40 साल की श्रेया मेहता ट्रैवल इंडस्ट्री में काम करती हैं. फिलहाल इनकी किडनी काम करना बंद कर चुकी है, अब श्रेया को जिंदा रहने के लिए डायलिसिस पर निर्भर करना पड़ता है. श्रेया पिछले 3 साल से किडनी ट्रांस्प्लांट का इंतजार कर रही हैं, जो अब तक जारी है. महाराष्ट्र में 8 हजार ऐसे ही मरीजों को डोनर का इंतजार है. एक आंकड़ा के अनुसार, महाराष्ट्र में साल भर में करीब 7 लाख लोगों की मौत होती हैं, अगर इनमें से 2-3 प्रतिशत भी लोग अपने अंगों को डोनेट करते हैं तो डोनर का इंतजार कर रहे लोगों की परेशानी खत्म हो सकती है. एनडीटीवी की टीम ने इसी पर एक विशेष रिपोर्ट तैयार की है.
महाराष्ट्र की कुल आबादी 12 करोड़ है. यहां हर साल करीब 7 लाख लोगों की मौते होती हैं. एक आंकड़ा के मुताबिक, राज्य में करीब 8 हजार ऐसे मरीज हैं, जिनके कोई न कोई अंग काम करना बंद कर चुका है. इन मरीजों को समय से डोनर नहीं मिल पा रहा है तो ये परेशान हो रहे हैं. कुछ मरीज ऐसे हैं जो इंतजार में ही मर जा रहे हैं. डॉक्टरों का मानना है कि मृत लोगों से 5-10 प्रतिशत भी अंग प्राप्त हो जाएं तो लोगों की जिंदगी आसानी से बच सकती है.
किडनी मरीज श्रेया ने सुनाई आपबीती
किडनी मरीज श्रेया मेहता बताती हैं कि 5 साल पहले aHUS (atypical hemolytic uremic syndrome) डिटेक्ट हुआ, उसकी वजह से मेरी किडनी डैमेज हुई, उसके कारण मैं तीन साल से डायलिसिस पर हूं, कैडेवर(मृत डोनर) में हमने नाम लिखाया है. लेकिन अभी तक मैच करने वाली किडनी नहीं मिली है. लंबा वेटिंग है. मेरे मामले में सिर्फ़ मैं किडनी मरीज़ नहीं हूँ, रेयर केस है, aHUS मरीज़ हूं, इसलिए मुझे ट्रांस्प्लांट से पहले और बाद में भी इंजेक्शन की ज़रूरत पड़ेगी. जो इंडिया में नहीं मिलता. उसका इंतज़ार भी कर रही हूं. हालत खराब है एक हफ़्ते में तीन बार डायलिसिस के लिए जाना पड़ता है. व्हील चेयर पर. बॉडी जवाब दे चुकी है. बाल, स्किन, सबपर प्रभाव पड़ता है.
श्रेया की मां हैं चिंतित
तृप्ति जोशी (श्रेया की मां) ने बताया कि मेरी बेटी इतनी यंग है मुझे बहुत तकलीफ़ होती है इसकी हालत देखकर. हमारे पीएम भी कहते हैं एक मृत व्यक्ति सात जानें बचा सकता है तो ये अवेयरनेस लोगों में पहुंचाई जाये. कुछ करे सरकार मीडिया. एक्सपर्ट डॉक्टरों को स्कूल,कॉलेजों में जाना चाहिए विजिट पर. महत्व अंगदान का बताना चाहिए ताकि यंग ऐज में ही उनका इसका एहसास हो.
पूरा मामला समझें
- महाराष्ट्र राज्य में स्थिति दुर्लभ बनी हुई है. वर्तमान में, महाराष्ट्र में 8,000 से अधिक लोग जीवन रक्षक अंगों के लिए प्रतीक्षा सूची में हैं.
- आंकड़ों के अनुसार, इस साल जून तक अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे प्रत्येक 103 रोगियों के लिए केवल एक मृतक अंगदाता है.
- अधिकांश यानी क़रीब 78% ऑर्गन ट्रांस्प्लांट रजिस्ट्रेशन किडनी के लिए हैं, जिनमें 6,480 मरीज़ किडनी डोनर के लिए इंतज़ार में हैं.
- इसके बाद लीवर प्रत्यारोपण के लिए 1,533 मरीज़
- हार्ट ट्रांस्प्लांट के लिए 133
- लंग्स के प्रत्यारोपण के लिए 57
- पैनक्रियाज़ ट्रांस्प्लांट के लिए 34 और छोटी आंत के प्रत्यारोपण के लिए 3 अनुरोध हैं.
- कुल मिलाकर, विभिन्न जानलेवा स्थितियों में फँसे हुए 8,240 मरीज महाराष्ट्र में दाताओं की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
डॉ टॉम चेरियन, प्रमुख लीवर ट्रांस्प्लांट, wockhardt हॉस्पिटल
मेरा बैड लक कह सकते हैं कि जिसको मैं वेटिंग लिस्ट में डाल रहा हूँ, मुझे मेरे दिमाग़ में पता है कि ये मरीज़ वेटिंग लिस्ट का डेढ़ साल तक इंतज़ार करने की हालत में नहीं. वो ज़िंदा नहीं रह पाएगा. ट्रांस्प्लांट नहीं हो पाएगा. महाराष्ट्र की हालत ख़राब है. तमिलनाडु, तेलंगाना थोड़ा बेहतर है, तेलंगाना में वेटिंग टाइम नौ महीना है. 50% मरीज़ जो वेटिंग लिस्ट में हैं वो लीवर मिलने से पहले मर रहे हैं.
लगभग 12 करोड़ की आबादी वाले महाराष्ट्र में हर साल लगभग 7 लाख मौतें होती हैं. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि कम से कम 5-10% ब्रेन डेड लोगों के अंग दान के लिए उनके परिवारों को समझाया या प्रेरित किया जाए, तो जीवित दाताओं की जरूरत खत्म हो सकती है और लंबी प्रतीक्षा सूची को आसानी से साफ़ किया जा सकता है.
बाइट- डॉ टॉम चेरियन, प्रमुख लीवर ट्रांस्प्लांट, wockhardt हॉस्पिटल
- अगर भारत में अगर ब्रेन डेड मरीज़ों का लीवर इस्तेमाल हुआ तो इंडिया का ही नहीं बल्कि पूरे साउथ ईस्ट एशिया के लीवर मरीज़ों के ट्रांस्प्लांट के लिये हमारे पास लीवर है. हम एक ऐसे देश में हैं जहां वर्ल्ड का हाईस्ट रोड ट्रैफिक रेट है.
- इस साल जून तक, महाराष्ट्र में 80 मृतक दान दर्ज किए गए हैं, जिन्हें कैडेवर दान भी कहा जाता है, जिनमें से 239 अंगों को प्रत्यारोपित किया गया है।
- कैडेवर दान में प्रत्यारोपण प्राप्तकर्ताओं के जीवन को बचाने या बढ़ाने के लिए, आमतौर पर मृत व्यक्ति के ब्रेन डेड यानी मस्तिष्क मृत्यु के बाद, अंगों को देना शामिल है।
- ब्रेन डेथ को मेडिकल की भाषा में मृत्यु के कानूनी परिभाषा के तौर पर जाना जाता है। किसी को ब्रेन डेड घोषित करने का मतलब है कि उसके मस्तिष्क ने सभी तरह से कार्य करने बंद कर दिए हैं.
- हालांकि, बीते कुछ समय से कैडेवर दान यानी मृत्यु के बाद शरीर के अंगों का दान धीरे-धीरे बढ़ रहा है। 2021 में—95 दाता थे, जो 2022 में बढ़कर 105 और 2023 में 148 हो गए.
मृतक दान प्रक्रिया एक निर्णय से शुरू होती है। आप तय करते हैं कि आप मरने के बाद अपने अंग दान करके अंतिम चरण के अंग रोग से पीड़ित लोगों की मदद करना चाहते हैं। जब आपका समय आता है, शायद दशकों बाद, आपके अंगों का इस्तेमाल कई लोगों की जान बचाने के लिए किया जा सकता है.
कई ज़िंदगियाँ ज़िंदा रहने का संघर्ष कर रही हैं. एक मृत शरीर क़रीब सात लोगों को नया जीवन दे सकता है. इस महान सोच के लिए अगर लोग समय रहते प्रेरित किए जाएँ तो कई मौतों को हम अपने सिर्फ़ एक फ़ैसले से रोक सकते हैं. वर्तमान में राष्ट्रीय प्रत्यारोपण प्रतीक्षा सूची में 103,000 से अधिक लोग अंगदाता के इंतज़ार में हैं.
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