पंजाब राजस्थान और हरियाणा से पानी पर रॉयल्टी लेने की तैयारी कर रहा है (प्रतीकात्मक फोटो ).
चंडीगढ़:
हरियाणा और राजस्थान को दिए जाने वाले पानी पर रॉयल्टी लगाने का मुद्दा केंद्र के समक्ष उठाने के पंजाब सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दिलाने के लिए राज्य की विधानसभा में पेश किया गया.
संसदीय मामलों के मंत्री मदन मोहन मित्तल (भाजपा) ने यह प्रस्ताव पेश किया, जिसका समर्थन शिरोमणि अकाली दल के निर्मल सिंह ने किया.
मित्तल ने राज्य के जल संबंधी मामलों पर चर्चा के लिए बुलाए गए विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान कहा, ‘‘रॉयल्टी हमारा कानूनी एवं स्थापित अधिकार है.’’ मित्तल ने हरियाणा और राजस्थान को होने वाली जलापूर्ति पर रायल्टी लगाने के लिए इस मामले को केन्द्र के समक्ष रखने हेतु विधान सभा की सिफारिश के अनुरोध का प्रस्ताव पेश किया.
कांग्रेस के विधायक सदन से नदारद थे क्योंकि इस पार्टी के सभी 42 विधायकों ने शीर्ष अदालत के फैसले के बाद विधान सभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था.
विधानसभा का सत्र उच्चतम न्यायालय के उस फैसले की पृष्ठभूमि में बुलाया गया था, जिसमें उसने पंजाब सरकार द्वारा सतलुज यमुना लिंक नहर जल बंटवारा समझौते को खत्म करते हुए वर्ष 2004 में पारित किए गए कानून को ‘असंवैधानिक’ करार दिया था.
पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने सभी दलों से एसवाईएल मुद्दे पर एकजुट रहने का अनुरोध किया है.. हालांकि उनके बेटे और उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि कांग्रेस इससे दूर भाग रही है.
पंजाब केबिनेट ने कल यह घोषणा की थी कि वह परियोजना के लिए अधिग्रहित जमीन को अधिसूचना के दायरे से बाहर कर देंगे और इसे इसके ‘‘मूल मालिकों’’ को बिना किसी कीमत के लौटा देंगे.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
संसदीय मामलों के मंत्री मदन मोहन मित्तल (भाजपा) ने यह प्रस्ताव पेश किया, जिसका समर्थन शिरोमणि अकाली दल के निर्मल सिंह ने किया.
मित्तल ने राज्य के जल संबंधी मामलों पर चर्चा के लिए बुलाए गए विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान कहा, ‘‘रॉयल्टी हमारा कानूनी एवं स्थापित अधिकार है.’’ मित्तल ने हरियाणा और राजस्थान को होने वाली जलापूर्ति पर रायल्टी लगाने के लिए इस मामले को केन्द्र के समक्ष रखने हेतु विधान सभा की सिफारिश के अनुरोध का प्रस्ताव पेश किया.
कांग्रेस के विधायक सदन से नदारद थे क्योंकि इस पार्टी के सभी 42 विधायकों ने शीर्ष अदालत के फैसले के बाद विधान सभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था.
विधानसभा का सत्र उच्चतम न्यायालय के उस फैसले की पृष्ठभूमि में बुलाया गया था, जिसमें उसने पंजाब सरकार द्वारा सतलुज यमुना लिंक नहर जल बंटवारा समझौते को खत्म करते हुए वर्ष 2004 में पारित किए गए कानून को ‘असंवैधानिक’ करार दिया था.
पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने सभी दलों से एसवाईएल मुद्दे पर एकजुट रहने का अनुरोध किया है.. हालांकि उनके बेटे और उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि कांग्रेस इससे दूर भाग रही है.
पंजाब केबिनेट ने कल यह घोषणा की थी कि वह परियोजना के लिए अधिग्रहित जमीन को अधिसूचना के दायरे से बाहर कर देंगे और इसे इसके ‘‘मूल मालिकों’’ को बिना किसी कीमत के लौटा देंगे.
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