बिल्डर राज कांधारी (फाइल फोटो)
मुंबई:
नवी मुंबई में सोमवार रात स्वराज ग्रुप के मालिक और नामचीन बिल्डर राज कांधारी ने खुदकुशी कर ली, अपने सुसाइड नोट में उसने किसी को जिम्मेदार तो नहीं ठहराया है लेकिन शब्दों के जरिये मुश्किलों की एक तस्वीर बनाने की कोशिश की है। पुलिस का कहना है कि बिल्डर करोड़ों के कर्ज के दबाव में था।
राज कंधारी के सुसाइड नोट की कॉपी एनडीटीवी के पास है, जिसमें पहले और दूसरे पन्ने पर उसने लिखा है, 'हमें कोई बर्बाद नहीं कर सकता, हमारा नुकसान कर सकता है पर, बर्बाद नहीं कर सकता... वो ग़लत करेगा, तो मैं क्यूं ग़लत करूं...'
अपने ही घर में खुद को गोली मारने से पहले स्वराज ग्रुप के मालिक राज कंधारी ने ये ख़त लिखा। कंधारी की कंपनी ने गोवा, नवी मुंबई, दीघा, गोवंडी, ऐरोली, घनसोली, चेंबूर जैसे इलाकों में कई मकान बनाए। लेकिन पनवेल में फैले 40 एकड़ के स्वराज लगूना में उनका बहुत पैसा लग गया। सूत्र बताते हैं कि कई प्रोजेक्ट्स की फाइलें अटक गईं, ऐसे में पुलिस साफ तौर पर नेता-बिल्डर-बाबुओं के भ्रष्ट गठजोड़ पर कुछ कह तो नहीं रही लेकिन उससे इंकार भी नहीं कर रही है। नवी मुंबई के डीसीपी शाहजी उमप ने कहा, "इन प्रोजेक्ट्स में उनका बहुत सारा पैसा लगा था, हम जांच कर रहे हैं कि जिन लोगों ने इसमें पैसा लगाया था उनसे इनके रिश्ते कैसे थे, हम ये भी जांच रहे हैं कि कहीं उन्हें कोई धमकी भरा फोन तो नहीं आया था।"
कुछ महीनों पहले ठाणे के बड़े बिल्डर सूरज परमार ने खुदकुशी कर ली थी, उनके सुसाइड नोट में नेता-बाबुओं के गठजोड़ का जिक्र था। इस गठजोड़ को सुलझाने के लिए पुलिस ने कुछ पार्षदों को गिरफ्तार भी किया था। इसके बाद मोहन ग्रुप के अमर भाटिया का शव भी रेलवे ट्रैक पर मिला था। राज कंधारी खुदकुशी मामले की जांच फिलहाल नवी मुंबई क्राइम ब्रांच के जिम्मे है, लेकिन इतना साफ है कि अगर प्रशासन ने सख्ती नहीं बरती, इस गठजोड़ को खत्म नहीं किया तो ऐसे मामलों पर लगाम लगाना मुश्किल होगा।
राज कंधारी के सुसाइड नोट की कॉपी एनडीटीवी के पास है, जिसमें पहले और दूसरे पन्ने पर उसने लिखा है, 'हमें कोई बर्बाद नहीं कर सकता, हमारा नुकसान कर सकता है पर, बर्बाद नहीं कर सकता... वो ग़लत करेगा, तो मैं क्यूं ग़लत करूं...'
अपने ही घर में खुद को गोली मारने से पहले स्वराज ग्रुप के मालिक राज कंधारी ने ये ख़त लिखा। कंधारी की कंपनी ने गोवा, नवी मुंबई, दीघा, गोवंडी, ऐरोली, घनसोली, चेंबूर जैसे इलाकों में कई मकान बनाए। लेकिन पनवेल में फैले 40 एकड़ के स्वराज लगूना में उनका बहुत पैसा लग गया। सूत्र बताते हैं कि कई प्रोजेक्ट्स की फाइलें अटक गईं, ऐसे में पुलिस साफ तौर पर नेता-बिल्डर-बाबुओं के भ्रष्ट गठजोड़ पर कुछ कह तो नहीं रही लेकिन उससे इंकार भी नहीं कर रही है। नवी मुंबई के डीसीपी शाहजी उमप ने कहा, "इन प्रोजेक्ट्स में उनका बहुत सारा पैसा लगा था, हम जांच कर रहे हैं कि जिन लोगों ने इसमें पैसा लगाया था उनसे इनके रिश्ते कैसे थे, हम ये भी जांच रहे हैं कि कहीं उन्हें कोई धमकी भरा फोन तो नहीं आया था।"
कुछ महीनों पहले ठाणे के बड़े बिल्डर सूरज परमार ने खुदकुशी कर ली थी, उनके सुसाइड नोट में नेता-बाबुओं के गठजोड़ का जिक्र था। इस गठजोड़ को सुलझाने के लिए पुलिस ने कुछ पार्षदों को गिरफ्तार भी किया था। इसके बाद मोहन ग्रुप के अमर भाटिया का शव भी रेलवे ट्रैक पर मिला था। राज कंधारी खुदकुशी मामले की जांच फिलहाल नवी मुंबई क्राइम ब्रांच के जिम्मे है, लेकिन इतना साफ है कि अगर प्रशासन ने सख्ती नहीं बरती, इस गठजोड़ को खत्म नहीं किया तो ऐसे मामलों पर लगाम लगाना मुश्किल होगा।
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