सभी स्कूलों में सह-शैक्षिक गतिविधियों का आयोजन अनिवार्य होगा. (प्रतिकात्मक फोटो)
नई दिल्ली:
राजस्थान सरकार के एक फैसले पर बवाल मच गया है. विपक्ष इस फैसले की जोर-शोर से आलोचना कर रहा है और सरकार को घेरने में लगा हुआ है. दरअसल, राजस्थान के सरकारी स्कूलों में सह-शैक्षिक गतिविधियों के तहत हर तीसरे शनिवार को संत महात्माओं के प्रवचन आयोजित करने का निर्णय लिया गया है. वहीं, स्कूलों में पहले शनिवार को महापुरुषों का जीवन परिचय सुनाया जाएगा और दूसरे शनिवार को प्रेरणादायी कहानियां. इस सह-शैक्षिक गतिविधि का आयोजन राज्य के सभी सरकारी, गैर सरकारी, सीबीएसई एफ्लीएटेड स्कूल और आवासीय स्कूलों में अनिवार्य होगा. विशेष प्रशिक्षण कैंप और टीचिंग ट्रेनिंग स्कूल में भी यह लागू होगा. प्राइवेट स्कूल इसके आयोजन में सहयोग कर सकते हैं. राजस्थान के शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी के मुताबिक यह पहल बच्चों में नैतिक मूल्यों को लाने में मदद करेगी. इसी को ध्यान में रखते हुए इसकी शुरुआत की गई है.
यह भी पढ़ें : राजस्थान में अगले शैक्षणिक सत्र में जुड़ेगा परशुराम पर अध्याय
दूसरी तरफ, सरकार के इस सर्कुलर के बाद बवाल मच गया है. विपक्ष सरकार के इस फ़ैसले की आलोचना कर रहा है और तत्काल इस सर्कुलर को वापस लेने की मांग पर अड़ा है. आपको बता दें कि पिछले साल ही राजस्थान के प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूल शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा था कि राजस्थान में अगले शैक्षणिक सत्र में भगवान परशुराम के बारे में एक अध्याय जोड़ा जायेगा और उनकी जीवनी को पुस्तकालय में रखा जायेगा. अजमेर में भगवान परशुराम के जन्मदिवस पर आयोजित एक समारोह को सम्बोधित करते हुए देवनानी ने कहा था कि भगवान परशुराम के बारे में एक अध्याय का जोडने की प्रक्रिया इसी साल शुरू की जायेगी और अगले शैक्षणिक सत्र से स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम में इसे जोड़ दिया जायेगा. इस फैसले पर भी काफी सवाल उठे थे और काफी आलोचना हुई थी.
यह भी पढ़ें : इंदिरा गांधी की जन्मशती की तैयारियों के बीच राजस्थान के स्कूली बच्चों को पढ़ाई जाएगी एमरजेंसी
VIDEO: रणनीति : थियेटर में 'पद्मावत', सरकार दंडवत ?
यह भी पढ़ें : राजस्थान में अगले शैक्षणिक सत्र में जुड़ेगा परशुराम पर अध्याय
दूसरी तरफ, सरकार के इस सर्कुलर के बाद बवाल मच गया है. विपक्ष सरकार के इस फ़ैसले की आलोचना कर रहा है और तत्काल इस सर्कुलर को वापस लेने की मांग पर अड़ा है. आपको बता दें कि पिछले साल ही राजस्थान के प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूल शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा था कि राजस्थान में अगले शैक्षणिक सत्र में भगवान परशुराम के बारे में एक अध्याय जोड़ा जायेगा और उनकी जीवनी को पुस्तकालय में रखा जायेगा. अजमेर में भगवान परशुराम के जन्मदिवस पर आयोजित एक समारोह को सम्बोधित करते हुए देवनानी ने कहा था कि भगवान परशुराम के बारे में एक अध्याय का जोडने की प्रक्रिया इसी साल शुरू की जायेगी और अगले शैक्षणिक सत्र से स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम में इसे जोड़ दिया जायेगा. इस फैसले पर भी काफी सवाल उठे थे और काफी आलोचना हुई थी.
यह भी पढ़ें : इंदिरा गांधी की जन्मशती की तैयारियों के बीच राजस्थान के स्कूली बच्चों को पढ़ाई जाएगी एमरजेंसी
VIDEO: रणनीति : थियेटर में 'पद्मावत', सरकार दंडवत ?