महाराष्ट्र के जलगांव में पुष्पक एक्सप्रेस में फैली एक अफवाह की वजह से 13 लोगों की जान चली गई. अभी तक की जांच में पता चला है कि पुष्पक एक्सप्रेस में आग लगने की अफवाह की वजह से उस ट्रेन में सवार यात्रियों ने चेन पुलिंग की और ट्रेन से उतर भागने लगे.तभी दूसरी तरफ से आ रही तेज रफ्तार कर्नाटक एक्सप्रेस ने इनमें से कई लोगों को रौंद दिया. इस घटना में कई लोगों के घायल होने की भी खबर है. सरकार ने मुआवजे के तौर पर गंभीर रूप से घायल लोगों को 50-50 हजार रुपये और घायलों को पांच-पांच हजार रुपये देने का ऐलान किया है. वहीं जिन लोगों की इस हादसे में जान गई है उनके परिवार को रेलवे अपनी तरह से डेढ़-डेढ़ लाख रुपये का मुआवजा देगी. इस हादसे को देखने के बाद 31 साल पहले बोरीवली-कांदिवली लेडीज स्पेशल ट्रेन में हुई घटना की याद आ गई. उस दौरान भी इसी तरह चलती ट्रेन से महिलाएं बाहर कूदने लगीं थी.
फर्स्ट क्लॉस कंपार्टमेंट से कूदी थी महिलाएं
ये घटना 13 अक्टूबर 1993 को सामने हुई थी. इस घटना की जांच के दौरान पता चला था कि उस दौरान जो महिलाए फर्स्ट क्लॉस कंपॉर्टमेंट में सफर कर रहीं थी उन्हें एकाएक बोगी के नीचे से धूआं सा निकलता हुआ दिखा. उन्हें लगा कि बोगी में आग लगने वाली है और वो इतनी घबरा गईं कि चलती ट्रेन से ही छलांग लगा दी. इस हादस में 22 लोगों की मौत हो गई थी. हादसे वाले दिन मुंबई और आसपास तेज बारिश हो रही थी. इस वजह से भी बोगी के अंदर बैठी महिलाएं और ज्यादा घबरा गई थीं.
पुष्पक एक्सप्रेस हादसा: कब क्या हुआ
पुष्पक एक्सप्रेस लखनऊ से मुंबई जा रही थी. वह पूरी स्पीड में थी. बुधवार को शाम 4 बजकर 42 मिनट हो रहे थे, उस वक्त ट्रेन मुंबई से करीब 425 किमी पहले जलगांव के पचोरा रेलवे स्टेशन के पास ही पहुंची थी. उसी वक्त यह अफवाह फैल गई कि ट्रेन की बोगी नंबर-4 में धुआं उठ रहा है यानी कि आग लग गई है. यह सुनते ही वहां अफरातफरी मच गई. यात्री ट्रेन से उतरकर भागने लगे और जान बचाने के चक्कर में वह विपरीत दिशा से आ रही तेज रफ्तार कर्नाटक एक्सप्रेस की चपेट में आ गए. कुछ ही देर में पटरियों पर लाशें ही लाशें नजर आने लगीं.
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