
- बीड जिले के नाथापुर गांव में मराठा आरक्षण विरोध के कारण बाबूराव लक्ष्मण चव्हाण ने आत्महत्या की
- बाबूराव चव्हाण ने सुसाइड नोट में मराठा आरक्षण के भविष्य को लेकर गहरी चिंता और निराशा व्यक्त की
- मृतक के दोनों बेटे ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे हैं और उनके भविष्य को लेकर बाबूराव चिंतित थे
मराठा आरक्षण को लेकर चल रहे विरोध और अनिश्चितता ने बीड जिले में एक किसान को इतना हताश कर दिया कि उसने अपनी जान दे दी. नाथापुर गांव में हुई इस दुखद घटना ने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया है. मृतक किसान की पहचान बाबूराव लक्ष्मण चव्हाण के रूप में हुई है, जिन्होंने अपने पीछे एक मार्मिक सुसाइड नोट छोड़ा है.
सुसाइड नोट में छलका दर्द: 'मुझे नहीं पता आरक्षण बचेगा या नहीं...'
बाबूराव चव्हाण ने फांसी लगाने से पहले लिखे नोट में अपने अंदर की गहरी चिंता और निराशा को व्यक्त किया. नोट में लिखा था: "महाराष्ट्र के बीड ज़िले में मराठा आरक्षण का लगातार विरोध हो रहा है. ऐसे में, मुझे नहीं पता कि आरक्षण बचेगा या नहीं... इसलिए मैं आत्महत्या कर रहा हूं."
बाबूराव चव्हाण के दोनों बेटे वर्तमान में ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे हैं. परिजनों और रिश्तेदारों ने बताया कि आरक्षण के विरोध की खबरें उन्हें लगातार परेशान कर रही थीं. उन्हें डर था कि यदि आरक्षण समाप्त हो गया या प्रभावित हुआ, तो उनके बेटों का भविष्य क्या होगा.
रिश्तेदारों ने दावा किया है कि बाबूराव चव्हाण ने अपने बच्चों के भविष्य की चिंता में ही यह आत्मघाती कदम उठाया. रिश्तेदार गणेश गिरम ने इस बात की पुष्टि की है कि बाबूराव आरक्षण के बढ़ते विरोध से अत्यधिक तनाव में थे.
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