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लाइट जली और बजने लगे सायरन... मुंबई फायर ब्रिगेड ने ऐसे दी लालबाग के राजा को सलामी

Lalbaug Ka Raja: लालबाग की सड़कों और अन्य प्रमुख यात्रा मार्गों पर प्रिय देवता को विदाई देने के लिए हजारों लोग नाचते-गाते, ढोल-ताशे बजाते व गुलाल उड़ाते हुए उमड़ पड़े.

लाइट जली और बजने लगे सायरन... मुंबई फायर ब्रिगेड ने ऐसे दी लालबाग के राजा को सलामी
लालबाग इलाके से जब निकलती है राजा की सवारी
  • मुंबई में दिन भर भारी बारिश के बीच हजारों श्रद्धालु गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए सड़कों पर उमड़े.
  • लालबाग के राजा की सवारी 8 km की दूरी को पार करने में करीब 20 घंटे लेती है, जो परंपरागत कारणों से धीमी रहती है.
  • फायर ब्रिगेड के सामने लालबाग के राजा के सम्मान में फायर इंजनों की लाइट्स जलाकर, सायरन बजाकर सलामी दी जाती है.
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मुंबई:

मुंबई में 10 दिवसीय गणपति उत्सव के अंतिम दिन शनिवार को अनंत चतुर्दशी पर बारिश के बीच लोग भगवान गणेश की प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए ढोल-ताशे के साथ और गुलाल उड़ाते हुए सड़कों पर उमड़ पड़े. इस दौरान हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ सड़कों पर नजर आई. मुंबई के सबसे मशहूर गणपति लालबाग के राजा ने अपने पंडाल से गिरगांव चौपाटी तक का सफर पूरा करने के लिए 20 घंटे तक का वक्त लिया. यह फासला महज आठ किलोमीटर का ही है, लेकिन धीमी रफ्तार के पीछे कई सालों से चली आ रही कुछ परंपराएं हैं. लालबाग के राजा जब मुंबई फायर ब्रिगेड ऑफिस के सामने से निकले, तो अलग ही नजारा देखने को मिला. एक खास अंदाज में बप्‍पा को सलामी दी गई.       

फायर ब्रिगेड ऐसे देता है लालबाग के राजा को सलामी

मुंबई फायर ब्रिगेड हर साल लालबाग के राजा को एक अलग अंदाज में सलामी देता है, जो परंपरा इस बार भी कायम रही. सालों से यह परंपरा चली आ रही है कि जब लालबाग के राजा मुंबई फायर ब्रिगेड मुख्यालय के सामने से गुजरते हैं, तो उनके सम्मान में सभी फायर इंजंस की लाइट्स जला दी जाती हैं. इस दौरान सायरन भी बजाया जाता है. इस बार भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला. 

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लालबाग इलाके से जब निकलती है राजा की सवारी

अनंत चतुर्दशी यानी कि गणेश उत्सव के समापन के दिन मुंबई के लालबाग इलाके से राजा की सवारी सुबह 10:00 बजे शुरू होती है, और अगले दिन करीब 6:00 बजे यह गिरगांव चौपाटी के समुद्र तट पर पहुंचती है. उनकी सवारी के साथ लाखों भक्तों का हुजूम चलता है और यह संख्या लालबाग से लेकर गिरगांव तक ऐसे ही बरकरार रहती है. दरअसल लाल बाग के राजा का रथ जब अपने पंडाल से बाहर निकलता है, तो सड़क से सटे मुख्य द्वार पर ही करीब 2 घंटे तक नाच गाने और गुलाल की बरसात के बीच उनको विदाई दी जाती है. 

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लालबाग के राजा से पहले गणेश गली के गणपति...

परंपरा के मुताबिक, लालबाग के राजा के पंडाल से बाहर निकालने के पहले पड़ोसी पंडाल के गणेश जिन्हें की गणेश गली के गणपति कहा जाता है, वह बाहर निकलते हैं. माना जाता है कि गणेश गली के गणपति ने ही लालबाग के मछुआरों की एक मन्नत पूरी की थी. इसके बाद लालबाग के राजा गणेश उत्सव की शुरुआत हुई. इसलिए इन दोनों पंडालों के बीच एक विशेष रिश्ता है.
 

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