शिवसेना और बीजेपी भले ही मिलकर सत्ता में हों, लेकिन उनके रिश्ते तल्ख होते जा रहे हैं (फाइल फोटो)
- शिवसेना ने 'सामना' में उगला बीजेपी के खिलाफ ज़हर
- कुछ लोगों के दिमाग और आंखों में कीचड़ भरा है- शिवसेना
- महंगाई के विरोध के जलजले में बीजेपी राख हो जाएगी
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मुंबई:
केंद्र और राज्य, दोनों में बीजेपी के साथ सत्ता में शामिल शिवसेना ने एक बार फिर बीजेपी के खिलाफ जहर उगला है. कयास लगाया जा रहा है कि शिवसेना की दशहरा रैली में पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे अलग रास्ता ले सकते हैं. ऐसे में शिवसेना के मुखपत्र सामना में छपा संपादकीय अहम बन जाता है.
'गदहों का शतरंज' शीर्षक नाम से लिखे संपादकीय में कहा गया है कि सत्ता का मतलब गुलामी की बेड़ियां नहीं होती, ये मानने वाले हम भी है इसलिए जो उचित ना हो उसके खिलाफ खुलकर बोलने की स्वतंत्रता हमने रखी है. लेख में लिखा है कि 'महंगाई के विरोध में शिवसेना का आंदोलन अगर अखर रहा है ये हम समझ सकते हैं लेकिन, महंगाई के खिलाफ आवाज उठाना राजद्रोह व नालायकी है ऐसा कहने का मतलब जनता के पीठ में छुरा भोंकने जैसा है. महराष्ट्र में इसी तरहं की छुरेबाजी हुई है और जनता रक्तरंजित होकर जमीन पर पड़ी है. ये आम आदमी के जिंदगी और मौत का सवाल है. इसलिए इसे राजनीतिक बताने वाले डपोरशंख हैं.'
पढ़ें: क्या बुलेट ट्रेन के कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए बढ़े पेट्रोल-डीजल के दाम? : शिवसेना
बीजेपी के किसी नेता का नाम लिए बिना लिखा है कि एक नेता ने बयान दिया है कि शिवसेना जिस थाली में खाती है उसी में गंदगी कर रही है. हमारा कहना है कीचड़ में लोटने वाले सूअरों को जहां-तहां गंदगी ही दिखती है. कुछ लोगों का जन्म ही कीचड़ में होने से उनके दिमाग और आंखों में कीचड़ ही कीचड़ भरा है. सम्पादकीय में पेट्रोल के आसमान छूते दाम को भी मुद्दा बनाया है. लिखा है पेट्रोलियम मंत्री ने कुतर्क दिया है कि अमेरिका में आये चक्रवाती तूफान की वजह से पेट्रोल और डीजल का भाव बढ़ा है जबकि खुद अमेरिका में उसका असर नही पड़ा है.
पढ़ें: बीजेपी-शिवसेना गठबंधन गहरे संकट में, दशहरा तक कोई फैसला ले सकते हैं उद्धव : सूत्र
संपादकीय में लिखा है कि मोदी के आने के बाद से देश की विकास दर नीचे गिरी है, उद्योग-धंधे घटे हैं, रोजगार कम हुए हैं और महंगाई का पारा चढ़ा है. अगर ये सब अमेरिका के चक्रवात से हुआ होता तो दिल्ली की सरकार उस चक्रवात में बह क्यों नही गईं? ये सवाल आम जनता के मन मे पैदा हो सकता है. संपादकीय में बीजेपी पर झूठ बोलने का आरोप भी लगाया है. लिखा है कि बेलन मोर्चा निकालकार सरकार की नाक में दम करने वाली मृणाल गोर आज अगर होतीं तो उस बेलन से जमकर वो सरकार की पिटाई करतीं. हालांकि शिवसेना की महिला कार्यकर्ता भी कम नहीं हैं.
VIDEO: महंगाई के खिलाफ मुंबई में शिवसेना का विरोध प्रदर्शन
'केवल व्यक्ति पूजा और सरकार की जय-जय करने वाली फौज के आक्रामक प्रचार से जनता की जिंदगी और मौत के प्रश्न हल नहीं होंगे. हम पर आरोप लग रहा है कि हम मोदी लहर में चुनकर आये हैं. अगर मोदी की लहर की इतनी ही महिमा है तो इस लहर से गरीबों के प्रश्न हल क्यों नही हो रहे? मोदी की लहर से महंगाई कम क्यों नही हो रही?'
अंत मे चेतावनी दी गई है कि 'सरकारी कुर्सियों की मस्ती कोई शिवसेना को ना दिखाए. तुम्हारे नामकरण की मिठाई हमने खाई है तो उस मिठाई के पैसे भी दिए हैं. महंगाई के विरोध में हमारे आंदोलन से इतना जलोगे उस जलजले में तुम्हीं राख हो जाओगे. इसलिए महंगाई कम करो. हालांकि विधायकों की खरीद-फरोख्त करना ही जिनकी एकमात्र नीति है उन लोगों से महंगाई कम करने की उम्मीद करना मतलब गधी को विश्वसुंदरी का खिताब मिलने जैसा है. महाराष्ट्र में गदहों की शतरंज जारी है और गधियां सौंदर्य में उतरी हैं.'
'गदहों का शतरंज' शीर्षक नाम से लिखे संपादकीय में कहा गया है कि सत्ता का मतलब गुलामी की बेड़ियां नहीं होती, ये मानने वाले हम भी है इसलिए जो उचित ना हो उसके खिलाफ खुलकर बोलने की स्वतंत्रता हमने रखी है. लेख में लिखा है कि 'महंगाई के विरोध में शिवसेना का आंदोलन अगर अखर रहा है ये हम समझ सकते हैं लेकिन, महंगाई के खिलाफ आवाज उठाना राजद्रोह व नालायकी है ऐसा कहने का मतलब जनता के पीठ में छुरा भोंकने जैसा है. महराष्ट्र में इसी तरहं की छुरेबाजी हुई है और जनता रक्तरंजित होकर जमीन पर पड़ी है. ये आम आदमी के जिंदगी और मौत का सवाल है. इसलिए इसे राजनीतिक बताने वाले डपोरशंख हैं.'
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बीजेपी के किसी नेता का नाम लिए बिना लिखा है कि एक नेता ने बयान दिया है कि शिवसेना जिस थाली में खाती है उसी में गंदगी कर रही है. हमारा कहना है कीचड़ में लोटने वाले सूअरों को जहां-तहां गंदगी ही दिखती है. कुछ लोगों का जन्म ही कीचड़ में होने से उनके दिमाग और आंखों में कीचड़ ही कीचड़ भरा है. सम्पादकीय में पेट्रोल के आसमान छूते दाम को भी मुद्दा बनाया है. लिखा है पेट्रोलियम मंत्री ने कुतर्क दिया है कि अमेरिका में आये चक्रवाती तूफान की वजह से पेट्रोल और डीजल का भाव बढ़ा है जबकि खुद अमेरिका में उसका असर नही पड़ा है.
पढ़ें: बीजेपी-शिवसेना गठबंधन गहरे संकट में, दशहरा तक कोई फैसला ले सकते हैं उद्धव : सूत्र
संपादकीय में लिखा है कि मोदी के आने के बाद से देश की विकास दर नीचे गिरी है, उद्योग-धंधे घटे हैं, रोजगार कम हुए हैं और महंगाई का पारा चढ़ा है. अगर ये सब अमेरिका के चक्रवात से हुआ होता तो दिल्ली की सरकार उस चक्रवात में बह क्यों नही गईं? ये सवाल आम जनता के मन मे पैदा हो सकता है. संपादकीय में बीजेपी पर झूठ बोलने का आरोप भी लगाया है. लिखा है कि बेलन मोर्चा निकालकार सरकार की नाक में दम करने वाली मृणाल गोर आज अगर होतीं तो उस बेलन से जमकर वो सरकार की पिटाई करतीं. हालांकि शिवसेना की महिला कार्यकर्ता भी कम नहीं हैं.
VIDEO: महंगाई के खिलाफ मुंबई में शिवसेना का विरोध प्रदर्शन
'केवल व्यक्ति पूजा और सरकार की जय-जय करने वाली फौज के आक्रामक प्रचार से जनता की जिंदगी और मौत के प्रश्न हल नहीं होंगे. हम पर आरोप लग रहा है कि हम मोदी लहर में चुनकर आये हैं. अगर मोदी की लहर की इतनी ही महिमा है तो इस लहर से गरीबों के प्रश्न हल क्यों नही हो रहे? मोदी की लहर से महंगाई कम क्यों नही हो रही?'
अंत मे चेतावनी दी गई है कि 'सरकारी कुर्सियों की मस्ती कोई शिवसेना को ना दिखाए. तुम्हारे नामकरण की मिठाई हमने खाई है तो उस मिठाई के पैसे भी दिए हैं. महंगाई के विरोध में हमारे आंदोलन से इतना जलोगे उस जलजले में तुम्हीं राख हो जाओगे. इसलिए महंगाई कम करो. हालांकि विधायकों की खरीद-फरोख्त करना ही जिनकी एकमात्र नीति है उन लोगों से महंगाई कम करने की उम्मीद करना मतलब गधी को विश्वसुंदरी का खिताब मिलने जैसा है. महाराष्ट्र में गदहों की शतरंज जारी है और गधियां सौंदर्य में उतरी हैं.'
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