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This Article is From Jul 05, 2016

वादे से मुकरने वाले बिल्डरों पर होगी एफआईआर, महाराष्ट्र पुलिस ने जारी किया सर्कुलर

वादे से मुकरने वाले बिल्डरों पर होगी एफआईआर, महाराष्ट्र पुलिस ने जारी किया सर्कुलर
प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर
मुंबई: हर आम आदमी का सपना होता है कि उसका एक घर हो। पाई-पाई जमा कर वो फ्लैट बुक भी कर लेता है। लेकिन अक्सर देखा गया है कि जब फ्लैट मिलने का वक्त आता है तब बिल्डर आज कल कर महीनों, कभी-कभी तो सालों निकाल देते हैं। बेचारा आम आदमी बिल्डर के दफ्तर का चक्कर लगाता रह जाता है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। महाराष्ट्र पुलिस ने एक सर्कुलर जारी कर ऐसे बिल्डरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।

खास बात है कि 1 जुलाई को जारी सर्कुलर में द महाराष्ट्र ऑनरशिप फ्लैट एक्ट 1963 और महाराष्ट्र रीजनल एंड टाउन प्लानिंग एक्ट 1966 के हवाले से ही है। सर्कुलर के मुताबिक बिल्डर ने अगर
- तय समय पर फ्लैट का कब्ज़ा नहीं दिया
- पास नक्शे के अनुरूप काम नहीं किया
- अनुमति से ज्यादा मंजिल बनाई
- बिल्डिंग पूरी होने पर 4 महीने के अंदर सोसायटी के लिए आवदेन नहीं दिया
- सोसायटी रजिस्ट्रेशन के बाद 4 महीने के अंदर कन्वेंस नहीं दिया


तो उस बिल्डर के खिलाफ एफ आई आर दर्ज हो सकती है। जाहिर है ग्राहकों की दृष्टि से ये बहुत ही दिलासा देने वाला है। मुंबई में ऐसे ही एक नामी बिल्डर के सताये हुए प्रशांत बालाकृष्णन का कहना है इससे बिल्डरों के मनमानी रवैये पर लगाम लगने की उम्मीद जगी है।

लेकिन बिल्डर इसे व्यवसाय के लिए घातक मान रहे हैं। महाराष्ट्र चैंबर ऑफ़ हाउसिंग इंडस्ट्री क्रेडाई के अध्यक्ष धर्मेश जैन के मुताबिक एक प्रोजेक्ट के लिए तमाम सरकारी विभागों से 50 से 60 परमिशन लेनी पड़ती है जिसमे 2 से 3 साल लगना आम बात है। उसके बाद भी अगर बीच में कोई नियम बदलता है तो फिर से सारी कवायद करनी पड़ती है। फिर अकेले बिल्डर को जिम्मेदार ठहराने का मतलब कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री को ख़त्म करना है।

बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के सदस्य आनंद गुप्ता के मुताबिक मुंबई तक़रीबन 50 हजार बिल्डिंगों में लोग बिना ओकुपशन प्रमाणपत्र के रहते हैं। इसके लिए सिर्फ बिल्डर को जिम्मेदार ठहराना बेमानी है। अगर कोई जिम्मेदार है तो बीएमसी से लेकर दूसरे सरकारी विभाग और नेता हैं जो बिल्डिंग बनाने में 50 तरह के रोड़े अटकाते हैं लेकिन झोपड़ा बनाने की खुली छूट दे रखी है। अब पुलिस के हाथ में बिल्डरों को परेशान करने का नया हथियार दे दिया गया है।

बिल्डिंग व्यवसाय को रेगुलराइज करने और ग्राहकों के हित को सुरक्षित करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार कानून बनाने के साथ एक रेगुलेटरी बिल भी बना चुकी है और सभी राज्य सरकारों को भी 6 महीने के भीतर अपने-अपने ड्राफ्ट बिल बनाने को कहा है।

बिल्डरों का कहना है कि बिना रेगुलेटरी बॉडी बनाये अचानक से इस तरह का सर्कुलर निकालना ना सिर्फ भवन निर्माण व्यवसाय के लिये नुकसानदेह है बल्कि ग्राहकों के लिए भी घाटे का सौदा है। आज जरूरत है बिल्डरों के साथ ही सरकारी विभागों को भी जिम्मेदारी तय करने वाली पारदर्शी नीति की ताकि भवन निर्माण व्यवसाय को बढ़ावा मिले और सभी को सस्ते में घर मिल सके। लेकिन महाराष्ट्र में तो उल्टा ही हो रहा है।

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