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पंजाब: कार्रवाई के बाद मान सरकार का रुख नरम, आज शाम को बुलाई किसानों की बैठक

पंजाब और हरियाणा के बीच खनौरी बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस ने सीमेंट से बनी दीवारों को हटा दिया है. ये दीवारें किसानों को रोकने के लिए बनाई गई थीं.

पंजाब: कार्रवाई के बाद मान सरकार का रुख नरम, आज शाम को बुलाई किसानों की बैठक
किसानों की एमएसपी कानूनी गारंटी की मांग
चंडीगढ़:

पंजाब में किसानों पर कार्रवाई के बाद भगवंत मान सरकार ने किसानों की बैठक बुलाई है. पंजाब सरकार ने शुक्रवार शाम चार बजे किसानों को पंजाब भवन (चंडीगढ़) में वार्ता के लिए बुलाया है. इस बैठक की अध्यक्षता पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड़िया करेंगे. बता दें कि किसान नेताओं ने 26 मार्च को पंजाब विधानसभा के सामने मार्च करने का ऐलान किया है, जिसे देखते हुए यह बैठक बुलाई गई है. राज्य सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और उग्रांव समूह को वार्ता के लिए बुलाया है.

पुलिस ने सीमेंट से बनी दीवारों को हटाया

उल्लेखनीय है कि पंजाब और हरियाणा के बीच खनौरी बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस ने सीमेंट से बनी दीवारों को हटा दिया है. ये दीवारें किसानों को रोकने के लिए बनाई गई थीं. इस दीवार को हटाने के बाद हरियाणा की ओर से रास्ता साफ कर दिया गया है. इसके साथ ही, पंजाब पुलिस ने भी खनौरी और शंभू बॉर्डर से किसानों को हटाकर इलाके को खाली कराया है. यह कार्रवाई 19 मार्च की रात को शुरू हुई थी, जिसके बाद हरियाणा पुलिस ने 20 मार्च को अपने हिस्से की बैरिकेडिंग हटाई.

एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग

आपको बता दें कि खनौरी और शंभू बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन पिछले साल 13 फरवरी से चल रहा था. किसानों की मांग थी कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दी जाए, लेकिन एक साल से ज्यादा समय तक चले इस प्रदर्शन के कारण स्थानीय लोगों का जनजीवन प्रभावित हो रहा था. पंजाब पुलिस ने 3,000 से ज्यादा जवानों के साथ बॉर्डर को खाली कराया, जिसमें बुलडोजर का इस्तेमाल कर टेंट और अस्थायी ढांचे हटाए गए. इसके बाद हरियाणा पुलिस ने भी सीमेंट की दीवारें और अन्य अवरोध हटाकर रास्ता खोल दिया.

रास्ता खुलने से व्यापार-रोजगार में सुधार

अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही दोनों बॉर्डर पर यातायात सामान्य हो जाएगा. ग्रामीणों का मानना है कि इससे उनकी जिंदगी फिर से पटरी पर लौट आएगी और व्यापार-रोजगार में भी सुधार होगा. इस फैसले से आसपास के लोग खुश हैं. पिछले एक साल से बॉर्डर बंद होने की वजह से ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. स्थानीय लोगों का कहना है कि बॉर्डर बंद होने से न सिर्फ उनकी रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हुई, बल्कि आर्थिक नुकसान भी हुआ.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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