मध्य प्रदेश सरकार स्कूलों को अब कंपनियों के हवाले करने जा रही है, इसकी एक रिपोर्ट भी तैयार की जा चुकी है
सागर:
युवा भारत और शिक्षित भारत के नारे लगाने वाली सरकार क्या वाकई में बच्चों की शिक्षा और सेहत के लिए गंभीर है. मध्य प्रदेश सरकार की नीतियों को देखकर तो बिल्कुल नहीं कहा जा सकता कि यहां सरकार के हाथ में बच्चों की सही शिक्षा भी हो रही है. प्रदेश के बदहाल स्कूलों की रिपोर्ट पिछले दिनों मीडिया में खूब चर्चित रहीं. अब सरकार स्कूलों और शिक्षा की स्थित सुधारने के बजाय स्कूलों को कंपनियों के हवाले करने की सोच रही है.
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मध्य प्रदेश सरकार सरकारी स्कूलों को आर्थिक तौर पर मदद करने वाली कंपनियों के नाम पर करने की तैयारी कर चुकी है. यह खुलासा गुरुवार को राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह ने किया. इसे इस बात का संकेत माना जा रहा है कि सरकार की माली हालत ठीक नहीं है.
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यहां के रवींद्र भवन में शाला प्रबंधन एवं शैक्षणिक गुणवत्ता पर प्राचार्य परिचर्चा का आयोजन किया गया. इस परिचर्चा की अध्यक्षता करते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री शाह ने कहा, "अपना भी एक आइडिया है कि कंपनियों से आर्थिक सहयोग लेकर स्कूल के नाम में संबंधित कंपनी का नाम जोड़ दो, इससे कंपनी का प्रचार हो जाएगा और सरकार की धनराशि बच जाएगी. इस आइडिया पर मुख्यमंत्री ने भी मुहर लगा दी है."
उन्होंने कहा कि जो कंपनी ज्यादा पैसे देगी, उसी के नाम पर स्कूल का नाम किया जाएगा. अगर टेलीकॉम कंपनी ऐसा करेगी तो उससे कहेंगे कि बच्चों को वाई-फाई फ्री कर दे, एक प्राचार्य को वेतन दे दे. अगले साल कोई दूसरी कंपनी ज्यादा पैसे देगी तो स्कूल का नाम उसी कंपनी के नाम कर दिया जाएगा. इस परिचर्चा में प्राचार्यो से सीधा संवाद कर उनसे अकादमिक गुणवत्ता सुधार, अभिभावक भागीदारी प्रोत्साहन, मूल्यांकन, शिक्षक-छात्र-परस्पर संबंध को बढ़ाने के लिए विस्तृत चर्चा की गई.
(इनपुट आईएएनएस से)
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मध्य प्रदेश सरकार सरकारी स्कूलों को आर्थिक तौर पर मदद करने वाली कंपनियों के नाम पर करने की तैयारी कर चुकी है. यह खुलासा गुरुवार को राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह ने किया. इसे इस बात का संकेत माना जा रहा है कि सरकार की माली हालत ठीक नहीं है.
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यहां के रवींद्र भवन में शाला प्रबंधन एवं शैक्षणिक गुणवत्ता पर प्राचार्य परिचर्चा का आयोजन किया गया. इस परिचर्चा की अध्यक्षता करते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री शाह ने कहा, "अपना भी एक आइडिया है कि कंपनियों से आर्थिक सहयोग लेकर स्कूल के नाम में संबंधित कंपनी का नाम जोड़ दो, इससे कंपनी का प्रचार हो जाएगा और सरकार की धनराशि बच जाएगी. इस आइडिया पर मुख्यमंत्री ने भी मुहर लगा दी है."
उन्होंने कहा कि जो कंपनी ज्यादा पैसे देगी, उसी के नाम पर स्कूल का नाम किया जाएगा. अगर टेलीकॉम कंपनी ऐसा करेगी तो उससे कहेंगे कि बच्चों को वाई-फाई फ्री कर दे, एक प्राचार्य को वेतन दे दे. अगले साल कोई दूसरी कंपनी ज्यादा पैसे देगी तो स्कूल का नाम उसी कंपनी के नाम कर दिया जाएगा. इस परिचर्चा में प्राचार्यो से सीधा संवाद कर उनसे अकादमिक गुणवत्ता सुधार, अभिभावक भागीदारी प्रोत्साहन, मूल्यांकन, शिक्षक-छात्र-परस्पर संबंध को बढ़ाने के लिए विस्तृत चर्चा की गई.
(इनपुट आईएएनएस से)
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