मध्यप्रदेश विधानसभा में मार्च में धर्म स्वतंत्रता कानून पास किया गया जिसके बाद पूरे राज्य में जबरन धर्म परिवर्तन के 28 मामले दर्ज किए गए हैं. यानी कानून बनने के बाद प्रदेश में औसतन हर महीने पहचान छिपाकर शादी करने के 5 मामले सामने आए हैं. इसकी जानकारी विधानसभा के मॉनसून सत्र की कार्यवाही के दौरान प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दी है. गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में विधानसभा को बताया कि इन मामलों में 37 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें से 31 जेल में हैं, जबकि छह जमानत पर बाहर हैं. इंदौर में कम से कम पांच मामले दर्ज किए गए हैं.
डॉ मिश्रा भाजपा विधायक कृष्णा गौर के प्रश्न का उत्तर दे रहे थे. 8 मार्च को, मध्य प्रदेश विधानसभा ने इस विधेयक को पारित किया था जिसमें कुल 19 प्रावधान हैं. कानून के मुताबिक प्रलोभन, धमकी, कपट, षड़यंत्र से या धर्म छिपाकर विवाह करने पर विवाह को शून्य माना जाएगा. कानून के प्रावधानों के विरुद्ध धर्म परिवर्तन किए जाने पर कम से कम 1 साल और अधिकतम 5 साल का कारावास होगा. कानून के प्रावधानों के खिलाफ महिला, नाबालिग, SC-ST के धर्म परिवर्तन किए जाने पर कम से कम 2 साल और अधिकतम 10 साल की सजा और 50 हजार का जुर्माना होगा.
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उत्तर प्रदेश और हरियाणा ने इस पर कानून पारित किया है जबकि कर्नाटक अगले विधानसभा सत्र में विधेयक पेश करने के लिए तैयार है. एक दूसरे सवाल पर महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी को जवाब देते हुए, डॉ मिश्रा ने कहा कि 2017 के बाद से, मध्य प्रदेश में 26,708 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए हैं, 2,663 महिलाओं की हत्या की गई, 27,827 नाबालिगों का अपहरण किया गया, जबकि 854 महिलाओं का अपहरण किया गया. मंत्री ने कहा कि इन मामलों में नामजद 16,038 आरोपियों में से 1,353 को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है.
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