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This Article is From Jul 12, 2018

छत्‍तीसगढ़ में शर्मसार करने वाली लापरवाही, लावारिस मरीज के घाव में लगी चीटियां, दो दिन बाद मौत

छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में अस्पताल की कथित लापरवाही की तस्वीर ने पूरे समाज को शर्मसार कर दिया है. जिला अस्पताल में भर्ती एक लावारिस मरीज के घाव में चीटियां लग गई और दो दिन बाद उसकी मौत हो गई.

छत्‍तीसगढ़ में शर्मसार करने वाली लापरवाही, लावारिस मरीज के घाव में लगी चीटियां, दो दिन बाद मौत
नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में अस्पताल की कथित लापरवाही की तस्वीर ने पूरे समाज को शर्मसार कर दिया है. जिला अस्पताल में भर्ती एक लावारिस मरीज के घाव में चीटियां लग गई और दो दिन बाद उसकी मौत हो गई. छत्तीसगढ़ वो राज्य जहां से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आष्युमान भारत के तहत पहले वैलनेस सेंटर का उद्घाटन किया था. .

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छत्तीसगढ़ के कोरिया में एक बीमार मरीज़ के तीमारदार नहीं थे. अस्पताल में उसके बिस्तर, उसके जख्मों पर चीटिंयां चढ़ गईं. उसकी मौत हो गई. अस्पताल के बिस्तर पर 30 साल का ये मरीज़ बेसुध था. घाव पर चीटिंयां रेंग रही थीं. कभी-कभी बदन में हरकत होती थी, लेकिन फिर सब शांत हो गया. ये मरीज़ करीब एक सप्ताह पहले मनेंद्रगढ़ के सरकारी अस्पताल के बाहर गंभीर हालत में पड़ा हुआ था. स्थानीय विधायक ने इसे देखा तो वहां के स्‍टॉफ को फटकार लगाई और इसे अस्पताल में भर्ती कराया गया. प्राथमिक उपचार के बाद मरीज को बैकुंठपुर के लिए रिफर कर दिया गया. 12 दिन वो अस्पताल में रहा और सोमवार उसकी मौत हो गई. डॉक्टर कहते हैं, वजह सिर में लगी चोट है. लापरवाही से तो इंकार करते हैं लेकिन ये मानते हैं कि हो सकता है ग्लूकोज़ चढ़ाने की वजह से चीटियां आ गई हों.
 
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आरएमओ डॉ मुकेश कुमार का कहना है कि बारिश के दिन हैं और चीटियां तो घर में भी मिल जाती हैं. हो सकता है एक-दो चींटी आ गई होगी, क्योंकि वहां अटेंडेंट नहीं था और हम एक ही मरीज पर ज्यादा ध्यान नहीं दे सकते. चीटियां उसके हाथ के आसपास थीं जब ग्लूकोज़ चढ़ाते है. ग्लूकोज़ का मतलब मीठी चीज़ होता है इसलिए हो सकता है एक दो चीटियां आ गई हों. लापरवाही आप अपने स्तर से कह सकते हैं, हमारे स्तर से कोई लापरवाही नहीं हुई है.

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कोरिया ज़िला मुख्यालय में स्थित इस अस्पताल में कोरबा, सूरजपुर, प्रेमपुर ज़िले से भी मरीज़ आते हैं. डॉक्टर कहते हैं. औसतन ओपीडी में लगभग 400 मरीज़ आते हैं, लेकिन बरसात में उनकी संख्या बढ़ जाती है. अस्पताल में 100 मरीज़ों को भर्ती करने की क्षमता है, लेकिन मंगलवार को 179 मरीज़ों को भर्ती किया गया था. इसके लिये अस्पताल में पदस्थ 22 डॉक्टर और 28 नर्सें नाकाफी हैं.

सामाजिक कार्यकर्ता अमित श्रीवास्तव ने कहा कि यहां साफ सफाई की बहुत दयनीय स्थिति है. आप दस मिनट खड़ा नहीं रह सकते. महीने में बहुत ज्यादा खर्च नहीं है, जिस ठेकेदार को मिला है वो कहते हैं फंड कम है, वो कहते हैं हर महीने 80 के आसपास मिलता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक को मानें तो छत्तीसगढ़ की 2 करोड़ 56 लाख की आबादी पर 25600 डॉक्टर होने चाहिए
लेकिन सरकारी डॉक्टरों के स्वीकृत पद 1873 हैं, जिसमें 410 ख़ाली हैं. वहीं नर्स के 3275 पद स्वीकृत हैं जिसमें 533 पद ख़ाली हैं. राज्य में फिलहाल 6 सरकारी, 3 निजी मेडिकल कॉलेज हैं, जिससे हर साल 1100 छात्रों को एमबीबीएस की डिग्री मिलती है.

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राज्य में हर साल लगभग 50 लाख मरीज़ ओपीडी में पहुंचते हैं, जिनके लिये डॉक्टरों की संख्या नाकाफी हैं, मोटी तनख्वाह के बावजूद बस्तर में हालात और खराब हैं जहां विशेषज्ञ डॉक्टरों के लगभग 95 फीसद पद खाली हैं. दुनिया में कायदे से 1000 की आबादी पर एक डॉक्टर होता है, हमारे देश में लगभग 11000 पर एक डॉक्‍टर है्. उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री जिस राज्य से अति महत्वकांक्षी आष्युमान भारत योजना का शुभारंभ करेंगे वहां हालात बदलेंगे, लेकिन ऐसी कहानियां देखकर लगता है. भले ही छत्तीसगढ़ को स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में 2 राष्ट्रीय पुरुस्कार मिल जाएं लेकिन अभी बहुत कुछ बदलना बाकी है.

 

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