उत्तर प्रदेश के मुूख्यमंत्री अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव (फाइल फोटो).
लखनऊ:
मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच सुलह की बातचीत आज फिर टूट गई. मुलायम चाहते थे कि अखिलेश उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष मान लें और चुनाव आयोग से अपनी पिटीशन वापस ले लें. मुलायम का कहना था कि बाकी सभी मुद्दे बहुत छोटे हैं...उन्हें हल कर लिया जाएगा. उधर चुनाव आयोग ने इस झगड़े पर सुनवाई के लिए 13 जनवरी की तारीख तय की है.
मुलायम के घर अखिलेश पहुंचे और करीब पौने दो घंटे तक बाप-बेटे में बातचीत हुई...गिले-शिकवे सुने और सुनाए गए. इसके पहले मुलायम अखिलेश को सीएम उम्मीदवार घोषित कर चुके हैं. सूत्रों के मुताबिक बाप-बेटे में कुछ यूं बातचीत हुई-
मुलायम : ”तुम ही सीएम कैंडिडेट हो... और कोई नहीं…लेकिन मुझे राष्ट्रीय अध्यक्ष मान लो और चुनाव आयोग से अपनी पिटीशन वापस ले लो. बाकी मुद्दे बहुत छोटे हैं. मैं उन्हें हल कर दूंगा. ”
अखिलेश : ”अध्यक्ष तो मुझे अधिवेशन ने बनाया है. मैं इस्तीफा दे के ही हट सकता हूं. लेकिन अभी मामला चुनाव आयोग में है. और पिटीशन मैंने नहीं, रामगोपाल चाचा ने दाखिल की है. यही नहीं पौने पांच हजार लोगों के हलफनामे हैं.. उन सबको वापस लेना पड़ेगा... आप अपनी पिटीशन वापस ले सकते हैं. ”
इस मुद्दे पर बात नाकाम हो गई...लेकिन जितनी देर अंदर बातचीत चलती रही बाहर कार्यकर्ता सुलह की दुआएं करते रहे. गोरखपुर के सहजवां से आए विनोद यादव कहते हैं कि “हर कार्यकर्ता इस समय परेशान है...दुखी है...आहत है.. किधर जाए. जिस तरह से समाजवादी पार्टी 2017 में पूर्ण बहुमत की तरफ अग्रसर थी...लेकिन इन झगड़ों से काफी नुकसान हो रहा है. इसमें कार्यकर्ता काफी परेशान हैं. दुविधा में हैं कि हम क्या करें? क्या न करें?... किधर जाएं? ”
बाप-बेटे मिले तो गिले-शिकवे भी सामने आए... मुलायम सिंह ने रामगोपाल समेत कई की शिकायतें कीं...तमाम पुराने किस्से सुनाए. मुलायम के घर अखिलेश और दूसरे बड़े नेताओं के साथ बातचीत के तमाम दौर चले हैं. हर रोज पार्टी के ढेरों कार्यकर्ता यहां इस उम्मीद में जमा होते हैं कि शायद मसला हल हो जाए... कुछ ने तो सुलह पर गीत भी बना लिए हैं. कुछ गायक तो अपनी कार में म्युजिक सिस्टम लेके आते हैं और लोगों को गीत सुनाते हैं.
हालांकि सियासत के जानकार कहते हैं कि कुछ लोग नहीं चाहते कि सुलह हो...क्योंकि अगर अखिलेश अलग पार्टी बनाएंगे तो उसमें उनकी हैसियत बड़ी होगी. लेकिन तमाम ऐसे हैं जिन्हें लगता है कि बाप तो बाप ही हैं...शायद मान जाएं.
मुलायम के घर अखिलेश पहुंचे और करीब पौने दो घंटे तक बाप-बेटे में बातचीत हुई...गिले-शिकवे सुने और सुनाए गए. इसके पहले मुलायम अखिलेश को सीएम उम्मीदवार घोषित कर चुके हैं. सूत्रों के मुताबिक बाप-बेटे में कुछ यूं बातचीत हुई-
मुलायम : ”तुम ही सीएम कैंडिडेट हो... और कोई नहीं…लेकिन मुझे राष्ट्रीय अध्यक्ष मान लो और चुनाव आयोग से अपनी पिटीशन वापस ले लो. बाकी मुद्दे बहुत छोटे हैं. मैं उन्हें हल कर दूंगा. ”
अखिलेश : ”अध्यक्ष तो मुझे अधिवेशन ने बनाया है. मैं इस्तीफा दे के ही हट सकता हूं. लेकिन अभी मामला चुनाव आयोग में है. और पिटीशन मैंने नहीं, रामगोपाल चाचा ने दाखिल की है. यही नहीं पौने पांच हजार लोगों के हलफनामे हैं.. उन सबको वापस लेना पड़ेगा... आप अपनी पिटीशन वापस ले सकते हैं. ”
इस मुद्दे पर बात नाकाम हो गई...लेकिन जितनी देर अंदर बातचीत चलती रही बाहर कार्यकर्ता सुलह की दुआएं करते रहे. गोरखपुर के सहजवां से आए विनोद यादव कहते हैं कि “हर कार्यकर्ता इस समय परेशान है...दुखी है...आहत है.. किधर जाए. जिस तरह से समाजवादी पार्टी 2017 में पूर्ण बहुमत की तरफ अग्रसर थी...लेकिन इन झगड़ों से काफी नुकसान हो रहा है. इसमें कार्यकर्ता काफी परेशान हैं. दुविधा में हैं कि हम क्या करें? क्या न करें?... किधर जाएं? ”
बाप-बेटे मिले तो गिले-शिकवे भी सामने आए... मुलायम सिंह ने रामगोपाल समेत कई की शिकायतें कीं...तमाम पुराने किस्से सुनाए. मुलायम के घर अखिलेश और दूसरे बड़े नेताओं के साथ बातचीत के तमाम दौर चले हैं. हर रोज पार्टी के ढेरों कार्यकर्ता यहां इस उम्मीद में जमा होते हैं कि शायद मसला हल हो जाए... कुछ ने तो सुलह पर गीत भी बना लिए हैं. कुछ गायक तो अपनी कार में म्युजिक सिस्टम लेके आते हैं और लोगों को गीत सुनाते हैं.
हालांकि सियासत के जानकार कहते हैं कि कुछ लोग नहीं चाहते कि सुलह हो...क्योंकि अगर अखिलेश अलग पार्टी बनाएंगे तो उसमें उनकी हैसियत बड़ी होगी. लेकिन तमाम ऐसे हैं जिन्हें लगता है कि बाप तो बाप ही हैं...शायद मान जाएं.
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