- मुंबई क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार फर्जी BARC वैज्ञानिक अख्तर हुसैनी और उसके भाई आदिल पर गंभीर आरोप लगाए
- हुसैनी भाइयों को 1995 से विदेशी देशों से संवेदनशील परमाणु जानकारी के बदले करोड़ों रुपये की फंडिंग मिलती रही है
- अख्तर हुसैनी के नाम प्राइवेट बैंक में संदिग्ध ट्रांजैक्शन पाए गए हैं, जिनकी जांच के लिए बैंक से डिटेल मांगी गई
मुंबई क्राइम ब्रांच की जांच में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. वर्सोवा के यारी रोड से गिरफ्तार किए गए फर्जी BARC (भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर) वैज्ञानिक अख्तर हुसैनी और दिल्ली से पकड़े गए उसके भाई आदिल हुसैनी पर गंभीर आरोप लग रहे हैं. जांच एजेंसियों का दावा है कि दोनों भाइयों ने संवेदनशील परमाणु जानकारी के बदले विदेशों से करोड़ों रुपये की विदेशी फंडिंग ली है.
1995 से मिल रहा था विदेशी पैसा
क्राइम ब्रांच सूत्रों के मुताबिक, हुसैनी भाईयों को 1995 से ही बाहर के देशों से पैसा मिलना शुरू हो गया था. शुरू में उन्हें लाखों रुपये दिए जाते थे, लेकिन साल 2000 के बाद रकम करोड़ों में पहुंच गई. शक है कि ये रकम BARC और दूसरे न्यूक्लियर प्लांट्स से जुड़ी गुप्त ब्लूप्रिंट्स देने के बदले में दी गई.
बैंक खातों से खुला राज
जांच में पता चला है कि अख्तर हुसैनी के नाम से एक प्राइवेट बैंक में अकाउंट मिला है, जिसमें संदिग्ध ट्रांजैक्शन हुए हैं. पुलिस ने बैंक से ट्रांजैक्शन की पूरी डिटेल मांगी है ताकि फंडिंग की सटीक रकम और स्त्रोत का पता चल सके. इतना ही नहीं, कई ऐसे अकाउंट भी सामने आए हैं जिन्हें आरोपी भाइयों ने अब बंद कर दिया है. पुलिस पुराने अकाउंट्स के रिकॉर्ड खंगाल रही है ताकि पूरी मनी ट्रेल तैयार की जा सके.
फर्जी डॉक्युमेंट्स और ISI कनेक्शन की जांच
जांच में एक और बड़ा एंगल सामने आया है. आरोप है कि आदिल हुसैनी के कहने पर उनके साथी मुन्नाजिर खान ने कई फर्जी पहचान पत्र (Fake IDs) बनाए थे. ये डॉक्युमेंट्स उसके लैपटॉप में सेव थे. फिलहाल ये जांच की जा रही है कि इन दस्तावेजों का इस्तेमाल कहां और कैसे किया गया.
इसके अलावा, पुलिस को शक है कि अख्तर हुसैनी ने भी अपने भाई की तरह पाकिस्तान का दौरा किया था, और उनके ISI से संबंध हो सकते हैं. हालांकि, फिलहाल इस बारे में ठोस सबूत जुटाए जा रहे हैं.
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