राजस्थान में अपनी तरह की अनूठी सफारी शुरू होगी.
जयपुर:
दो वर्ष पहले सैकड़ों गायों की मौत से चर्चा में आई जयपुर की हिंगोंनिया गौशाला का कायाकल्प हो गया है और जल्दी ही वहां अपनी तरह की पहली काउ सफारी शुरू करने की योजना है. जिसमें बैलगाड़ी से 12 एकड़ के इलाके में स्थित गौशाला की सैर कराई जाएगी और इस दौरान गौशाला की विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी जाएगी. टाइगर सफारी और कैमल सफारी के बाद राज्य में काउ सफारी पर्यटकों के लिए एक नया आकर्षण बन सकती है। राजस्थान देश का एकमात्र राज्य है जहां गो कल्याण मंत्रालय है और उसी राज्य में दो वर्ष पहले गायों की दुर्दशा को इस कदर कोहराम मचा था कि उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से रपट तलब की थी। देश ही नहीं, विदेश के मीडिया ने भी इस मुद्दे को जमकर उछाला था। इस पूरे विवाद के बाद यह खबर अपने आप में सुखद एहसास देती है कि उसी गौशाला में इस वर्ष जन्माष्टमी से देश की पहली अनोखी बैलगाड़ी में ' काउ सफारी ' परियोजना शुरू की जायेगी। यहां यह तथ्य उल्लेखनीय है कि इस सारे विवाद के बाद गौशाला का रखरखाव और देखभाल अक्षयपात्र फाउंडेशन के हवाले कर दिया गया था और अब यहां मौजूद लगभग 22 हजार गाएं न सिर्फ बेहतर हालत में हैं , बल्कि उनमें बहुत सी पर्यटकों को दिखाने लायक भी हैं। गायों के लिए यहां विभिन्न परियोजनाओं पर काम चल रहा है।
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हिंगोनिया गौशाला के कार्यक्रम संयोजक राधा प्रिया दास ने बताया कि गौशाला का भ्रमण करने वाले लोगों की सफारी के लिये चुनिंदा रास्ते तय किये जायेंगे , जिसके तहत सफारी के दौरान प्राकृतिक स्थानों और पानी के स्त्रोत और अन्य प्रबंध किये जा रहे है। शुरू में तीन बैलगाड़ियां सफारी के लिये उपलब्ध कराई जायेगी। गौशाला के पेड़ों पर डिस्प्ले बोर्ड लगाये जायेंगे जिनमें गौशाला में उपलब्ध विभिन्न प्रकार की गायों के बारे में उल्लेख किया जायेगा। उन्होंने बताया कि आगामी दिनों में गौशाला में सोलर ऊर्जा का उपयोग करने के लिये सोलर पैनल स्थापित किये जायेंगे। दास ने बताया कि गौशाला में उपलब्ध लगभग 22 हजार गायों में से दस नस्ल की 200—300 गायों को सफारी क्षेत्र के लिये चुना गया है। उन्होंने बताया कि सफारी के दौरान लोग गायों को प्राकृतिक घरों में देख सकेंगे। गौशाला में कुछ समय के लिये रूकने और ठहरने की इच्छा रखने वाले पर्यटकों के लिये काटेज सुविधाओं का प्रबंध किया जायेगा। दास ने बताया कि परियोजना के लिये गीर और थारपारकर जैसी नस्लों की गायों को चुना गया है। आगामी दिनों में अन्य राज्यों से 20 तरह की अन्य किस्मों की गायों को यहां लाया जायेगा। उन्होंने बताया कि यह देश में अपनी तरह की पहली और अनोखी सफारी है।
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इसका उद्देश्य गायों और उनकी विभिन्न नस्लों के बारे में लोगों को जानकारी देना है। इसके जरिए गौ प्रेमियों को गायों को साथ समय बिताने का मौका भी मिलेगा। उन्होंने बताया कि बैलगाड़ी सफारी का लुत्फ उठाने के लिये परिवारों , विद्यार्थियों और अन्य पर्यटकों के आने की उम्मीद है। दास ने बताया कि गौशाला में विभिन्न नस्ल की गायें देश के पांच राज्यों आंध्रप्रदेश , गुजरात , हरियाणा , कर्नाटक , और तमिलनाडु से मंगाई जायेंगी। साथ ही राजस्थान के नागौर , जैसलमेर , बाड़मेर , बीकानेर और सांचौर से भी विभिन्न नस्ल की गायें मंगाई जायेगी। उन्होंने बताया कि गायों की विभिन्न नस्लों में गीरी , थारपारकर , राठी , साहीवाल , नागौरी , रेड सिंधी , आंगल सहित अन्य नस्लों की गायें गौशाला में रखी जायेगी। संयोजक के अनुसार, इस परियोजना पर लगभग 30 लाख रूपये खर्च होने की संभावना है , जिसे दानदाताओं और सफारी के लिये आने वाले पर्यटकों से होने वाली आय से पूरा किया जायेगा.
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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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