बीकानेर: राजस्थान के बीकानेर के लूणकरणसर तहसील में अरजनसर गांव के रहने वाला अजय गोदारा की रूस-यूक्रेन युद्ध में मौत हो गई. परिवारवालों से आखिरी बात करने के तीन महीने बाद अजय शव बुधवार को बीकानेर लाया गया है. वह पिछले साल नवंबर महीने में स्टडी वीजा पर रूस गया था और उसे पढ़ाई और किचन स्टाफ की नौकरी का झांसा देकर रूसी सेना में लेकर यूक्रेन की जंग में भेज दिया गया. अजय ने वीडियो जारी करके भारत सरकार से मदद भी मांगी थी.
किचन स्टाफ में दिया नौकरी का झांसा
परिजनों ने बताया कि अजय गोदारा 28 नवंबर 2024 को स्टडी वीज़ा पर रूस गया था. वहां पर उसकी मुलाकात एक महिला से हुई, जिसने किचन स्टाफ की नौकरी का झांसा देकर अजय को हर महीने 2 लाख रुपए सैलेरी देने का ऑफर किया. फिर जबरदस्ती रूस की सेना में भर्ती करवा दिया. इसके बाद फिर उसे यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध में भेज दिया गया. आखिरी बार करीब 4 महीने पहले बात हुई थी, उसके बाद कोई संपर्क नहीं हो पाया.

अजय का शव बुधवार को बीकानेर पहुंचा
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इस पर अजय के परिजनों ने उसका पता लगाने के लिए काफी मेहनत की. इस दौरान केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल से भी परिजनों ने बातचीत की और करीब 5 दिन तक दिल्ली में ही मेघवाल के घर पर रहे. खुद अर्जुनराम मेघवाल ने विदेश मंत्री से बात करके अजय की सुरक्षा के लिए कोशिश की. हालांकि, कोई खास सफलता नहीं मिली और अब अजय का शव उसके घर पहुंचा है. 10 दिसंबर अजय के परिजनों को फोन भी आया कि उसका शव जल्दी ही भारत भेजा जा रहा है.
वीडियो जारी करके मदद की लगाई थी गुहार
अजय के साथ कई अन्य लड़कों को रूसी सेना में शामिल करके यूक्रेन जंग में भेजा गया. 22 सितंबर को 2025 को अजय ने अपने परिजनों को फोन करके बताया कि कई लड़कों के साथ उसे यूक्रेन के साथ युद्ध में धकेल दिया गया है. कुछ दिन पहले अजय ने दो वीडियो संदेश में सरकार से मदद गुहार लगाई थी. एक वीडियो में उसने कहा कि मैंने इन लोगों से बोला कि हमारे कॉन्ट्रैक्ट में तीने महीने की ट्रेनिंग है, लेकिन जबरदस्ती जंग में लेकर जा रहे हैं. यह हमारा चारों का लास्ट वीडियो हो सकता है.
वहीं, दूसरे वीडियो में अजय ने कहा था, "8 दिन के बाद मैं नेटवर्क में आया हूं. मुझे यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए भेज दिया गया." उसने मिसाइल और ड्रोन हमलों का ज़िक्र करते हुए बताया कि हम ग्रुप में चार लोग थे, उनमें एक तो वहीं पर खत्म हो गया और दो भाग गए कहीं. मैं रास्ता भटक गया, मेरे बटालियन के लोग ढूंढ़ते-ढूंढ़ते 8 दिन के बाद मिले. पता नहीं मेरे साथ क्या होगा, मैंने बयान भी दे दिए कि मेरे साथ धोखा हुआ.
इनपुट- त्रिभुवन रंगा
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