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This Article is From Feb 20, 2020

अतिथि शिक्षिका ने मुंडवाया सिर, बोलीं- 72 दिनों के धरने के बाद भी राज्य सरकार ने हमारी मांगें नहीं मानी और...

सेवा में नियमित किए जाने की मांग को लेकर अतिथि शिक्षकों के लंबे समय से चल रहे धरने के दौरान एक अतिथि शिक्षिका ने बुधवार को अपना सिर मुंडवाया लिया. यह शिक्षिका पिछले 72 दिनों से यहां शाहजहांनी पार्क में अन्य अतिथि शिक्षकों के साथ नियमित किए जाने की मांग को लेकर धरने पर बैठी हैं.

अतिथि शिक्षिका ने मुंडवाया सिर, बोलीं- 72 दिनों के धरने के बाद भी राज्य सरकार ने हमारी मांगें नहीं मानी और...
प्रतीकात्मक तस्वीर
भोपाल:

सेवा में नियमित किए जाने की मांग को लेकर अतिथि शिक्षकों के लंबे समय से चल रहे धरने के दौरान एक अतिथि शिक्षिका ने बुधवार को अपना सिर मुंडवाया लिया. यह शिक्षिका पिछले 72 दिनों से यहां शाहजहांनी पार्क में अन्य अतिथि शिक्षकों के साथ नियमित किए जाने की मांग को लेकर धरने पर बैठी हैं. अपना सिर मुंडवाने से पहले शाहीन ने कहा कि 72 दिनों के धरने के बाद भी राज्य सरकार ने हमारी मांगें नहीं मानी हैं और न ही हमसे बात की है. उन्होंने कहा कि कुछ अतिथि शिक्षक खराब वित्तीय हालत के चलते आत्महत्या कर चुके हैं.

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बताते चले कि मध्यप्रदेश में उमरिया जिले में पदस्थ अतिथि विद्वान सह खेल अधिकारी संजय कुमार ने आर्थिक तंगी के चलते किराए के घर में फांसी लगाकर 11 फरवरी की रात आत्महत्या कर ली थी. परिवार के मुताबिक वो लगातार नौकरी छूटने के डर, बच्चों के भविष्य को लेकर परेशान थे. हालांकि संजय का एक सुसाइड नोट, जिसे बाद में पुलिस ने बरामद किया उसमें कथित तौर पर लिखा गया है कि वो अपना जीवन खुद समाप्त कर रहे हैं, इसके लिये कोई और ज़िम्मेदार नहीं है.

नोट में ये भी लिखा है कि उनके भाई चंदन को कॉलेज की नौकरी लेनी चाहिए और भविष्य निधि का पैसा विधवा लालसा को दिया जाना चाहिए. उनकी पत्नी लालसा ने बताया था कि उन्हें छह महीने से सैलरी नहीं मिली थी. वो कहते थे अब मेरे बच्चों के भविष्य का क्या होगा. सरकार ने हमारे पेट में लात मार दी. हमें कहीं का नहीं छोड़ा. बच्चा 10वीं में पढ़ता है, उसकी फीस नहीं भर पाए हैं. अब मेरे सामने कोई रास्ता नहीं है. मंत्री आएं या फिर मैं मंत्रीजी के पास पति की मिट्टी लेकर जाऊंगी. मेरी तो जिंदगी ही खत्म हो गई है. मैं क्या करुं, कहां जाऊं. अगर मंत्री जी मेरे लिए कुछ नहीं कर सकते तो मैं भी आत्महत्या कर लूंगी, मंत्री जी तभी खुश होंगे. मैं चाहती हूं कि मंत्री जी मुझे और मेरे बच्चे के भविष्य को देखें. अब मंत्री जी को निर्णय लेना है, वरना मैं भी तीनों बच्चों के साथ पति की तरह आत्महत्या कर लूंगी.

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इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी ट्वीट किया था कि “उमरिया के अतिथि विद्वान श्री संजय कुमार की आत्महत्या के लिए अगर कोई जिम्मेदार है, तो वह है प्रदेश की निकम्मी सरकार. उस बेसहारा विधवा को कांग्रेस सरकार क्या जवाब देगी? मासूम बच्चों की देखभाल कौन करेगा?'' (इनपुट भाषा से भी)

(आत्‍महत्‍या किसी समस्‍या का समाधान नहीं है. अगर आपको सहारे की जरूरत है या आप किसी ऐसे शख्‍स को जानते हैं जिसे मदद की दरकार है तो कृपया अपने नजदीकी मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञ के पास जाएं.)

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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