
भारत के योगेश कथुनिया ने पेरिस पैरालंपिक में पुरुषों की एफ56 चक्का फेंक स्पर्धा में 42.22 मीटर के सत्र के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ सोमवार को यहां रजत पदक जीता. कथुनिया ने इससे पहले तोक्यो पैरालंपिक में भी इस स्पर्धा का रजत पदक जीता था. इस 27 साल के खिलाड़ी ने अपने पहले प्रयास में मौजूदा सत्र का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 42.22 मीटर की दूरी तय की.
ब्राजील के क्लॉडनी बतिस्ता डॉस सैंटोस ने अपने पांचवें प्रयास में 46.86 मीटर की दूरी के साथ इन खेलों का नया रिकॉर्ड कायम करते हुए पैरालंपिक में स्वर्ण पदक की हैट्रिक पूरी की. यूनान के कंन्स्टेंटिनो तजौनिस ने 41.32 मीटर के प्रयास के साथ कांस्य पदक जीता.
चार खिलाड़ियों की इस स्पर्धा में स्लोवाकिया के डुसान लैक्जको 41.20 मीटर के सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ अंतिम स्थान पर रहे. एफ 56 वर्ग में भाग ले वाले वाले खिलाड़ी बैठ कर प्रतिस्पर्धा करते है. इस वर्ग में ऐसे खिलाड़ी होते है जिनके शरीर के निचले हिस्से में विकार होता है और मांसपेशियां कमजोर होती है.
कथुनिया नौ साल की उम्र में 'गुइलेन-बैरी सिंड्रोम' से ग्रसित हो गये थे. यह एक दुर्लभ बीमारी है जिसमें शरीर के अंगों में सुन्नता, झनझनाहट के साथ मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है और बाद में यह पक्षाघात (पैरालिसिस) का कारण बनता है.
वह बचपन में व्हीलचेयर की मदद से चलते थे लेकिन अपनी मां मीना देवी की मदद से वह बाधाओं पर काबू पाने में सफल रहे. उनकी मां ने फिजियोथेरेपी सीखी ताकि वह अपने बेटे को फिर से चलने में मदद कर सके. कथुनिया के पिता भारतीय सेना में सेवा दे चुके हैं.
कथुनिया ने दिल्ली के प्रतिष्ठित किरोड़ीमल कॉलेज से कॉमर्स में स्नातक किया है. पैरालंपिक खेलों में दो रजत पदक के अलावा उनके पास विश्व चैंपियनशिप के तीन पदक हैं. इसमें दो रजत और एक कांस्य पदक शामिल हैं.
कथुनिया हालांकि सोमवार के अपने प्रयास से संतुष्ठ नहीं होंगे क्योंकि उन्होंने तोक्यो पैरालंपिक में 44.38 मीटर के प्रयास के साथ रजत पदक जीता था. पैरालंपिक और विश्व चैम्पियनशिप में कथुनिया के सबसे कड़े प्रतिद्वंद्वी सैंटोस ने इस स्पर्धा के दौरान दो बार पैरालंपिक खेलों का रिकॉर्ड तोड़ा.
इस 45 साल के खिलाड़ी ने पहले 46.45 मीटर के प्रयास के साथ नया रिकॉर्ड कायम किया और फिर 46.86 मीटर के प्रयास के साथ उसमें सुधार किया. विश्व चैम्पियनशिप के तीन बार के स्वर्ण पदक विजेता सैंटोस ने इससे पहले तोक्यो में 45.59 मीटर के प्रयास के साथ पैरालंपिक खेलों का रिकॉर्ड बनाया था.
यह भी पढ़ें: IIT से ग्रेजुएट, ट्रेन हादसे में खोया पैर : जानिए पैरालंपिक में भारत को दूसरा मेडल दिलाने वाले नितेश की कहानी
यह भी पढ़ें: Paralympics: "रजत पदक मुझे बहुत खुशी नहीं दे रहा..." मेडल जीतने के बाद निषाद ने दिया बड़ा बयान
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं