मनीष तिवारी ने अमरिंदर सिंह के बयान पर प्रतिक्रिया दी है (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
ईवीएम विवाद को लेकर कांग्रेस के भीतर दो खेमे बंटते दिखाई दे रहे हैं. जहां एक तरफ पूरा विपक्ष ईवीएम में कथित गड़बड़ी को लेकर एकजुट दिखाई दे रहा है, वहीं कांग्रेस में कुछ पार्टी सदस्य इस मशीन के इस्तेमाल का विरोध कर रहे हैं तो अन्य इसके समर्थन में दिखाई दे रहे हैं.
गौरतलब है कि बुधवार को पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा था कि अगर ईवीएम में गड़बड़ी होती तो वह मुख्यमंत्री नहीं होते और अकाली दल सत्ता में होती. वहीं कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने सिंह के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि कुछ सालों पहले खुद सिंह ने बताया था कि किस तरह ईवीएम के साथ छेड़खानी की जा सकती है.
समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक मनीष तिवारी ने कहा है कि 'मैं पंजाब के मुख्यमंत्री का सम्मान करता हूं लेकिन कुछ साल पहले 2010 में और उससे भी पहले 2001 में जब वह पीसीसी अध्यक्ष थे, उन्होंने खुद ने दिखाया था कि कैसे ईवीएम के साथ जालसाज़ी की जा सकती है.' वहीं चुनाव आयोग द्वारा विपक्ष को ईवीएम हैक करने की चुनौती देने पर भी तिवारी ने प्रतिक्रिया दी है.
तिवारी ने कहा 'यह बहुत ही दुखद है कि चुनावों में होने वाली गड़बड़ियों पर कड़ी नज़र रखने वाला चुनाव आयोग खुद ईवीएम के वकील का रोल निभा रहा है. लोकतंत्र जनता के विश्वास पर टिका हुआ है. यह जनता के प्रतिनिधित्व का प्रक्रिया पर जो विश्वास है, उस पर चलता है. इसलिए अगर ईवीएम पर विश्वास डगमगा रहा है तो फिर चुनाव आयोग क्यों ईवीएम की तरफदारी किये जा रहा है. बैलट पेपर से चुनाव करवाने में आयोग को दिक्कत क्या है?' तिवारी ने जोर देते हुए कहा कि अगर इस प्रक्रिया में शामिल पार्टियां इससे खुश नहीं है तो फैसला की समीक्षा की जानी चाहिए.
गौरतलब है कि बुधवार को पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा था कि अगर ईवीएम में गड़बड़ी होती तो वह मुख्यमंत्री नहीं होते और अकाली दल सत्ता में होती. वहीं कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने सिंह के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि कुछ सालों पहले खुद सिंह ने बताया था कि किस तरह ईवीएम के साथ छेड़खानी की जा सकती है.
समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक मनीष तिवारी ने कहा है कि 'मैं पंजाब के मुख्यमंत्री का सम्मान करता हूं लेकिन कुछ साल पहले 2010 में और उससे भी पहले 2001 में जब वह पीसीसी अध्यक्ष थे, उन्होंने खुद ने दिखाया था कि कैसे ईवीएम के साथ जालसाज़ी की जा सकती है.' वहीं चुनाव आयोग द्वारा विपक्ष को ईवीएम हैक करने की चुनौती देने पर भी तिवारी ने प्रतिक्रिया दी है.
तिवारी ने कहा 'यह बहुत ही दुखद है कि चुनावों में होने वाली गड़बड़ियों पर कड़ी नज़र रखने वाला चुनाव आयोग खुद ईवीएम के वकील का रोल निभा रहा है. लोकतंत्र जनता के विश्वास पर टिका हुआ है. यह जनता के प्रतिनिधित्व का प्रक्रिया पर जो विश्वास है, उस पर चलता है. इसलिए अगर ईवीएम पर विश्वास डगमगा रहा है तो फिर चुनाव आयोग क्यों ईवीएम की तरफदारी किये जा रहा है. बैलट पेपर से चुनाव करवाने में आयोग को दिक्कत क्या है?' तिवारी ने जोर देते हुए कहा कि अगर इस प्रक्रिया में शामिल पार्टियां इससे खुश नहीं है तो फैसला की समीक्षा की जानी चाहिए.
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