फाइल फोटो
अलवर:
राजस्थान के अलवर में शुक्रवार और शनिवार की रात गौ तस्करी के शक़ में रकबर नाम के जिस युवक की जान गई, उसमें पुलिस की भूमिका भी सवालों में हैं. एनडीटीवी की तफ़्तीश में जानकारी मिली है कि पुलिस घायल रकबर को सीधे अस्पताल भी नहीं ले गई, बल्कि ढाई घंटे से ज़्यादा समय तक यहां वहां घुमाती रही, वो अस्पताल तब पहुंचा जब उसकी मौत हो चुकी थी. पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में आने के बाद कांग्रेस ने इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की है.
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इस बीच, अलवर की हिंसा से जुड़ा एक गवाह अपना बयान बदलता नज़र आ रहा है. रकबर के साथी असलम ने एनडीटीवी से कहा था कि वो हमले के वक़्त मौजूद था, गोली चल रही थी, लोगों ने रकबर को मारा. वो डर गया और वहां से भाग कर छुप गया. उसने कहा कि उसने किसी को देखा नहीं. लेकिन पुलिस को दिए पर्चा बयान में उसने कहा है कि उसने इन लोगों को कहते सुना था कि हमारे साथ एमएलए साहब हैं, हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता. हालांकि ये गवाही अदालत में मान्य नहीं है.
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असलम ने पहले अपने बयान में कहा था, “ मैं गांव केलगांव का रहने वाला हूं. दिनांक 20/21-7-2018 की रात समय आधी रात के आस पास थी मैं व अकबर @ रकबर S/O सुलेमान जाति मेव (सुन्नी) निवासी केलगांव दोनों दो गाय दूध की ख़ानपुर से लेकर केलगांव आ रहे थे. दोनों गायों के साथ छोटे बछड़े थे. गांव लालावंडी से पक्की रोड से हरियाणा की तरफ़ आ रहे थे. सड़क पर एक बाइक आ रही थी. बाइक की आवाज़ से गायें उछल गईं और दोनों गायें निरमा(?) के खेत में भाग गईं. बाइक पर दो आदमी बैठकर सीधे जा रहे थे. जो बाइक पर आदमी बेठे थे वो सीधे ही चले गए. उस जगह पर पांच आदमी मिले थे जो आपस में नाम ले रहे थे. कह रहे थे सुरेश, विजय, परमजीत, नरेश, धर्मेंद्र कह कर पुकार रहे थे.”
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उसने अपने बयान में आगे कहा था, “ये लोग हम दोनों को पकड़ने लगे मुझे पकड़ लिया व अकबर @ रकबर को खेत में गिरा दिया था. मैं उनसे छुप कर निकला. रकबर के साथ लाठी डंडे से मारपीट करना शुरू किया. मैंने मारपीट की आवाज़ को सुना था मैं वहां से निकल गया।.रकबर के साथ इन लोगों द्वारा मारपीट करते देखा था. कह रहे थे कि हमारे साथ MLA साहब हैं. हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है. कह रहे थे कि इसमें आग लगा दो. इनके अलावा अन्य 2 लोग थे जिनको मैं नहीं जानता नाम नहीं ले रहे थे. इन्हीं लोगों ने रकबर को बम्बों(?) से मारा है.
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इस बीच, अलवर की हिंसा से जुड़ा एक गवाह अपना बयान बदलता नज़र आ रहा है. रकबर के साथी असलम ने एनडीटीवी से कहा था कि वो हमले के वक़्त मौजूद था, गोली चल रही थी, लोगों ने रकबर को मारा. वो डर गया और वहां से भाग कर छुप गया. उसने कहा कि उसने किसी को देखा नहीं. लेकिन पुलिस को दिए पर्चा बयान में उसने कहा है कि उसने इन लोगों को कहते सुना था कि हमारे साथ एमएलए साहब हैं, हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता. हालांकि ये गवाही अदालत में मान्य नहीं है.
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असलम ने पहले अपने बयान में कहा था, “ मैं गांव केलगांव का रहने वाला हूं. दिनांक 20/21-7-2018 की रात समय आधी रात के आस पास थी मैं व अकबर @ रकबर S/O सुलेमान जाति मेव (सुन्नी) निवासी केलगांव दोनों दो गाय दूध की ख़ानपुर से लेकर केलगांव आ रहे थे. दोनों गायों के साथ छोटे बछड़े थे. गांव लालावंडी से पक्की रोड से हरियाणा की तरफ़ आ रहे थे. सड़क पर एक बाइक आ रही थी. बाइक की आवाज़ से गायें उछल गईं और दोनों गायें निरमा(?) के खेत में भाग गईं. बाइक पर दो आदमी बैठकर सीधे जा रहे थे. जो बाइक पर आदमी बेठे थे वो सीधे ही चले गए. उस जगह पर पांच आदमी मिले थे जो आपस में नाम ले रहे थे. कह रहे थे सुरेश, विजय, परमजीत, नरेश, धर्मेंद्र कह कर पुकार रहे थे.”
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उसने अपने बयान में आगे कहा था, “ये लोग हम दोनों को पकड़ने लगे मुझे पकड़ लिया व अकबर @ रकबर को खेत में गिरा दिया था. मैं उनसे छुप कर निकला. रकबर के साथ लाठी डंडे से मारपीट करना शुरू किया. मैंने मारपीट की आवाज़ को सुना था मैं वहां से निकल गया।.रकबर के साथ इन लोगों द्वारा मारपीट करते देखा था. कह रहे थे कि हमारे साथ MLA साहब हैं. हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है. कह रहे थे कि इसमें आग लगा दो. इनके अलावा अन्य 2 लोग थे जिनको मैं नहीं जानता नाम नहीं ले रहे थे. इन्हीं लोगों ने रकबर को बम्बों(?) से मारा है.
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