प्रतीकात्मक तस्वीर
भोपाल:
अगर आपके पास आधार कार्ड नहीं है तो मध्यप्रदेश के आयुष चिकित्सालयों में आपको इलाज नहीं मिलेगा. ये नोटिस सभी आयुष चिकित्सालयों में चस्पा किया गया है. डॉक्टर भी इससे परेशानी में हैं, क्योंकि बिना आधार आए मरीजों को वापस लौटाना मुश्किल हो रहा है. फिलहाल मामला आर्युवेदिक, यूनानी और होम्येपैथ अस्पतालों तक सीमित है लेकिन धीरे-धीरे सभी सरकारी अस्पतालों में इसे लागू करने की योजना है. आगर मालवा ज़िले में मेहरून बी इलाज के लिये तीस किलोमीटर का सफर तय कर शासकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में पहुंची तो डॉक्टर ने बताया कि इलाज के लिए आधार और मोबाइल दोनों जरूरी है, नहीं तो इलाज और दवाई नहीं मिलेगी. मेहरून बी ने कहा मेरे पास मोबाइल भी नहीं है, आधार भी नहीं... भूल जाएं, ना बना हो तो दवा गोली देनी तो चाहिये. वहीं राजेश मालवीय को भी लग रहा है, आधार कार्ड घर भूल आए तो मुश्किल होगी. राजेश ने कहा परेशानी ये है कि आधार भूलकर आ गया तो इलाज नहीं हो पाएगा.
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भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने फरमान जारी कर कहा है कि आयुर्वेदिक अस्पतालों में इलाज आधार और मोबाइल नंबर जरूरी होगा. इसके लिये बाकायदा फॉर्मेट जारी हुआ है. चिकित्सा अधिकारी डॉ. कुलदीप सिंह ने कहा कि नये आदेश मिले हैं कि आधार नंबर लिखना जरूरी है, लेकिन हर आदमी आधार कार्ड रखता नहीं है ऐसे में हमें बहुत समस्या आती है कि मरीज़ को दवा कैसे दें, रिकॉर्ड रखना भी मुश्किल हो रहा है.
अजय भोपाल में जेपी अस्पताल में पत्नी के इलाज के लिये आए हैं. उनसे आधार और पासबुक मांगा गया, हालांकि ऐलोपैथिक अस्पतालों के लिये फिलहाल फरमान ज़रूरी नहीं है ऐसे में अजय को लगता है भागदौड़ बढ़ जाती है, कर्मचारियों का कहना है वो पहले इलाज करते हैं. अजय हटे ने कहा कि हमारे पास आधार नहीं होता तो भागा-दौड़ी करनी पड़ती, किसी के पास नहीं होगा तो भागादौड़ी बढ़ जाएगी. जबकि आशा सहायिका पुष्पा चौरे ने कहा कि हम पहले मरीज को देखते हैं, ऐसी कोई मुश्किल नहीं हो रही हम कहते हैं आधार कहीं का भी हो चलता है.
मध्यप्रदेश में 7000 डॉक्टरों की जरूरत है, हैं आधे से भी कम. पूरे देश में कमोबेश यही हालात हैं. आगर मालवा जिले में ही 11 शासकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय है जिनमें पांच में डॉक्टर नहीं हैं, बाकी में एक. अब जरा सोचिये पहले डॉक्टर फॉर्म भरे या जांच करे.
VIDEO: आधार कार्ड को सरकारी योजनाओं से जोड़ने की मियाद बढ़ी
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अजय भोपाल में जेपी अस्पताल में पत्नी के इलाज के लिये आए हैं. उनसे आधार और पासबुक मांगा गया, हालांकि ऐलोपैथिक अस्पतालों के लिये फिलहाल फरमान ज़रूरी नहीं है ऐसे में अजय को लगता है भागदौड़ बढ़ जाती है, कर्मचारियों का कहना है वो पहले इलाज करते हैं. अजय हटे ने कहा कि हमारे पास आधार नहीं होता तो भागा-दौड़ी करनी पड़ती, किसी के पास नहीं होगा तो भागादौड़ी बढ़ जाएगी. जबकि आशा सहायिका पुष्पा चौरे ने कहा कि हम पहले मरीज को देखते हैं, ऐसी कोई मुश्किल नहीं हो रही हम कहते हैं आधार कहीं का भी हो चलता है.
मध्यप्रदेश में 7000 डॉक्टरों की जरूरत है, हैं आधे से भी कम. पूरे देश में कमोबेश यही हालात हैं. आगर मालवा जिले में ही 11 शासकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय है जिनमें पांच में डॉक्टर नहीं हैं, बाकी में एक. अब जरा सोचिये पहले डॉक्टर फॉर्म भरे या जांच करे.
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