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This Article is From Oct 05, 2018

फर्जी वोटर मामला : कमलनाथ ने दी चुनौती- कांग्रेस के आरोप गलत हैं तो चुनाव आयोग साबित करे

न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह से कहा कि वह रावत से जानकारी प्राप्त करें कि क्या ऐसे दस्तावेज उन्हें दिए गए थे या सीधे अदालत में दिए गए थे.

फर्जी वोटर मामला : कमलनाथ ने दी चुनौती- कांग्रेस के आरोप गलत हैं तो चुनाव आयोग साबित करे
फाइल फोटो
भोपाल: मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष  कमलनाथ ने चुनाव आयोग को चुनौती देते हुए कहा है कि अगर कांग्रेस के आरोप गलत हैं, तो चुनाव आयोग साबित करे. कमलनाथ ने कहा कांग्रेस की शिकायत पर 24 लाख फर्जी  मतदाता चुनाव आयोग ने ही हटाये हैं, तो फिर हमारी शिकायत ग़लत कैसे हो गई.  दरअसल  4 अक्टूबर को चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि कांग्रेस के आरोप सही नहीं हैं. कमलनाथ ने राजस्थान में भी आयोग की ओर जारी वोटर लिस्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि अभी तक में शब्दों में लिखी हुई वोटर लिस्ट नहीं दी गई है जो मिली है वह फोटो वाली है जिसमें कंप्यूटर का सर्च वाला सिस्टम काम नहीं करता है. आपको बता दें कि  निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के संबंध में कांग्रेस नेता कमलनाथ द्वारा दायर याचिका में फर्जी दस्तावेज दायर कर अनुकूल फैसला प्राप्त करने और चुनाव निकाय की छवि खराब करने के प्रयास किए जा रहे हैं. न्यायालय ने चुनाव आयोग के दावों पर गहरी आपत्ति जतायी और चेतावनी दी कि उस कंपनी को बुलाया जा सकता है जिसने कथित रूप से मतदाताओं के आंकड़े सार्वजनिक किए हैं और दोहराव को रेखांकित किया है. कांग्रेस नेता ने कहा कि दस्तावेजों को जमा करने में कुछ भी गलत नहीं है और डुप्लिकेट मतदाताओं के आंकड़े, जैसा एक निजी कंपनी द्वारा इंगित किया गया है, मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत को दिए गए हैं.

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न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह से कहा कि वह रावत से जानकारी प्राप्त करें कि क्या ऐसे दस्तावेज उन्हें दिए गए थे या सीधे अदालत में दिए गए थे. सुनवाई के दौरान सिंह ने कहा कि यह कुछ गंभीर बात है जिसे वह अदालत में उठाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि इसके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 193 (गलत सबूत के लिए सजा) है. उन्होंने कहा कि इसके लिए किसी से गंभीरता से पूछताछ होनी चाहिए. उन्होंने मध्यप्रदेश में मतदाताओं के संबंध में कुछ दस्तावेज प्रस्तुत किए और कहा कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर यह प्रचारित करने की कोशिश की गयी कि बोगस मतदाता हैं. 

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सिंह ने कहा कि "राजनीति डाट इन’’ नामक निजी कंपनी ने मतदाताओं के आंकड़ों को चित्रों के साथ प्रकाशित किया है जैसा चुनाव आयोग नहीं करता. यहां याचिकाकर्ता ने अनुकूल आदेश प्राप्त करने और निर्वाचन आयोग को बदनाम करने के लिए ऐसे जाली दस्तावेजों पर आधारित आंकड़े जमा कराए. कमलनाथ की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि आंकड़े सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध हैं और याचिकाकर्ता ने इसे रावत को भी दिया है. सिब्बल ने कहा, "हमने इसे निर्वाचन आयोग के ध्यान में लाया है और उन्होंने हमारे प्रतिनिधित्व का जवाब भी दिया है. इसे इंगित करने में क्या गलत है." पीठ ने यह पता करने को कहा कि क्या ओपी रावत को भी दस्तावेज सौंपे गए थे. इस संबंध में आठ अक्टूबर तक सूचना देने को कहा गया है.

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