Tansen Sangeet Samaroh 2023 : संगीत सम्राट तानसेन के सम्मान में पिछले 98 वर्षों से ग्वालियर में शास्त्रीय संगीत (Indian classical music) के क्षेत्र में देश का सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव “तानसेन समारोह” आयोजित हो रहा है. इस साल पांच दिवसीय 99वां संगीत समारोह आयोजित किया जा रहा है. मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग (Madhya Pradesh Culture Department) के लिए उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत कला अकादमी (Ustad Alauddin Khan Sangeet Kala Academy), मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद् (Madhya Pradesh Culture Council) भोपाल द्वारा संगीत सम्राट तानसेन की स्मृति में प्रतिवर्ष तानसेन समारोह का आयोजन ग्वालियर एवं उनकी कर्मस्थली बेहट में किया जाता है. ग्वालियर में हर वर्ष आयोजित होने वाला शास्त्रीय संगीत का सबसे बड़ा महाकुम्भ इस बार 24 से 28 दिसंबर तक आयोजित होगा.
इस बार क्या-क्या होगा?
तानसेन संगीत समारोह की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. इस बार का आयोजन कई मायनों में खास है. अगले वर्ष इस आयोजन के सौ वर्ष पूरे होने हैं, जिसके लिए इसी आयोजन से तैयारियां और आयोजनों का सिलसिला शुरू हो जाएगा. इसी साल ही यूनेस्को (UNESCO) ने ग्वालियर को म्यूजिक सिटी (Music City Gwalior) का खिताब दिया है. यह गौरव मिलने के बाद यह पहला तानसेन समारोह है, इसलिए इसकी भव्यता बढ़ाने के लिए अनेक आयोजन जोड़े गए हैं.
इस पूरे आयोजन को लेकर इसकी व्यवस्था समिति के मुख्य सदस्य और राजा मानसिंह संगीत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ साहित्य कुमार नाहर ने NDTV से खास बात करते हुए आयोजन को लेकर तमाम जानकारी साझा की है. प्रो नाहर ने कहा कि इस बार के तानसेन समारोह में कुछ बातें बहुत खास हैं.
एक तो इस बार इस आयोजन का 99वां सोपान है. इस बार के आयोजन के पूर्ण होते होते शताब्दी वर्ष आरंभ हो जाएगा. इस आयोजन को विगत अनेक वर्षों से विश्व संगीत समागम के नाम से जाना जाता है. दुनिया भर के कलाकार भी यहां आते है. दूसरी जो महत्वपूर्ण बात होने जा रही है वह यह कि आज (22 दिसम्बर) के दिन शहर के ऐसे 15 स्थानों को चयनित किया गया है, जिसमें स्थानीय प्रतिभावान और स्थापित कलाकारों की एक साथ और समग्र प्रस्तुतियां होंगी. यानी उस समय पूरा शहर एक साथ शास्त्रीय संगीत की स्वर लहरियों से गुंजायमान होगा. इसके लिए ही तो ग्वालियर को जाना जाता है. यहां सिटी ऑफ म्यूजिक की कल्पना साकार होते दिखेगी.
साल भर तानसेन के नाम पर होंगे आयोजन
प्रो नाहर ने बताया कि इस बार यह परिकल्पना तैयार की गई है कि शहर और अंचल में हर दिन तानसेन के नाम पर आयोजनों की श्रृंखला शुरू की जाए. इसमें स्थानीय प्रतिभावान कलाकारों को मंच दिया जाए और स्थापित कलाकारों के साथ उनकी प्रस्तुतियां कराई जाएं ताकि गुरु-शिष्य परंपरा और नई और पुरानी पीढ़ी के बीच शास्त्रीय ताना-बाना मजबूत हो सके.
वादी-संवादी का आयोजन
प्रो नाहर का कहना है कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी संगीत विश्वविद्यालय कैंपस में वादी-संवादी का आयोजन होगा. इस बार 26 और 27 दिसम्बर को वादी और संवादी कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें भारतीय शास्त्रीय संगीत पर गहन चिंतन होगा.
ताल-दरबार का अनूठा आयोजन
संगीत विश्वविद्यालय के कुलपति ने बताया कि इस बार आयोजनों की श्रृंखला में एक बड़ा और महत्वपूर्ण आयोजन शामिल किया गया है, जिसका नाम ताल-दरबार है. इनमे प्रदेश भर के 1500 तबला वादक एक साथ अपनी प्रस्तुति देंगे. प्रो नाहर के अनुसार यह आयोजन देश का अनूठा और अद्भुत प्रयास है.
आयोजन में तबलावादकों के चयन को लेकर प्रो नाहर ने बताया कि यह आयोजन संस्कृति विभाग, संगीत विवि और उस्ताद अलाउद्दीन संगीत अकादमी के साझा प्रयासों से हो रहा है. तबला वादकों के चयन के लिए दो विशेषज्ञों की कमेटी बनाई गई है. प्रदेश के सभी शासकीय, अशासकीय संगीत महाविद्यालयों से नाम मांगे गए हैं. इसके बाद 25 दिसम्बर को रिहर्सल होगी और फिर विशेषज्ञ उनमें से 1500 कलाकारों का चयन करेंगे, जो एक साथ अपनी प्रस्तुति देंगे.
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