फाइल फोटो : लालू प्रसाद यादव
पटना:
पटना में इंदिरा गांधी मेडिकल संस्थान में रविवार शाम मरीज और डॉक्टर अचानक आए एक खास 'आगंतुक' को देखकर दंग रह गए। यह आगंतुक कोई और नहीं बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव थे, जिनके बेटे तेजप्रताप मौजूदा नीतीश कुमार सरकार में स्वास्थ्य मंत्री हैं।
पहले तो लोगों ने समझा कि लालू शायद अपने किसी परिचित मरीज को देखने आए हैं, लेकिन संस्थान के निदेशक और अन्य वरिष्ठ डॉक्टरों को तुरंत समझ में आ गया कि लालू अपने अनोखे अंदाज में इस संस्थान का औचक निरीक्षण करने पहुंचे हैं। लालू मरीजों से पूछताछ करने लगे और उन्होंने कई वार्डों का जायजा लिया।
अगर लालू के साथ उनके बेटे तेजप्रताप ( बिहार के स्वास्थ्य मंत्री) होते तो शायद वह विपक्ष के सवालों के बौछारों से बच सकते थे। विपक्ष आने वाले दिनों में लालू के इस औचक दौरे का मुद्दा जरूर उछालेंगे। संपर्क किए जाने पर लालू ने कहा, मैं एक निजी अस्पताल में एक मरीज को देखने गया था, रास्ते में मैं आईजीआईएमएस में रुक गया, ताकि वहां की स्थिति देख सकूं। वर्ष 1997 में चारा घोटाले में न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद लालू आईजीआईएमएस में कई महीनों तक रहे थे, लेकिन एक वीआईपी कमरे में।
लालू का यह औचक दौरा निश्चित रूप से नीतीश सरकार के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। वरिष्ठ डॉक्टरों का कहना है कि पिछले 10 सालों के दौरान न तो नीतीश ने और न ही उनके दफ्तर के किसी अधिकारी ने कभी सीधे उनसे कुछ कहा हो। अगर कभी जरूरत पड़ी तो वह अधिकृत स्वास्थ्य अधिकारी के जरिये आग्रह भिजवाया जाता था।
पहले तो लोगों ने समझा कि लालू शायद अपने किसी परिचित मरीज को देखने आए हैं, लेकिन संस्थान के निदेशक और अन्य वरिष्ठ डॉक्टरों को तुरंत समझ में आ गया कि लालू अपने अनोखे अंदाज में इस संस्थान का औचक निरीक्षण करने पहुंचे हैं। लालू मरीजों से पूछताछ करने लगे और उन्होंने कई वार्डों का जायजा लिया।
अगर लालू के साथ उनके बेटे तेजप्रताप ( बिहार के स्वास्थ्य मंत्री) होते तो शायद वह विपक्ष के सवालों के बौछारों से बच सकते थे। विपक्ष आने वाले दिनों में लालू के इस औचक दौरे का मुद्दा जरूर उछालेंगे। संपर्क किए जाने पर लालू ने कहा, मैं एक निजी अस्पताल में एक मरीज को देखने गया था, रास्ते में मैं आईजीआईएमएस में रुक गया, ताकि वहां की स्थिति देख सकूं। वर्ष 1997 में चारा घोटाले में न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद लालू आईजीआईएमएस में कई महीनों तक रहे थे, लेकिन एक वीआईपी कमरे में।
लालू का यह औचक दौरा निश्चित रूप से नीतीश सरकार के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। वरिष्ठ डॉक्टरों का कहना है कि पिछले 10 सालों के दौरान न तो नीतीश ने और न ही उनके दफ्तर के किसी अधिकारी ने कभी सीधे उनसे कुछ कहा हो। अगर कभी जरूरत पड़ी तो वह अधिकृत स्वास्थ्य अधिकारी के जरिये आग्रह भिजवाया जाता था।
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