कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान 'कोरोना वॉरियर' के रूप में प्रशंसा हासिल करने वाले कैप्टन माजिद अख्तर और उनके सहयोगी पायलट, मध्य प्रदेश सरकार के लिए अब 'विलेन' बन गए हैं. राज्य सरकार ने उन पर लापरवाही करके सरकारी खजाने को 85 करोड़ रुपये की 'चपत' लगाने का आरोप लगाया है. कोराना की पहली लहर के दौरान कैप्टन माजिद अख्तर और उनके सहयोगी पायलटों की मध्य प्रदेश सरकार के विमान से संदिग्ध कोरोना मरीजों के सैंपल के साथ उड़ान भरने के लिए प्रशंसा की गई थी. दूसरी लहर के दौरान भी अख्तर और उनके सहयोगियों ने जीवनरक्षक रिमेडसिवर (Remdesivir) पहुंचाने का काम किया था. अख्तर, राज्य सरकार के उस प्लेन के पायलट थे जो 6 मई 2021 को ग्वालियर के नजदीक दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. विमान अहमदाबाद से Remdesivir के 71 बॉक्स लेकर आ रहा था तभी एक बैरियर से टकराने के बाद ग्वालियर रनवे पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया. घटना में पायलट माजिद और सह पायलट शिव जायसवाल के अलावा नायब तहसीलदार दिलीप द्विवेदी को मामूली चोट आई थीं.
डीजीसीए ने माजिद का फ्लाइंग लाइसेंस एक साल के लिए सस्पेंड कर दिया है. एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इनवेस्टीगेशन ब्यूरो, इंडिया भी मामले की जांच कर रहा है. हालांकि सरकार इस बात पर चुप्पी साधे हुए है कि अनिवार्य इंश्योरेंस प्रोटोकॉल का पालन किए बगैर बीच क्राफट किंग एयर बी 250 GT को उड़ान भरने की इजाजत दी गई. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इंश्योरेंस प्रोटोकॉल का पालन किया गया होता तो सरकार, विमान के स्क्रैप में बदलने के बाद भी कीमत वसूल कर सकती थी. घटना में विमान के कॉकपिट, प्रोपेलर ब्लेड्स, प्रोपेलर हब और पहियों को काफी नुकसान पहुंचा है.
राज्य सरकार की ओर से पिछले सप्ताह माजिद अख्तर को सौंपी गई चार्जशीट में आरोप लगाया गया है कि हादसे के कारण करीब राज्य सरकार का 60 करोड़ रुपये का विमान, 'कबाड़े' में तब्दील हो गया है और उसे प्राइवेट ऑपरेटर्स से प्लेन हायर करने पड़े जिससे 25 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्चा हुआ. चार्जशीट की कॉपी एनडीटीवी के पास है, इसमें माजिद अख्तर ने अपने जवाब में कहा है कि हादसे ग्वालियर एयरपोर्ट पर लगे arrestor barrier के कारण हुआ जिसमे बारे में उन्हें ATC (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) की ओर से जानकारी नहीं दी गई थी. 27 साल का फ्लाइंग अनुभव रखने वाले माजिद का यह भी कहना है कि उन्हें ब्लैक बॉक्स का वह कंटेंट भी उपलब्ध नहीं कराया गया था जिसमें ग्वालियर एटीसी की ओर से मिले सभी निर्देश थे. राज्य सरकार ने अपनी चार्जशीट में यह भी कहा है कि हादसे के बाद अपना लाइसेंस बहाल नहीं रख पाने के लिए कैप्टन माजिद खुद जिम्मेवार हैं. दूसरी ओर, इस आरोप के जवाब में माजिद ने कहा है कि पूर्व में कई पायलटों के लाइसेंस सस्पेंड हो चुके हैं और उन्हें तब तक दोषी नहीं माना जाना चाहिए जब तक डीजीसीए अपनी जांच पूरी नहीं कर लेता. मध्य प्रदेश सरकार ने सात सीटों वाले इस विमान में वर्ष 2019 में करीब 65 करोड़ रुपये में खरीदा था. मामले में बार बार कॉल और मैसेज के बाद भी राज्य उड्डयन विभाग के अधिकारियों की प्रतिक्रिया हासिल नहीं हो पाई.
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