकान चला रहे हैं, जिन्होंने आतंकवाद के बिजनेस खोल रखे हैं। मेरा सौभाग्य है कि मैं किसी ऐसे देश में नहीं रहता जहां धार्मिक कानून चलता है। मुझे इस पर गर्व है।'
 
इरफान के इस बयान पर कुछ इस्लामिक जानकारों ने आपत्ति जताई। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए जयपुर के शहर काजी खालिद उस्मानी ने कहा था‘इरफान अभिनेता हैं और उन्हें सिर्फ अपने काम पर ध्यान देना चाहिए। उन्हें धार्मिक ज्ञान नहीं है और उन्हें कुर्बानी या रमजान पर सवाल उठाने से पहले किसी धर्मगुरू से संपर्क कर इसके बारे में सीखना चाहिए था।’ उन्होंने कहा कि इस्लाम अस्पष्ट नहीं है और इरफान को अपना ज्ञान बढ़ाना चाहिए। जयपुर के इस्लामिक स्कॉलर अब्दुल लतीफ ने कहा है कि इरफान एक्टिंग के मास्टर हैं लेकिन धार्मिक मामलों के नहीं। उन्होंने जो कुछ कहा कि उसका कोई महत्व नहीं है और उन्हें अपने निजी स्वार्थ सिद्ध करने के लिए ऐसा नहीं कहना चाहिए था।


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