प्रतीकात्मक तस्वीर...
- अपराध के पैमाने पर बिहार देश में अव्वल, वह तथ्य छिपाए जा रहे: विपक्ष
- नीतीश बेहतर विधि व्यवस्था के वादे पर सत्ता में आए: नंद किशोर यादव
- राज्य में नक्सल प्रभावित ज़िले और घटना अधिक हैं: पुलिस महानिदेशक
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पटना:
बिहार देश के उन गिने-चुने राज्यों में से एक है, जहां अपराध राजनीति में एक मुख्य मुद्दा होता है और साल के पूरे 365 दिनों तक नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े पर बहस होती रहती है.
पिछले साल 2015 के आंकड़े जबसे सार्वजनिक हुए हैं, तब से बिहार सरकार अपनी पीठ थप-थपा रही है. वहीं, विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं कि अपराध के जिस पैमाने पर बिहार देश में अव्वल दर्जे पर है, उन आंकड़ों को जान-बूझकर नजरअंदाज कर वैसे आंकड़ें लोगो के सामने पेश किए जाते हैं, जहां बिहार देश के अन्य राज्यों से बेहतर है. खासकर बीजेपी शासित राज्यों से, जहां एक और बिहार पुलिस ने इन आंकड़ों के आधार पर दावा किया है कि आपराधिक घटनाओं को लेकर वो देश में 22 वें स्थान पर है, जबकि दिल्ली पहले स्थान पर और बीजेपी शासित राज्य मध्य प्रदेश तीसरे, हरियाणा पांचवें, महाराष्ट्र नौवें, गुजरात 16वें स्थान पर हैं.
वहीं, अपराध के अन्य पैमाने जैसे हत्या में बिहार 12वें स्थान पर है. वहीं डकैती में 6 और लूट में 15वें स्थान पर है. सामान्य अपहरण के मामले में 15 वां स्थान है, वहीं, महिला अपराध में 26 वें स्थान पर है. लेकिन राज्य के विरुद्ध अपराध में ये पूरे देश में तीसरे स्थान पर है और सामान्य दंगे में इसका स्थान पूरे देश में दूसरा है.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े जारी होने के बाद से राज्य की गठबंधन सरकार में प्रमुख साझेदार राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे एवं राज्य के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव एक के बाद एक ट्वीट कर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं और बिहार में जंगलराज होने का आरोप लगाने वालों पर निशाना साध रहे हैं.
इन आंकड़ों पर राज्य के पुलिस महानिदेशक सुनील कुमार का कहना है कि चूंकि राज्य में नक्सल प्रभावित ज़िले और घटना अधिक हैं, इसलिए राज्य के विरुद्ध अपराध में ये देश के टॉप तीन राज्यों में से एक हैं और जहां तक सामान्य दंगों का सवाल हैं वो राज्य में जमीन विवाद की अधिकता होने के कारण आपसी रंजिश में मारपीट की घटना ज्यादा होती हैं.
उधर, राज्य के बीजेपी के वरिष्ठ नेता नन्द किशोर यादव का कहना है कि नीतीश कुमार की सरकार बेहतर विधि व्यवस्था देगी, इस वादे पर सत्ता में आई, लेकिन लेकिन ये सच्चाई है कि जबसे लालू यादव के साथ उनकी सरकार बनी है तब से राज्य में भय का माहौल हैं. नन्द किशोर इस आंकड़े को भी मानने के लिए तैयार नहीं कि राज्य में जब से इस साल अप्रैल में शराब बंदी की गई है, तब से आपराधिक घटना में पुलिस के दावे के अनुसार 5 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है.
बिहार पुलिस का कहना है कि 2015 के पहले 7 महीनों जैसे जनवरी से जुलाई तक की तुलना 2016 की इसी अवधि से की जाए तो सड़क दुर्घटना में 24 प्रतिशत की कमी आई है और मृतकों की संख्या में भी 26 फीसदी तक कमी हुई. इसके अलावा हत्या में जहां 31 प्रतिशत, डकैती में 73 प्रतिशत और फिरौती के लिए अपहरण में 61 फीसदी की कमी आई है.
निश्चित रूप से आने वाले दिनों में नीतीश कुमार की कोशिश होगी कि शराब बंदी के मुद्दे पर उनकी आलोचना का जवाब इन आंकड़ों से दिया जाए, लेकिन सवाल हैं कि आंकड़ों से क्या राज्य के सभी लोग सुरक्षित माने जाएंगे.
पिछले साल 2015 के आंकड़े जबसे सार्वजनिक हुए हैं, तब से बिहार सरकार अपनी पीठ थप-थपा रही है. वहीं, विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं कि अपराध के जिस पैमाने पर बिहार देश में अव्वल दर्जे पर है, उन आंकड़ों को जान-बूझकर नजरअंदाज कर वैसे आंकड़ें लोगो के सामने पेश किए जाते हैं, जहां बिहार देश के अन्य राज्यों से बेहतर है. खासकर बीजेपी शासित राज्यों से, जहां एक और बिहार पुलिस ने इन आंकड़ों के आधार पर दावा किया है कि आपराधिक घटनाओं को लेकर वो देश में 22 वें स्थान पर है, जबकि दिल्ली पहले स्थान पर और बीजेपी शासित राज्य मध्य प्रदेश तीसरे, हरियाणा पांचवें, महाराष्ट्र नौवें, गुजरात 16वें स्थान पर हैं.
वहीं, अपराध के अन्य पैमाने जैसे हत्या में बिहार 12वें स्थान पर है. वहीं डकैती में 6 और लूट में 15वें स्थान पर है. सामान्य अपहरण के मामले में 15 वां स्थान है, वहीं, महिला अपराध में 26 वें स्थान पर है. लेकिन राज्य के विरुद्ध अपराध में ये पूरे देश में तीसरे स्थान पर है और सामान्य दंगे में इसका स्थान पूरे देश में दूसरा है.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े जारी होने के बाद से राज्य की गठबंधन सरकार में प्रमुख साझेदार राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे एवं राज्य के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव एक के बाद एक ट्वीट कर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं और बिहार में जंगलराज होने का आरोप लगाने वालों पर निशाना साध रहे हैं.
नहीं अपने पुत्र तेजस्वी के इस ट्वीट को लालू यादव ने रिट्वीट किया है और साथ ही लिखा है, 'बिहार को बदनाम करने वालों, ये खबर पढ़ो हाज़मा ठीक हो जाएगा.'जंगलराज वाले बाबू, ज़रा ढूंढो तो बिहार का नम्बर कहाँ है? आपके आंकड़े,आपको आईना दिखा रहे है। ज़ोर से बोलो,"जंगलराज" pic.twitter.com/Rd1SrQ7THa
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) August 31, 2016
बिहार को बदनाम करने वालों, ये खबर पढ़ो हाज़मा ठीक हो जायेगा। pic.twitter.com/poUW42u6oX
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) September 1, 2016
इन आंकड़ों पर राज्य के पुलिस महानिदेशक सुनील कुमार का कहना है कि चूंकि राज्य में नक्सल प्रभावित ज़िले और घटना अधिक हैं, इसलिए राज्य के विरुद्ध अपराध में ये देश के टॉप तीन राज्यों में से एक हैं और जहां तक सामान्य दंगों का सवाल हैं वो राज्य में जमीन विवाद की अधिकता होने के कारण आपसी रंजिश में मारपीट की घटना ज्यादा होती हैं.
उधर, राज्य के बीजेपी के वरिष्ठ नेता नन्द किशोर यादव का कहना है कि नीतीश कुमार की सरकार बेहतर विधि व्यवस्था देगी, इस वादे पर सत्ता में आई, लेकिन लेकिन ये सच्चाई है कि जबसे लालू यादव के साथ उनकी सरकार बनी है तब से राज्य में भय का माहौल हैं. नन्द किशोर इस आंकड़े को भी मानने के लिए तैयार नहीं कि राज्य में जब से इस साल अप्रैल में शराब बंदी की गई है, तब से आपराधिक घटना में पुलिस के दावे के अनुसार 5 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है.
बिहार पुलिस का कहना है कि 2015 के पहले 7 महीनों जैसे जनवरी से जुलाई तक की तुलना 2016 की इसी अवधि से की जाए तो सड़क दुर्घटना में 24 प्रतिशत की कमी आई है और मृतकों की संख्या में भी 26 फीसदी तक कमी हुई. इसके अलावा हत्या में जहां 31 प्रतिशत, डकैती में 73 प्रतिशत और फिरौती के लिए अपहरण में 61 फीसदी की कमी आई है.
निश्चित रूप से आने वाले दिनों में नीतीश कुमार की कोशिश होगी कि शराब बंदी के मुद्दे पर उनकी आलोचना का जवाब इन आंकड़ों से दिया जाए, लेकिन सवाल हैं कि आंकड़ों से क्या राज्य के सभी लोग सुरक्षित माने जाएंगे.
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