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This Article is From Sep 08, 2017

UPA ने शुरू की थी 'गायों को आधार योजना', बीजेपी राज में हुई सिर्फ राजनीति

बीजेपी के राज में गाय के नाम पर खूब राजनीति हो रही है, लेकिन असल में गायों को बचाने का काम यूपीए सरकार ने किया था.

UPA ने शुरू की थी 'गायों को आधार योजना', बीजेपी राज में हुई सिर्फ राजनीति
बीजेपी राज में गौरक्षा के नाम पर लोगों की हत्याओं की घटनाओं में लगातार इजाफा हुआ है
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
करीब 8.5 करोड़ दुधारू पशुओं को आधार जारी करना था
MP के चार जिलों पायलट प्रोजेक्ट में शामिल किए थे
आगर-मालवा में डेढ़ लाख गौवंश में से केवल 200 को मिला आधार
भोपाल: देश में गायों को आधार कार्ड जारी करने की योजना पर खूब विवाद हुआ. इसे मोदी सरकार की महत्वकांक्षी योजना बताया गया, लेकिन एनडीटीवी के हाथ जो दस्तावेज लगे हैं उनसे साफ होता है कि ये योजना 2013 में यूपीए के वक्त बनी थी. वैसे अगर इस योजना पर अमल हो जाता तो काफी हद तक गौवंश की तस्करी और कथित गौरक्षकों की गुंडागर्दी पर भी लगाम लगाई जा सकती थी. इस योजना के तहत देश में करीब 8.5 करोड़ दुधारू पशुओं को ये टैग जारी किया जाना था.

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गौ रक्षा के नाम पर गुंडागर्दी की बातें इन दिनों आम हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर कई बार नाराज़गी ज़ाहिर की. लेकिन हालात बदले नहीं, ऐसे में खबर ये भी आई कि गौवंश की तस्करी रोकने के लिए केंद्र सरकार उनके लिये आधार नंबर जारी करवाकर टैग बनवाएगी. इस साल बाकायदा सुप्रीम कोर्ट को इसकी जानकारी दी गई. लेकिन असल में ये योजना 2013 में यूपीए के वक्त ही बन गई थी. मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में भारत सरकार के कृषि मंत्रालय ने खत भी भेजा था. लेकिन राज्य में काम शुरू हुआ 2016 में.

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मध्य प्रदेश के चार जिलो खरगोन, धार, शाजापुर और आगर मालवा को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शामिल किया गया. राज्य के पशुपालन मंत्री अंतर सिंह आर्य ने कहा हमारी योजना है कि गाय के गर्दन के नीचे चिप लगाएं ताकी मालिक के मोबाइल से संपर्क रहे. मान लो गौवंश चोरी हो गया तो चोर कहीं उसे बेच नहीं पाएगा. मालिक के मोबाइल से लिंक रहेगा, जहां पशु रहेगा, उसकी जानकारी मिलती रहेगी. उन्होंने कहा कि यह बहुत अच्छी तकनीक है जल्द ही हम इसे पूरे राज्य में लागू करेंगे. बारह अंकों की ये पहचान गौ वंश के कान में पीले रंग के एक बैच पर रहेगी, इसमें मालिक का नाम पता भी रहेगा. गौवंश की सेहत, दूध की क्षमता का ब्यौरा होगा. सारी जानकारी ऑनलाइन एंट्री के जरिये कंप्यूटर में रहेगी. 
 
यूपीए सरकार का वह दस्तावेज जिसमें गायों को आधार नंबर देने की योजना थी-aadhar for cow

हालांकि खुद को गौ-प्रेमी मानने वाले राज्य में इस काम के प्रति उदासीनता एक ज़िले से समझी जा सकती है. आगर-मालवा ज़िले में 2102 पशु गणना के आंकड़े के मुताबिक एक लाख, 57 हजार गौ वंश मौजूद हैं. लेकिन डेढ़ साल की मशक्कत के बाद महज दो सौ गौ वंशों का ही आधार डाटा तैयार हो सका है. आगर-मालवा में पशुपालन विभाग के उपनिदेशक वल्लभ कोसरवाल ने कहा चार ज़िले पॉयलट प्रोजेक्ट में जो सरकार ने लिए हैं उसमें आगर जिले में 200 पशुओं का पंजीयन हुआ है. कोशिश है साल के अंत तक सारे पशुओं के लिये टैग बन जाएं.

VIDEO: अब गायों का भी बनेगा 'आधार' कार्ड!
मध्य प्रदेश में लगभग 90 लाख दुधारू पशु हैं, जिनमें से करीब 54 लाख गायें हैं. फिलहाल 1200 के करीब गायों को यूआईडी लगा है. योजना हर महीने साढ़े सात लाख दुधारू पशुओं पर यूआईडी लगाने की थी, जिसके लिये 3600 कर्मचारी काम कर रहे हैं. जबकि देश भर में साल 2016-17 में करीब पचास लाख, 2017-18 में करीब 3 करोड़ और शेष बाकी बचे दुधारू पशुओं को 2019-2020 विशेष टैग देने की योजना थी.

गाय के नाम राजनीति और ध्रुवीकरण करने वाले अपने मंसूबे जब तब जाहिर करते रहते हैं. सरकार गाय के नाम पार बार-बार योजनाएं चलती है लेकिन अमल के मामले में ऐसी बदहाली से उसकी नीति और नीयत पर कई सवाल खड़े होते हैं.

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