- CBI कोर्ट, इंदौर ने पटवारी भर्ती परीक्षा 2008 में फर्जीवाड़ा करने वाले दस आरोपियों को दोषी करार दिया है
- आरोपियों को पांच साल की कठोर कारावास की सजा और तीन-तीन हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है
- यह मामला व्यापम द्वारा आयोजित पटवारी भर्ती परीक्षा से जुड़ा है, जिसमें जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया था
व्यापम घोटाले से जुड़े एक अहम मामले में CBI कोर्ट, इंदौर ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने पटवारी भर्ती परीक्षा 2008 में फर्जीवाड़ा करने के मामले में 10 आरोपियों को दोषी करार देते हुए 5 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही कोर्ट ने सभी दोषियों पर 3-3 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. यह फैसला 16 दिसंबर 2025 को सुनाया गया. सजा पाने वालों में रामेश्वर, राकेश, देवेंद्र, चेतन, बलराम, हरपाल, गोपाल, जितेंद्र, दिनेश और दिग्विजय सिंह सोलंकी शामिल हैं.
जाली दस्तावेजों से परीक्षा में धोखाधड़ी की
मामला साल 2008 की पटवारी भर्ती परीक्षा से जुड़ा है, जिसे व्यापम (Vyapam) ने आयोजित किया था. आरोप है कि इन सभी आरोपियों ने फर्जी प्रमाण पत्र और जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल कर परीक्षा में धोखाधड़ी की, खुद को योग्य दिखाया और चयन हासिल कर लिया. इस मामले में पहले 26 अक्टूबर 2012 को खरगोन जिले के कोतवाली थाना में FIR दर्ज की गई थी. जांच के बाद खरगोन पुलिस ने 28 मई 2014 को चार्जशीट दाखिल की थी.
लंबी सुनवाई के बाद आया कोर्ट का फैसला
बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत इस केस की जांच CBI को सौंप दी गई. CBI ने मामले की गहन जांच की और सबूतों के आधार पर आरोपियों के खिलाफ केस को कोर्ट में मजबूती से पेश किया. लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने यह माना कि आरोपियों ने जालसाजी और धोखाधड़ी कर सरकारी भर्ती प्रक्रिया को प्रभावित किया, जिसके बाद सभी को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई गई.
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