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2017 में उद्धव की शिवसेना और बीजेपी में हुई थी तगड़ी टक्कर, BMC चुनाव में इस बार क्या होगा?

बीएमसी का चुनाव 25 जनवरी 2026 को होने वाले हैं. इस बार मुख्य मुकाबला महायुति बनाम शिवसेना (उद्धव गुट) के बीच है. उद्धव और राज ठाकरे के बीच गठबंधन का ऐलान हो चुका है. बीएमसी चुनाव 2017 के नतीजे भी जान लीजिए.

2017 में उद्धव की शिवसेना और बीजेपी में हुई थी तगड़ी टक्कर, BMC चुनाव में इस बार क्या होगा?
उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस (फाइल फोटो)
मुंबई:

बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) के चुनाव में अब महीने भर से भी कम का वक्त बचा है. महायुति और महाविकास अघाड़ी के दल सभी पासे सेट करने में लगे हैं. उधर, नगर निकाय चुनाव के नतीजों में महायुति गठबंधन की जोरदार जीत ने अघाड़ी को बैकफुट पर धकेल दिया है. बीजेपी और शिवसेना (शिंदे गुट) में बीएमसी चुनाव में गठबंधन की बात चल रही है. माना जा रहा है कि जल्द ही दोनों दल इसकी औपचारिक घोषणा कर देंगे. 15 जनवरी को होने वाले चुनाव में देश के इस सबसे बड़े निकाय में किसकी सत्ता होगी इसका फैसला होगा. गौरतलब है कि 2017 के चुनाव में शिवसेना (उद्धव गुट) और बीजेपी ने बिना गठबंधन के एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा था. इस बार ये दोनों दल अलग-अलग गठबंधन में हैं. 

2017 चुनाव का नतीजा जानिए 

2017 में हुए BMC चुनाव में उस वक्त शिवसेना और बीजेपी ने बिना गठबंधन के चुनाव लड़ा था. 227 सीटों पर दोनों दलों ने कैंडिडेट उतारे थे. इस नतीजे में शिवसेना (उद्धव गुट) ने सबसे अधिक 84 सीटें जीतकर सबसे बड़ा दल बना था और खुद को बड़ा भाई साबित किया था. बीजेपी ने शिवसेना को कड़ी टक्कर देते हुए 82 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस तरह से बीजेपी शिवसेना के मुकाबले महज 2 सीट ही पीछे थी. 

कांग्रेस का कैसा रहा था प्रदर्शन 

कांग्रेस को इस चुनाव कुल 31 सीटों पर जीत मिली थी. राष्ट्रवादी कांग्रेस को केवल 9 सीटों पर विजय मिली थी. खास बात ये थी उस वक्त शरद पवार और अजित पवार अलग नहीं हुए थे. इस तरह विपक्ष का बीएमसी चुनाव में काफी खराब प्रदर्शन रहा था. 

राज ठाकरे की पार्टी का खराब आंकड़ा 

राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना को 2017 के बीएमसी चुनाव में केवल 7 सीटों पर जीत मिली थी. इस चुनाव नतीजे के बाद बीजेपी ने शिवसेना को बाहर से समर्थन देने का ऐलान किया. ऐसे में मेयर शिवसेना का चुनाव गया. पर बाद में राज ठाकरे के पार्षदों ने खेल कर दिया. उनके 6 पार्षद शिवसेना में शामिल हो गए थे. जिसके बाद सदन में शिवसेना का आंकड़ा बढ़ गया था. अन्य और निर्दलीय के खाते में 14 सीटें गई थीं. 
 

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