जम्मू कश्मीर में लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव (Jammu Kashmir Assembly Polls) न कराने के मसले पर सियासी घमासान शुरू हो गया है. विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग के इस फैसले पर सवाल खड़े किये हैं और इसके लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया. नेशनल कान्फ्रेंस (एनसी) के उपाध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने ट्वीट कर कहा, ‘जम्मू-कश्मीर में समय पर विधानसभा चुनाव कराने में नाकामी को देखते हुए मैं कुछ दिनों पहले किए गए अपने ट्वीटों को फिर से ट्वीट कर रहा हूं. पीएम मोदी ने पाकिस्तान, आतंकवादियों और हुर्रियत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है. शाबाश मोदी साहब... 56 इंच का सीना फेल हो गया.'
In light of the failure to conduct assembly elections on time in J&K I'm retweeting my tweets from a few days ago. PM Modi has surrendered to Pakistan, to the militants & to the hurriyat. Well done Modi Sahib. 56 inch chest failed. #slowclap https://t.co/oqtDAfNdeb
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) March 10, 2019
एनसी नेता उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने कहा कि भारत-विरोधी ताकतों के सामने मोदी (PM Modi) का ‘एकदम से घुटना टेक देना बहुत शर्मनाक'है. उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'बालाकोट और उरी पीएम मोदी द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले संभालने के प्रतीक नहीं हैं, बल्कि जम्मू-कश्मीर है...और जरा देखिए कि वहां उन्होंने कैसी कुव्यवस्था कायम कर दी है. भारत विरोधी ताकतों के सामने एकदम से घुटना टेक देना शर्मनाक है'. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि 1996 के बाद पहली बार राज्य में विधानसभा चुनाव समय पर नहीं हो रहे.
First time since 1996 Assembly elections in J&K are not being held on time. Remember this the next time you are praising PM Modi for his strong leadership.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) March 10, 2019
दूसरी तरफ, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा, ‘जम्मू कश्मीर में केवल लोकसभा चुनाव कराने का फैसला भारत सरकार की कुटिल सोच है'. उन्होंने ट्वीट किया, ‘जनता को सरकार नहीं चुनने देना लोकतंत्र के सिद्धांत के खिलाफ है'. कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई ने भी रविवार को आरोप लगाया कि केंद्र द्वारा हालात को ठीक तरीके से नहीं संभाल पाने के कारण राज्य में विधानसभा चुनाव टाल दिए गए हैं. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जी ए मीर ने एक बयान में कहा कि हालात को लेकर केंद्र की ओर से किए जाने वाले बड़े-बड़े दावों की पोल खोल चुकी है. केंद्र ने खुद ही मान लिया है कि हालात काबू के बाहर हैं और माहौल एक साथ चुनाव कराने लायक नहीं है. मीर ने कहा कि विधानसभा चुनाव कराकर लोगों को एक निर्वाचित सरकार देने का केंद्र के पास एक सुनहरा मौका था, क्योंकि सभी राजनीतिक पार्टियां एक साथ चुनाव कराने के पक्ष में थीं.
Decision to hold only Parliamentary elections in J&K confirms sinister designs of GoI. Not letting people elect a government is antithetical to the very idea of democracy. Also a tactic of buying time to disempower people by pushing an agenda that suits their ulterior motives.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) March 10, 2019
उधर, फारूक अब्दुल्ला ने भी जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनावों के साथ विधानसभा चुनाव न कराने के फैसले पर सवाल उठाये हैं. उन्होंने कहा, अगर लोकसभा चुनाव के लिए माहौल अनुकूल है, तो फिर विधानसभा चुनाव के लिए क्यों नहीं? बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने भी लोकसभा चुनावों के साथ जम्मू-कश्मीर का चुनाव न कराने पर भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा. मायावती ने कहा, ' जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का आमचुनाव लोकसभा चुनाव के साथ नहीं कराना श्री मोदी (PM Modi) सरकार की कश्मीर नीति की विफलता का द्योतक है. जो सुरक्षा बल लोकसभा चुनाव करा सकते हैं वही उसी दिन वहां विधानसभा का चुनाव क्यों नहीं करा सकते हैं? केन्द्र का तर्क बेतुका है व बीजेपी का बहाना बचकाना है''.
Denying J&K assembly's simultaneous poll with the Lok Sabha is poor reflection & indicative of Modi Govt's failure of Kashmir policy. Forces are surely capable of holding poll for both on the same day much to relief of people. Centre's logic is poor & BJP's excuse is childish.
— Mayawati (@Mayawati) March 11, 2019
क्या है चुनाव आयोग का तर्क
जम्मू-कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) शालिंदर कुमार ने रविवार को कहा कि चुनाव आयोग के विवेक का सम्मान करना चाहिए क्योंकि राज्य की मौजूदा सुरक्षा स्थिति के चलते यहां साथ में चुनाव कराना संभव नहीं था. कुमार ने कहा कि 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले जैसी घटनाओं ने प्रशासन को अलर्ट पर रखा हुआ है और सीमावर्ती इलाकों समेत पूरे राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए सभी जरूरी उपाय किए गए हैं. सीमावर्ती इलाके पाकिस्तान द्वारा संघर्षविराम उल्लंघन किए जाने का सामना कर रहे है.
इस वजह से जम्मू कश्मीर में लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ में कराना संभव नहीं
चुनाव आयोग ने नियुक्त किये हैं विशेष पर्यवेक्षक
चुनाव आयोग ने आगामी लोक सभा चुनाव के मद्देनजर जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir Polls) के लिए तीन पूर्व आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को विशेष पर्यवेक्षक यानी कि स्पेशल ऑब्सर्वर नियुक्त किया है. आयोग से रविवार को मिली जानकारी के मुताबिक़ 1972 बैच के आईपीएस अधिकारी अमरजीत सिंह गिल, 1977 बैच के आईएएस अधिकारी नूर मोहम्मद और 1982 बैच के आईएएस अधिकारी रहे विनोद जुत्शी को जम्मू कश्मीर का विशेष पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है.आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि तीनों पर्यवेक्षक जल्द ही जम्मू कश्मीर का दौरा करेंगे.
Loksabha Election 2019: चुनाव आयोग ने जम्मू कश्मीर के लिए तीन स्पेशल ऑब्सर्वर नियुक्त किये
Video: जम्मू-कश्मीर में पांच चरणों में होंगे लोकसभा चुनाव
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