
गुजरात में विधानसभा चुनाव की संभावना के मद्देनजर कांग्रेस में उत्साह जगाने की कोशिश की गई है.
- कांग्रेस में निराशा दूर करने के लिए पार्टी के बड़े नेता भी आगे आए
- हाथ में हाथ मिलाकर गुटबाजी नहीं होने के संकेत देने की कोशिश
- अहमदाबाद में पूरे राज्य से टिकट के इच्छुकों को बुलाया गया
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गुजरात कांग्रेस के प्रभारी गुरुदास कामत ने यह कहकर हिम्मत दिलाई कि 2010 के चुनावों में हमारे पास सिर्फ एक जिला पंचायत थी, बाकी सारी भारतीय जनता पार्टी के पास थीं. लेकिन 2015 में हुए चुनावों में 23 जिला पंचायतों में कांग्रेस जीती. इस दौरान सभी नेताओं ने हाथ में हाथ मिलाकर आपसी गुटबाजी नहीं होने के संकेत देने की कोशिश की.
पार्टी में यह सभी जानती हैं कि गुजरात कांग्रेस पांच गुटों में बंटी हुई है. इसमें विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शंकरसिंह वाघेला, राज्य कांग्रेस अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी के अलावा सिद्धार्थ पटेल, शक्तिसिंह गोहिल और अर्जुन मोढवाडिया के अपने-अपने गुट हैं. इनके बीच मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी को लेकर हमेशा तनातनी रहती है.
हालांकि पार्टी ने इस बैठक में कोशिश की कि गुटबाजी के खिलाफ माहौल बने और संदेश जाए कि पार्टी एक है. शंकरसिंह वाघेला जैसे कुछ नेताओं ने खुद को सीएम पद की रेस से अलग करके एकता दिखाने की कोशिश भी की.
इस बैठक की एक वजह यह भी है कि गुजरात में कांग्रेस पिछले दो दशकों से सत्ता से बाहर है. इसी वजह से पिछले कुछ समय से चर्चा है कि अन्य राज्यों की तरह यहां के बड़े नेता भी बीजेपी में चले जाएंगे. इस आशंका के चलते भी पार्टी सबको साथ जोड़ने की कवायद में जुट गई है.
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