'वंडर गर्ल' अवनि लेखरा पैरालम्पिक खेलों में दो स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई जिन्होंने टोक्यो के बाद पेरिस पैरालम्पिक में भी महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल (एसएच 1) स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता जबकि भारत की मोना अग्रवाल को कांस्य पदक मिला. तीन साल पहले तोक्यो में स्वर्ण जीतने वाली 22 वर्ष की अवनि ने 249.7 का स्कोर करके अपना ही 249.6 का पुराना रिकॉर्ड ध्वस्त किया. वहीं दो साल पहले निशानेबाजी में पदार्पण करने वाली मोना ने 228.7 के स्कोर के साथ कांस्य पदक जीता.
ग्यारह वर्ष की उम्र में कार दुर्घटना में कमर के नीचे के हिस्से में लकवा मारने के कारण अवनि व्हीलचेयर पर निर्भर हैं. वह तोक्यो पैरालम्पिक 2021 में निशानेबाजी में पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला निशानेबाज बनी थी. एसएच 1 वर्ग में वे खिलाड़ी होते हैं जिनकी बाजुओं, कमर के निचले हिस्से , पैरों में विकृति होती है या उनकी बाजू नहीं होती है.
क्वालीफिकेशन में गत चैम्पियन अवनि ने 625.8 स्कोर किया और वह इरिना एस के बाद दूसरे स्थान पर रही. दो बार विश्व कप में स्वर्ण पदक जीतने वाली मोना ने क्वालीफिकेशन में 623.1 स्कोर करके पांचवां स्थान हासिल किया था.
ऐसी है अवनि लेखरा की कहानी
अवनि लेखना की कहानी काफी प्रेरणादायक है. अवनि शायद ही कभी 20 फरवरी 2012 की तारीख भूल पाएं क्योंकि इस दिन उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई. अविन का परिवार जयपुर से राजस्थान के धौलपुर जा रहा था, तभी उनकी कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई. इस हादसे में अवनि की रीढ़ की हड्डी क्षतिग्रस्त हो गई और कमर के नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया. उस दिन 10 साल की अवनि को घर पर ही रहना था, लेकिन उन्होंने अपने परिवार के साथ जाने की जिद्द की क्योंकि वह स्कूल में एक डांस प्रतियोगिता में भाग लेना चाहती थी.
इस कार दुर्घटना के बाद, वह दो साल तक घर पर ही रहीं. इस दौरान वो किसी से बात भी करना पंसद नहीं करती थीं. इस हादसे के बाद अवनि को सबसे पहले कैसे बैठा जाए यह सीखना पड़ा. इस दुर्घटना के दो साल बाद अवनि ने व्हीलचेयर पर स्कूल जाना शुरू किया था और यह उनके लिए एक नया अनुभव था.
अवनि के पिता प्रवीण ने उन्हें निशानेबाजी से परिचित कराया, लेकिन लेखरा की इस खेल में कोई दिलचस्पी नहीं थी और उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. उनके पास राइफल पकड़ने की शारीरिक ताकत नहीं थी, उनके पास अपनी राइफल या खेल के लिए उचित व्हीलचेयर नहीं थी, और महत्वपूर्ण बात यह है कि कोई पैरा शूटिंग कोच नहीं था.
अवनि ने इस दौरान अभिनव बिंद्रा की आत्मकथा, ए शॉट एट हिस्ट्री: माई ऑब्सेसिव जर्नी टू ओलंपिक गोल्ड पढ़ी और भारत के पहले व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता से प्रेरित हुईं. इसके बाद अवनि का मन शूटिंग की ओर गया. उन्होंने पहली बार 2015 में जयपुर के जगतपुरा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में शूटिंग शुरू की. उनका पहला अंतरराष्ट्रीय आयोजन दो साल बाद 2017 में संयुक्त अरब अमीरात में अल ऐन में पैरा शूटिंग विश्व कप में हुआ, जहां उन्होंने रजत पदक जीता. उन्होंने 2019 में क्रोएशिया में पैरा शूटिंग विश्व कप में एक और रजत पदक जीता.
ऐसा करने वाली पहली भारतीय
अवनि लेखरा भारत की पहली शूटर हैं, जिन्होंने लगातार दो ओलंपिक में गोल्ड जीते हैं. साथ ही वो पैरालंपिक में तीन मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं. अवनि ने टोक्टो में एक स्वर्ण और एक ब्रॉन्ज मेडल जीता था, जबकि अब पेरिस में उन्होंने पदक जीता है. अवनि पेरिस में अपने पदकों की संख्या को बढ़ा सकती हैं क्योंकि वह अभी और स्पर्धाओं में भाग लेंगी. अगर अवनि जीत जाती हैं तो वह भारत की सबसे सफल एथलीट हो जाएंगी.
अवनि लेखरा की उपलब्धियां
पैरालिंपिक गेम्स (2020) - R2- महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1 में गोल्ड और R8 महिलाओं की 50 मीटर राइफल 3 पोजिशन SH1 में कांस्य पदक
एशियाई पैरा गेम्स (2022) - R2- महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल SH1 में गोल्ड मेडल
विश्व कप नई दिल्ली (2024) - R2-महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल SH1 और R6 - मिश्रित टीम 50 मीटर राइफल प्रोन SH1 में कांस्य पदक
ओसिजेक विश्व कप (2023) - R2 महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1 में स्वर्ण पदक और R10- मिश्रित टीम 10 मीटर राइफल स्टैंडिंग SH1 में रजत पदक.
चांगवोन विश्व कप (2023) - R2- महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1 में सिल्वर मेडल
पेरिस पैरालिंपिक (2024) - R2- महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1 गोल्ड मेडल
2021 में उन्हें खेल रत्न अवॉर्ड जबकि 2022 में हुए पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.
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