जल जीवन मिशन मामले में एसीबी ने अपनी जांच की रफ्तार और तेज कर दी है गुरुवार को एसीबी की टीम जल भवन पहुंची, जहां उन्होंने JJM के चीफ इंजीनियर अजय सिंह राठौड़ से बातचीत करते हुए टेंडर प्रक्रिया और उससे जुड़े अलग-अलग पहलुओं को समझा. इसके साथ ही एसीबी ने इस मामले से जुड़े अलग-अलग लोगों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है.
कस्टडी में लिए टेंडर दस्तावेज
राजस्थान में जल जीवन मिशन का काम भले ही देश भर में पीछे के चुनिंदा राज्यों में जगह बना रहा हो, लेकिन मिशन के काम में हुआ भ्रष्टाचार कई जगह चर्चा में बढ़त जरूर बना रहा है. एसीबी में दर्ज 215 नंबर की FIR में कई पहलुओं पर जांच हो रही है. PHED में एसीबी के एसपी महेंद्र सिंह राणावत ने गुरुवार को जल जीवन मिशन के दफ्तर से टेंडर प्रक्रिया से जुड़े कुछ दस्तावेज भी अपनी कस्टडी में लिए हैं.
एसीबी की टीम जब PHED के दफ्तर पहुंची, तो एक बारगी तो वहां छापेमारी का हल्ला मच गया, लेकिन JJM का काम देख रहे चीफ इंजीनियर अजय सिंह राठौड़ बताते हैं कि छापेमारी जैसी कोई बात नहीं थी.
दरअसल साल 2019 से अभी तक JJM के जो काम हुए हैं, उन मामलों में एसीबी अपनी जांच कर रही है. राठौड़ ने कहा कि उसी से संबंधित प्रक्रिया को समझने और कुछ दस्तावेज लेने के लिए एसीबी की टीम आई थी.
ACB की जांच के खास पहलू
एसीबी की SIT इस मामले में चार प्रमुख पहलुओं पर जांच कर रही है.
20,000 करोड़ के टेंडर्स में विशेष शर्त्त की जाँच.
टेंडर लगने से पहले ही साईट इंस्पेक्शन की शर्त रखी थी.
बाद में वित्त विभाग ने इन टेंडर्स को निरस्त किया था.
बिना काम के करीब 50 करोड़ के फर्जी पेमेंट की जाँच.
PHED ने 139 अफसरों को दी जा रही चार्जशीट.
इरकॉन के फर्जी प्रमाण पत्र में भूमिका की जाँच.
ठेकेदार के घर पर मिली MB को लेकर जाँच.
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