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ब्याज का बोझ, सड़ा अनाज और किसानों की अनिश्चितता, मध्यप्रदेश में खाद्य संकट की तस्वीर

वित्तीय अस्थिरता के साथ ही भंडारण प्रणाली की विफलता भी सामने आई है. रीवा जिले के सिरमौर विधानसभा क्षेत्र के उमरी वेयरहाउस में पिछले एक साल से 939.044 मीट्रिक टन धान सड़ा पड़ा है, जिसकी बदबू पूरे इलाके में फैल रही है.

ब्याज का बोझ, सड़ा अनाज और किसानों की अनिश्चितता, मध्यप्रदेश में खाद्य संकट की तस्वीर
  • MP सरकार के नागरिक आपूर्ति निगम पर बैंकों से भारी कर्ज ₹62,944.71 करोड़ का बकाया है
  • खाद्य मंत्री ने बताया कि यह कर्ज सामाजिक योजनाओं, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद के कारण हुआ है
  • रीवा जिले के उमरी वेयरहाउस में पिछले एक साल से 939.044 मीट्रिक टन धान सड़ा पड़ा है
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भोपाल:

मध्यप्रदेश सरकार भारी कर्ज में डूबी है और इसके कई संस्थानों पर भी संकट मंडरा गया है. इस बीच विधानसभा में सरकार ने स्वीकार किया कि नागरिक आपूर्ति निगम (नान) पर पुराने कर्जों का बड़ा बोझ है. खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने विधायक सुशील कुमार तिवारी के सवाल पर बताया कि नान ने अब तक बैंकों से ₹62,944.71 करोड़ का कर्ज लिया है. इस कर्ज पर रोज़ाना करीब ₹14.17 करोड़ ब्याज देय होता है.

नीति और प्रबंधन पर सवाल

जानकार मानते हैं कि इस संस्था की वित्तीय अस्थिरता, भंडारण-विफलता और किसानों व गरीब उपभोक्ताओं पर प्रभाव के बीच सरकार की नीति और प्रबंधन पर गंभीर संदेह खड़े हो गए हैं. सरकार का कहना है कि ब्याज भुगतान नियमित हो रहा है, लेकिन यह स्वीकार करना कि “यह ऋण भार सामाजिक योजनाओं, MSP पर खरीदी और विकेंद्रीकृत उपार्जन-प्रसंस्करण व्यवस्था” के कारण हुआ, साफ संकेत है कि पुरानी व्यवस्था अब बोझ बन चुकी है.

हालांकि वित्तीय संकट के सवाल पर खाद्य मंत्री ने कहा कि नहीं, कुप्रबंधन के कारण वित्तीय संकट नहीं हुआ है.  जब पूछा गया कि संकट के लिए कौन जिम्मेदार है, तो सरकार ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया और कहा कि प्रश्न उपस्थित नहीं होता है.

भंडारण प्रणाली की विफलता

वित्तीय अस्थिरता के साथ ही भंडारण प्रणाली की विफलता भी सामने आई है. रीवा जिले के सिरमौर विधानसभा क्षेत्र के उमरी वेयरहाउस में पिछले एक साल से 939.044 मीट्रिक टन धान सड़ा पड़ा है, जिसकी बदबू पूरे इलाके में फैल रही है. विधायक दिव्यराज सिंह ने पूछा कि क्या वेयरहाउस में एक साल से खराब धान पड़ा है? इसे हटाया क्यों नहीं गया? अगर महामारी फैली तो फिर इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी?

मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने स्वीकार किया कि साल 2020–21 में खरीदी गई धान की मिलिंग फरवरी 2022 तक होनी थी, लेकिन समय पर मिलिंग नहीं हो सकी. केंद्र सरकार ने समय बढ़ाने की अनुमति भी नहीं दी. इसलिए धान को ई-ऑक्शन के माध्यम से बेचने का फैसला लिया गया.

ई-ऑक्शन और लापरवाही

  • ई-ऑक्शन में बेची गई धान, लेकिन कंपनी ने पूरा माल नहीं उठाया
  • 3682 MT धान का लॉट 279 जय अंबे एग्रोटेक ने ₹935 प्रति क्विंटल में खरीदा
  • कंपनी को 12 जुलाई 2025 तक पूरा धान उठाना था, लेकिन उसने केवल 2742.956 MT धान उठाया
  • 939.044 MT धान अब भी वेयरहाउस में सड़ा पड़ा है
  • 7 नवंबर 2025 को कंपनी को नोटिस दिया गया कि तुरंत पूरा धान उठाओ
  • राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के लिए टीम भी गठित कर दी है

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