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This Article is From Oct 29, 2020

मध्य प्रदेश उप चुनाव : क्या वोटों का गणित बिगाड़ेंगे सपा-बसपा? जानें ये अहम बातें

मध्य प्रदेश का चुनाव सिर्फ उप चुनाव ही नहीं है. इस चुनाव से मध्य प्रदेश में सत्ता किसकी रहती है वो तय होगा. 28 सीटों के लिए मतदान 3 नवंबर को होना है.

मध्य प्रदेश उप चुनाव : क्या वोटों का गणित बिगाड़ेंगे सपा-बसपा? जानें ये अहम बातें
बहुजन समाज पार्टी (BSP) की मुखिया मायावती- फाइल फोटो
भोपाल:

मध्य प्रदेश का चुनाव सिर्फ उप चुनाव ही नहीं है. इस चुनाव से मध्य प्रदेश में सत्ता किसकी रहती है वो तय होगा. 28 सीटों के लिए मतदान 3 नवंबर को होना है. यह सारी सीटें कितना महत्व रखते हैं उसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि बहुजन समाज पार्टी पहली बार सभी 28  सीटों पर उप चुनाव के लिए उम्मीदवार उतरे हैं. भिंड मुरैना और ग्वालियर संभाग में बसपा और सपा के वोटर्स रहे हैं. कांग्रेस का यह पारम्परिक वोट बैंक माना जाता है. तो बसपा के मैदान में उतरने से जमीन पर काफी समीकरण बदल सकते हैं.

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हाल में मध्य प्रदेश विधान सभा में बसपा के 2 और समाजवादी पार्टी के 1 विधायक, 4 निर्दलीयों के साथ मिलकर शिवराज सिंह चौहान की सरकार को समर्थन दे रहे हैं. यानी इस उपचुनाव में सपा-बसपा की भूमिका अहम है और ये वोटों की गणित बिगाड़ सकती है. 

बीजेपी में आने के बाद ज्योतियादित्य सिंधिया का चुनावी अभियान बताता है कि यह चुनाव कितना अहम है. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, ''3 नवंबर को मध्य प्रदेश के 28 विधान सभा में चुनाव होने जा रहे है. यह चुनाव उपचुनाव नहीं, यह मध्य प्रदेश की दशा और दिशा को तय करेंगे."

लेकिन राजनीतिक दशा में मुद्दों के साथ-साथ चुनावी गणित भी अहम रहती है और बसपा किसका खेल बिगाड़ेगी यह इस चुनाव में सवाल ज़रूर है. दतिया जिले की भांडेर सीट इसी गणित का एक उदाहरण है. यहां महेंद्र सिंह बोध ने हाल ही में कांग्रेस का हाथ छोड़ के हाथी का साथ थामा है.

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भांडेर विधानसभा सीट से बसपा प्रत्याशी महेंद्र सिंह बोध ने कहा, "यह जो इलाक़ा है दलित बाहुल्य इलाक़ा है, और दलित कांग्रेस के साथ रहना पसंद करता था, लेकिन अब जो आ गये, वो कांग्रेस की जड़ को उन्होंने खत्म कर दी, तो दलित वर्ग का आदमी बीजेपी में तो जा नहीं सकते तो उसके पास एक ही विकल्प है की बहुजन समाज में चला जाये."

दूसरे ओर फूल सिंह बरैया जो अब यहां कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे हैं. एक समय में वह बसपा में हुआ करते थे. असल में बसपा और कुछ हद तक सपा के मैदान में उतरने से कांग्रेस को सबसे ज़्यादा नुकसान है और फूल सिंह बरैया का आरोप है कि बसपा के उम्मीदवारों को भाजपा का समर्थन है.

दिग्विजय सिंह का एक ऑडियो, जहां वो समाजवादी पार्टी से ग्वालियर सीट पर लड़ रहे रोशन मिर्ज़ा को मैदान से हटाने की कोशिश करते हुए सुनाई देते हैं, इस गणित की चिंता को साफ़ दर्शाता है. समाजवादी पार्टी ने इस उपचुनाव में 14 उम्मीदवार मैदान में उतारे है.

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कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, "हां, मैंने कहा है और स्वीकार करता हूं मैंने कहा है ये कांग्रेस के कार्यकर्ता अगर निर्दलीय फॉर्म भरता है तो मेरी ज़िम्मेदारी है, इसमें क्या हो गया ये सत्य है सही है.'

भाजपा के लिए भी समाजवादी पार्टी और बसपा एक चिंता ज़रूर है. शायद इसलिए अम्बाह विधानसभा सीट में सपा के उम्मीदवार बंशीलाल को भाजपा ने दुबारा मना लिया है. 

यह जो ग्वालियर का चम्बल बेल्ट है, यहां बहुजन समाज पार्टी का 14 सीटों पर प्रभाव रहता है और शायद इसलिए बसपा यह चुना लड़ रही है, जो मध्य प्रदेश के लिए बहुत अहम है. यह 28 सीटें तय करेंगी कि शिवराज सिंह की सरकार बनती है या नहीं. यह सीटें तय करेंगी कि भाजपा में सिंधिया का क्या कद रहा और यह सीटें तय करेगी कि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की कांग्रेस मध्य प्रदेश में किस रह पर चलेगी.

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