संसद की लोकलेखा समिति के अध्यक्ष केवी थामस ने कहा है कि समिति को प्रधानमंत्री को बुलाने का अधिकार है.
नई दिल्ली:
संसद की लोकलेखा समिति नोटबंदी के मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समन कर सकती है या नहीं, इस अहम सवाल पर विवाद बढ़ता जा रहा है. मंगलवार को बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने स्पीकर को चिट्ठी लिखकर शिकायत की थी कि वे समिति के अध्यक्ष और कांग्रेस नेता केवी थामस से अपना बयान वापस लेने को कहें. लेकिन गुरुवार को थामस ने एनडीटीवी से बातचीत में दोहराया कि कमेटी के पास प्रधानमंत्री को बुलाने का अधिकार है.
नोटबंदी के मसले पर संसद की लोक लेखा समिति प्रधानमंत्री मोदी को समन कर सकती है और समिति यह फैसला लोकसभा स्पीकर की अनुमति से कर सकती है. समिति के चेयरमैन केवी थामस ने इस मसले पर एनडीटीवी से बातचीत में यह दावा किया. थामस ने कहा, "लोकलेखा समिति प्रधानमंत्री को बुला सकती है. कई नज़ीरें हैं. 2-जी स्पेक्ट्रम मामले में मुरली मनोहर जोशी ने कहा था कि प्रधानमंत्री को लोकलेखा समिति के सामने पेश होना होगा. प्रधानमंत्री लोकलेखा समिति के सामने पेश होने के लिए तैयार भी थे. समिति लोकसभा स्पीकर की अनुमति से प्रधानमंत्री को समन कर सकती है."
थामस का यह बयान समिति के सदस्य और बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की लोकसभा स्पीकर को लिखी चिट्ठी को लेकर आया है, जिसमें स्पीकर से अपील की गई है कि स्पीकर मामले में फौरन दखल देते हुए थॉमस को बयान वापस लेने के निर्देश दें क्योंकि थामस का बयान गलत और अनैतिक है."
अब लोकलेखा समिति ने आरबीआई गवर्नर को 20 जनवरी को समिति के सामने पेश होने का आदेश दिया है. अब सबकी निगाहें लोकलेखा समिति की बैठक पर हैं जिसमें इस मसले पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों के बीच नोंक झोंक हो सकती है.
केवी थामस के बयान से साफ है कि इस मसले पर वे पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की स्पीकर से शिकायत के बावजूद वे अपना बयान वापस लेने को तौयार नहीं हैं. अब देखना होगा कि 20 जनवरी को नोटबंदी पर समिति की अहम बैठक के बाद इस मसले पर आगे क्या फैसला होता है.
नोटबंदी के मसले पर संसद की लोक लेखा समिति प्रधानमंत्री मोदी को समन कर सकती है और समिति यह फैसला लोकसभा स्पीकर की अनुमति से कर सकती है. समिति के चेयरमैन केवी थामस ने इस मसले पर एनडीटीवी से बातचीत में यह दावा किया. थामस ने कहा, "लोकलेखा समिति प्रधानमंत्री को बुला सकती है. कई नज़ीरें हैं. 2-जी स्पेक्ट्रम मामले में मुरली मनोहर जोशी ने कहा था कि प्रधानमंत्री को लोकलेखा समिति के सामने पेश होना होगा. प्रधानमंत्री लोकलेखा समिति के सामने पेश होने के लिए तैयार भी थे. समिति लोकसभा स्पीकर की अनुमति से प्रधानमंत्री को समन कर सकती है."
थामस का यह बयान समिति के सदस्य और बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की लोकसभा स्पीकर को लिखी चिट्ठी को लेकर आया है, जिसमें स्पीकर से अपील की गई है कि स्पीकर मामले में फौरन दखल देते हुए थॉमस को बयान वापस लेने के निर्देश दें क्योंकि थामस का बयान गलत और अनैतिक है."
अब लोकलेखा समिति ने आरबीआई गवर्नर को 20 जनवरी को समिति के सामने पेश होने का आदेश दिया है. अब सबकी निगाहें लोकलेखा समिति की बैठक पर हैं जिसमें इस मसले पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों के बीच नोंक झोंक हो सकती है.
केवी थामस के बयान से साफ है कि इस मसले पर वे पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की स्पीकर से शिकायत के बावजूद वे अपना बयान वापस लेने को तौयार नहीं हैं. अब देखना होगा कि 20 जनवरी को नोटबंदी पर समिति की अहम बैठक के बाद इस मसले पर आगे क्या फैसला होता है.
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