राजस्थान में कांग्रेस के संकट में दो विधायकों के साथ एक क्षेत्रीय पार्टी एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभरी. भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) ने आज कांग्रेस से समर्थन वापस ले लिया, अपने विधायकों को सचिन पायलट खेमे में जाने से बचाने की कोशिश में लगी कांग्रेस पार्टी के लिए एक यह बड़ा झटका था. भारतीय ट्राइबल पार्टी के दो विधायक जिन्होंने पहले अशोक गहलोत का साथ देने के लिए अपनी पार्टी के आदेश भी अवहेलना कर दी थी. वो विधायक आज अपने निर्णय से पीछे हट गए और गहलोत का साथ देने से इनकार कर दिया. बीटीपी के एक विधायक ने दो बाकायदा वीडियो जारी कर कर कहा, "हमें एक तरह से कैद करके रखा हुआ है. हम बाहर जाना चाहते हैं. हमें यहां से निकलने नहीं दिया जा रहा है."
चौरासी विधानसभा के विधायक राजकुमार रोत ने अपने वीडियो में कहा, "राजस्थान विधानसभा में चौरासी विधानसभा के विधायक हूं. वर्तमान में राजस्थान में जो स्थिति पैदा हो चुकी है. अभी ये हाल है ये कि हमें एक तरह से कैद कर रखा है. आज तीन दिन हो गए हैं, हम लोग एमएलए क्वार्टर पर थे कई लोग कह रहे हैं, हमारे साथ चलो, हमारे साथ चलो और आज पुलिस प्रशासन की तीन से चार गाड़ियां हमारे साथ निकली मैं क्षेत्र के लिए निकला. लेकिन वो लोग निकलने नहीं दे रहे हैं. चारों तरफ गाड़ियां लगा दी गई है, मेरी गाड़ी की चाभी भी ले ली गई है. और दोनों तरफ पुलिस लगी हुई है. यह एक तरह की बदतमीजी की जा रही है.
#WATCH Rajkumar Roat, BTP (Bhartiya Tribal Party) MLA from Chorasi in a video, alleges police not letting him move, have taken his car keys and it's a hostage like situation. #Rajasthan pic.twitter.com/FBbBXCCQoy
— ANI (@ANI) July 14, 2020
सोमवार को, BTP प्रमुख महेश भाई वसावा ने अपने विधायकों को लिखा कि उनकी पार्टी विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के मामले में तटस्थ रहेगी. विधायकों को किसी भी फ्लोर टेस्ट को पूरी तरह से छोड़ने के लिए कहा गया था. दोनों विधायकों ने कहा कि वे अशोक गहलोत के साथ थे. उन्होंने कहा, "कुछ भ्रम की स्थिति है. अभी हम सरकार के साथ हैं. लेकिन हम अपने नेताओं से बात करने के बाद अंतिम निर्णय लेंगे." हाल ही में राज्यसभा चुनाव के दौरान, दोनों विधायकों ने कांग्रेस उम्मीदवारों को वोट दिया.
200 सदस्यों की संख्या वाली विधानसभा में कांग्रेस के पास अब सिर्फ 100 विधायकों का समर्थन हैं. तीन और विधायकों ने अशोक गहलोत गुट का साथ छोड़ दिया है. सचिन पायलट के बागी रुख अख्तियार करने से पहले अशोक गहलोत के पास कांग्रेस के 107 विधायक, 13 निर्दलीय और पांच अन्य छोटी पार्टियों का समर्थन हासिल था जो अब का समर्थन हासिल था. जिसमें अब केवल 100 विधायक गहलोत गुट में बचे हैं जिसमें से 90 कांग्रेस के 7 निर्दलीय और तीन अन्य छोटी पार्टियों के विधायक इसमें शामिल हैं.
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