मध्यप्रदेश के हर ज़िले से कर्जमाफी में घोटाले की ख़बरें आ रही हैं. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कर्जमाफी प्रक्रिया में सामने आ रहे घोटाले की रकम को हजार करोड़ से ज्यादा का बताया है. उन्होंने ये भी कहा कि ये घोटाला पिछली सरकार के कार्यकाल में बीजेपी नेताओं और बैंक अफसरों ने मिलकर किया. इसकी जांच कराएंगे. जीरो फीसदी के नाम पर भी कर्ज देने का दुरुपयोग हुआ. वहीं बीजेपी कह रही है सरकार बयान देकर कर्जमाफी की विफलता छिपा रही है. उमरिया के किसान रोहिणी साहू का कहना है, 'मैंने सोसायटी से कर्जा नहीं लिया है, फिर भी मेरे नाम से 80,000 का कर्ज का आरोप लगाया गया, जांच भी करवाया, कोई जांच नहीं हुई. वहीं, दयाल ने कहा, '56000 कर्जा आ गया, न हमने लिया, ना हमारे बाप दादा ने लिया.'
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उमरिया ज़िले के पड़वार, बेल्दी, बचहा, चिल्हारी, सुखदास जैसे गांवों के कई किसानों की बिना कर्ज लिए लाखों रुपए की कर्जमाफी हो गई. किसान परेशान हैं और रोज़ सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं. यही नहीं कर्जमाफी की सूची में उन किसानों के नाम भी शामिल हैं जिनकी सालों पहले मौत हो चुकी है. शहडोल में तो कई लखपति, कारोबारी, नेता, डॉक्टर, इंजीनियरों के नाम पर खेती का कर्ज है, जिसे उन्होंने सालों तक नहीं चुकाया. कटनी में जरवाही सोसायटी पर ये किसान फर्जीवाड़े का आरोप लगा रहे हैं. बुद्धुलाल पटेल, चंद्रभान पटेल जैसे कई किसान हैं जिन्होंने अपना कर्ज चुका दिया, लेकिन उनके नाम के आगे लाखों की रकम दर्ज है. बुद्धुलाल पटेल ने कहा मेरे ऊपर 7,95,480 लोन निकाला है. हमने लोन लिया, लेकिन समय-समय पर चुकाते रहे. जिसकी एक-एक रसीद है. वहीं चंद्रभान पटेल ने कहा, 'मेरे ऊपर 3,68.894 कर्ज निकाल दिया. मेरा वहां 1,03,789 रु ज्यादा जमा है. मेरा पैसा फसल से काट कर ले लिया और सबकी रसीद है.'
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आगर मालवा ज़िले में गागोरनी और गणेशपुरा गांव के किसानों का भी यही आरोप है. किसी के पिता की मौत के 18 साल बाद भी कर्जदार में उनका नाम लिखा है, तो कोई कर्ज चुकाने के बाद भी कर्ज़दार है. पुर सिंह ने कहा कि मेरे पिताजी को मरे 18 साल हो गए. उनके नाम से कर्जा चल रहा है. छतरपुर जिले में भी कई ऐसे मामले मिले, जिसमें किसान दुनिया में नहीं हैं और कर्जदार हो गया. कई लापता लोगों के नाम भी कर्ज है. कटनी, सागर, रीवा में प्रशासन ने फर्जी ऋण मामलों में आईपीसी की धारा 420, 409, 201 तथा 120 के तहत मामला दर्ज कराया है.
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मध्यप्रदेश सरकार के प्रवक्ता जीतू पटवारी ने कहा, 'बीजेपी की जब सरकार रही तब सहकारिता विभाग. सहकारी समितियों में जो करप्शन की गंगा बह रही है वो किसी से छिपी नहीं है. ये विसंगतियां उसी का परिणाम हैं. हमने आदेश निकाला है जो आपराधिक गतिविधियों में पाये गये हैं उन्हें आपराधिक प्रकरणों से गुजरना होगा.' वहीं बीजेपी का कहना है, जो दोषी है उसके खिलाफ कार्रवाई हो. सिर्फ बयान देकर सरकार कर्जमाफी की विफलता छिपा रही है. बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि दस दिन हमने नहीं राहुल गांधी ने गिनाये थे. लोकसभा चुनाव तक ऐसे आरोप लगाते रहेंगे. सवाल ये है कि किसी ने कोई गड़बड़ी की है तो जांच कराये, जांच हुई नहीं निष्कर्ष पहले निकाल दिया. आपको बता दें कि राज्य में जय किसान फसल ऋण माफी योजना में अबतक 53 लाख 18 हजार 757 ऋण खाता धारक किसानों में से लगभग 79 प्रतिशत यानी 42 लाख 4 हजार 463 किसानों ने ऋण माफी के लिये आवेदन पत्र भर दिये हैं. जिसमें 14 लाख 29 हजार 879 किसानों के ऋण खाते पंच किये जा चुके हैं. सरकार ने शिकायतों के निपटारे के लिये जो कंट्रोल रूम बनाये थे उसमें कुल 342 शिकायतें अब तक मिल गई हैं.
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