उत्तर प्रदेश का देवरिया जिला बिहार के गोपालगंज और सीवान से सटा हुआ है. चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, देवरिया विधानसभा क्षेत्र में कुल 3,25,849 मतदाता हैं. जिनमें 1,81,535 पुरुष मतदाता हैं, जबकि 1,44,305 महिला मतदाता हैं.
2012 के विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो यहां भाजपा के विधायक जन्मेजय सिंह ने जीत हासिल की थी. उन्होंने 2012 के विधानसभा चुनावों में इस सीट पर बसपा के उम्मीदवार प्रमोद सिंह को भारी अंतर से हराया था. जन्मेजय सिंह को यहां 56 हजार से अधिक वोट मिले थे, तो वहीं दूसरे नंबर पर रहे बसपा प्रत्याशी प्रमोद सिंह को 33 हजार के करीब वोट मिले थे. बसपा ने हमेशा से देवरिया में विपक्षी दलों को कड़ी टक्कर दी है, लेकिन पार्टी एक बार भी इस सीट पर जीत नहीं दर्ज कर पाई है.
2017 विधानसभा चुनावों में बसपा ने देवरिया सीट पर अभय नाथ त्रिपाठी को टिकट दिया है. माना जा रहा है ब्राह्मण मतदाताओं को लुभाने के लिए बसपा ने त्रिपाठी पर दांव खेला है. लेकिन फिर भी भाजपा और सपा को यहां मात देना आसान नहीं होगा. देवरिया सीट पर बसपा, सपा और भाजपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबले देखने को मिलेगा. पिछले पांच विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो यहां भाजपा ने दो बार (1993 और 2012) जीत दर्ज की है. जबकि 1996 में जनता दल के सुभाष चंद्र श्रीवास्तव ने जीत का परचम लहराया था. उन्होंने बीजेपी के रविंद्र प्रताप को मात दी थी.
2002 के चुनावों पर नजर डालें तो देवरिया में नेलोपा जैसी छोटी पार्टी ने सपा के बागी दीनानाथ कुशवाहा को टिकट दिया और उन्होंने सपा के ताकतवर नेता राम नगीना यादव को मात दे दी. जबकि 2007 में दीनानाथ कुशवाहा ने फिर से सपा से हाथ मिलाया और बसपा के कमलेश को पटखनी दी. कुशवाहा इस सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं.
2012 के विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो यहां भाजपा के विधायक जन्मेजय सिंह ने जीत हासिल की थी. उन्होंने 2012 के विधानसभा चुनावों में इस सीट पर बसपा के उम्मीदवार प्रमोद सिंह को भारी अंतर से हराया था. जन्मेजय सिंह को यहां 56 हजार से अधिक वोट मिले थे, तो वहीं दूसरे नंबर पर रहे बसपा प्रत्याशी प्रमोद सिंह को 33 हजार के करीब वोट मिले थे. बसपा ने हमेशा से देवरिया में विपक्षी दलों को कड़ी टक्कर दी है, लेकिन पार्टी एक बार भी इस सीट पर जीत नहीं दर्ज कर पाई है.
2017 विधानसभा चुनावों में बसपा ने देवरिया सीट पर अभय नाथ त्रिपाठी को टिकट दिया है. माना जा रहा है ब्राह्मण मतदाताओं को लुभाने के लिए बसपा ने त्रिपाठी पर दांव खेला है. लेकिन फिर भी भाजपा और सपा को यहां मात देना आसान नहीं होगा. देवरिया सीट पर बसपा, सपा और भाजपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबले देखने को मिलेगा. पिछले पांच विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो यहां भाजपा ने दो बार (1993 और 2012) जीत दर्ज की है. जबकि 1996 में जनता दल के सुभाष चंद्र श्रीवास्तव ने जीत का परचम लहराया था. उन्होंने बीजेपी के रविंद्र प्रताप को मात दी थी.
2002 के चुनावों पर नजर डालें तो देवरिया में नेलोपा जैसी छोटी पार्टी ने सपा के बागी दीनानाथ कुशवाहा को टिकट दिया और उन्होंने सपा के ताकतवर नेता राम नगीना यादव को मात दे दी. जबकि 2007 में दीनानाथ कुशवाहा ने फिर से सपा से हाथ मिलाया और बसपा के कमलेश को पटखनी दी. कुशवाहा इस सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं.
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