मध्यप्रदेश में 2019 के लोकसभा चुनावों (Loksabha Election Results 2019) में कांग्रेस (Congress) की अपमानजनक हार के बाद राज्य के पार्टी नेतृत्व में बदलाव की मांग तेज हो गई है. कमलनाथ (Kamal Nath) सरकार के कम से कम तीन कैबिनेट मंत्रियों ने पश्चिमी उत्तरप्रदेश के प्रभारी और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) को मध्यप्रदेश कांग्रेस (MP Congress) कमेटी का अध्यक्ष बनाने की मांग की है.
महिला और बाल विकास मंत्री इमरती देवी, खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर और राजस्व और परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने अपनी पसंद के व्यक्त की है और कहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे युवा और ऊर्जावान नेता को राज्य कांग्रेस प्रमुख बनाए जाने से कार्यकर्ताओं में नए उत्साह का संचार होगा.
प्रद्युम्न सिंह तोमर ने एनडीटीवी से कहा, "मुझे भी लगता है कि संगठन में सत्ता अलग और प्रदेश अध्यक्ष अलग होना चाहिए. हमारे मुख्यमंत्री जी खुद कह रहे हैं. यह निर्णय पार्टी को करना है. पार्टी में कई लोग हैं. संगठन में ताकत देने की बात है, संगठन चलाने की बात है तो मेरी व्यक्तिगत राय में सिंधिया जी इस भूमिका के लिए एक उपयुक्त व्यक्तित्व हैं. यह मांग सिंधिया खेमे की नहीं है, यह मांग प्रदेश के हर कार्यकर्ता की है. अगर वे प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहते हैं तो वे कल ही बन सकते हैं, वे हमसे यह कहने को नहीं कह रहे हैं.''
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गोविंद सिंह राजपूत ने NDTV से कहा, “अगर पार्टी जीतती है या हारती है तो मुख्यमंत्री या पार्टी प्रमुख जिम्मेदार होते हैं, लेकिन हम सब मिलकर जवाबदेही लेते हैं. जब हाईकमान कांग्रेस के अपनी जिम्मेदारी स्वयं ले रहे हैं तो कई प्रदेशों के अध्यक्षों ने इस्तीफे दिए हैं. मध्यप्रदेश में अध्यक्ष दो पदों पर हैं, मुख्यमंत्री भी हैं अध्यक्ष भी हैं. ऐसी स्थिति में स्वभाविक है एक पद छोड़ने के वे खुद भी इच्छुक हैं क्योंकि दोहरी ज़िम्मेदारी लंबे वक्त तक कोई व्यक्ति नहीं निभा सकता है. सिंधिया जी की भूमिका राहुल गांधी तय करेंगे क्योंकि वे महामंत्री भी हैं. अगर मध्यप्रदेश में उन्हें अध्यक्ष बनाकर भेजते हैं तो सिंधिया कैंप ही नहीं पूरे प्रदेश में सबको खुशी होगी. क्योंकि हम सभी उनके काम करने की क्षमताओं को जानते हैं.''
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नौ बार लोकसभा सदस्य रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ को नवंबर 2018 से छह महीने पहले राज्य कांग्रेस प्रमुख नियुक्त किया गया था. इसके बाद कांग्रेस ने 15 साल बाद मध्यप्रदेश में सत्ता में वापसी की, 114 सीटें जीतीं. दिसंबर 2018 से कमलनाथ राज्य के मुख्यमंत्री के साथ-साथ एमपीसीसी प्रमुख की दोहरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं.
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